बोलेरो-बस हादसा: सिर्फ दुर्घटना नहीं, बच्चों की सुरक्षा पर 'सिस्टम का तमाचा'! Aajtak24 News

बोलेरो-बस हादसा: सिर्फ दुर्घटना नहीं, बच्चों की सुरक्षा पर 'सिस्टम का तमाचा'! Aajtak24 News

मऊगंज - मऊगंज और रीवा जिले को हिला देने वाले बोलेरो-बस हादसे ने एक बार फिर बच्चों की सुरक्षा व्यवस्था की पोल खोल दी है। रॉयल गैलेक्सी होटल के पास हुए इस हादसे में कई मासूम बच्चे घायल हुए। लेकिन यह सिर्फ एक दुर्घटना नहीं, बल्कि उस पूरे सिस्टम की नाकामी का सबूत है जो बच्चों की सुरक्षा के नाम पर सिर्फ ढकोसला कर रहा है। प्रशासन, स्कूल और निजी वाहन मालिक— तीनों की मिलीभगत या लापरवाही ने बच्चों की जिंदगी को दांव पर लगा दिया है।

स्कूलों का गैर-जिम्मेदाराना रवैया: हमारी गाड़ी नहीं थी!

हादसे के बाद सबसे पहले जिस स्कूल से बच्चे आ रहे थे, उसने पल्ला झाड़ लिया। स्कूल प्रबंधन ने कहा कि बोलेरो उनके विद्यालय की नहीं थी। यह बयान उन हजारों अभिभावकों के लिए एक बड़ा सवाल खड़ा करता है, जो अपने बच्चों को इन स्कूलों के भरोसे छोड़ते हैं। सवाल यह है कि जब बच्चे आपके विद्यालय में पढ़ते हैं, तो स्कूल प्रबंधन यह जानने की कोशिश क्यों नहीं करता कि कौन उन्हें ला-जा रहा है? क्या बच्चों की सुरक्षा सिर्फ किस्मत के भरोसे छोड़ दी गई है?

अवैध वाहनों का राज और प्रशासन की चुप्पी

यह समस्या सिर्फ इस एक स्कूल तक सीमित नहीं है। रीवा और मऊगंज जिले में सैकड़ों ऐसे निजी वाहन— बोलेरो, ऑटो, टेंपो, लोडिंग रिक्शा— बिना किसी लिखित अनुबंध, बिना बीमा, बिना फिटनेस और बिना ड्राइवर के पुलिस वेरिफिकेशन के बच्चों को स्कूल पहुंचा रहे हैं। इन वाहनों पर न तो स्कूल का नाम होता है, न ही चालक की कोई पहचान। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि जिला प्रशासन और परिवहन विभाग के पास इसका कोई रिकॉर्ड नहीं है। क्या प्रशासन किसी और बड़ी जनहानि का इंतजार कर रहा है ताकि मुआवजा देकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ सके?

ब्लैकमेलिंग का खेल और झूठी खबरें

इस पूरे मामले में एक और गंभीर पहलू सामने आया है। खबर के मुताबिक, एक कथित यूट्यूबर, जो खुद एक बीमा एजेंट है, ने इस घटना को सनसनीखेज बनाकर सोशल मीडिया पर झूठी खबरें फैलाईं। आरोप है कि यह व्यक्ति स्कूलों को बदनाम करके बीमा पॉलिसी बेचने के लिए ब्लैकमेल करता है। जब उसकी मांग पूरी नहीं होती तो वह झूठी खबरें फैला देता है और प्रशासन मूकदर्शक बना रहता है।

जनता की मांग: अब चाहिए ठोस कार्रवाई

अभिभावक अब केवल सवाल नहीं, बल्कि जवाब और कार्रवाई चाहते हैं। उनकी प्रमुख मांगें हैं:

  1. जवाबदेही तय हो: हर स्कूल को अपने वाहनों, ड्राइवरों और उनके दस्तावेजों की जानकारी सार्वजनिक करनी होगी।

  2. सत्यापन अनिवार्य: सभी स्कूल वाहनों के ड्राइवरों का पुलिस वेरिफिकेशन और वाहनों का बीमा, फिटनेस सर्टिफिकेट अनिवार्य हो।

  3. कड़ी निगरानी: प्रशासन को निजी वाहन मालिकों की सूची बनाकर उनकी निगरानी करनी चाहिए।

  4. तत्काल कार्रवाई: जो स्कूल या वाहन इन नियमों का पालन नहीं करते, उन पर तुरंत कड़ी कार्रवाई हो।

यदि प्रशासन अब भी नहीं जागा तो अगली दुर्घटना एक भयानक त्रासदी में बदल सकती है, और इसका दोष सिर्फ वाहन चालक या स्कूल का नहीं, बल्कि उस पूरे सिस्टम का होगा जो आंखें मूंदे बैठा है। बच्चों की सुरक्षा कोई 'दया' नहीं है, बल्कि एक नैतिक और संवैधानिक जिम्मेदारी है।

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