संसद में 'हंगामे' से खफा स्पीकर ओम बिरला: "जनता ने जो मौका दिया, उसे नारेबाजी और तख्तियों से मत गंवाइए Aajtak24 News

संसद में 'हंगामे' से खफा स्पीकर ओम बिरला: "जनता ने जो मौका दिया, उसे नारेबाजी और तख्तियों से मत गंवाइए Aajtak24 News

नई दिल्ली - संसद का मॉनसून सत्र अपने 10वें दिन भी लगातार हंगामे की भेंट चढ़ रहा है। लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने शुक्रवार को विपक्षी सांसदों के निरंतर शोर-शराबे और तख्तियां दिखाने पर कड़ी नाराजगी व्यक्त करते हुए उन्हें जनता द्वारा दिए गए 'अवसर' को बर्बाद न करने की नसीहत दी। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि इस तरह के आचरण से संसद की गरिमा गिर रही है और जनता के महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा नहीं हो पा रही है।

मात्र दो दिन चल पाया प्रश्नकाल: लोकतंत्र का गला घोंटा जा रहा?

मॉनसून सत्र 21 जुलाई को शुरू हुआ था, लेकिन हैरानी की बात है कि इन 10 दिनों में से केवल मंगलवार और बुधवार को ही प्रश्नकाल निर्बाध रूप से चल पाया। प्रश्नकाल वह समय होता है जब सांसद जनता से जुड़े सवाल उठाते हैं और सरकार को जवाबदेह ठहराते हैं। स्पीकर बिरला ने इसे लोकतंत्र के लिए बेहद महत्वपूर्ण बताया, लेकिन लगातार हंगामे के कारण यह सबसे अहम सत्र बाधित हो रहा है। बिरला ने जोर देकर कहा, "प्रश्नकाल बहुत महत्वपूर्ण समय होता है। आप नारेबाजी और तख्तियों से अन्य सदस्यों का अधिकार नहीं छीन सकते। यह गलत तरीका, गलत आचरण और गलत व्यवहार है।

बिहार के SIR मुद्दे पर हंगामा जारी, कार्यवाही स्थगित

शुक्रवार को भी सदन की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्षी दलों ने बिहार में चुनाव आयोग के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के मुद्दे पर हंगामा शुरू कर दिया। विपक्षी सांसद इस विषय पर सदन में चर्चा की मांग कर रहे थे और लगातार नारेबाजी करते रहे। उनके भारी हंगामे के कारण बैठक कुछ ही मिनटों में दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित करनी पड़ी, जिससे प्रश्नकाल फिर नहीं चल पाया।

प्रमुख विधायी कामकाज अधर में: "ऑपरेशन सिंदूर" और "मणिपुर में राष्ट्रपति शासन" तक सीमित

इस सत्र में अब तक कोई बड़ा या महत्वपूर्ण विधायी कामकाज नहीं हो पाया है। सदन में केवल "ऑपरेशन सिंदूर" पर विशेष चर्चा और "मणिपुर में राष्ट्रपति शासन बढ़ाने" को मंजूरी जैसे कुछ ही विषयों पर ही चर्चा हो सकी है। बाकी समय हंगामे की भेंट चढ़ गया, जिससे देश से जुड़े कई अहम बिल और नीतियां प्रभावित हो रही हैं।

स्पीकर की मार्मिक अपील: "जनता की अपेक्षाएं पूरी होने दें, देश को आगे बढ़ाने में सहयोग दें

विरला ने नारेबाजी कर रहे सांसदों से एक बार फिर मार्मिक अपील करते हुए कहा, "आप नारेबाजी करके, तख्तियां लहरा कर जनता की अभिव्यक्ति नहीं कर रहे। जनता ने आपको जो इतना बड़ा अवसर दिया है, उसे नारेबाजी और तख्तियों से मत गंवाओ।" उन्होंने कुछ वरिष्ठ नेताओं की ओर इशारा करते हुए यह भी कहा कि उनके जैसे वरिष्ठ सदस्यों के लिए इस तरह का आचरण उचित नहीं है। उन्होंने सांसदों से आग्रह किया कि वे सदन की कार्यवाही को चलने दें, सांसदों को प्रश्न उठाने दें, लोगों की अपेक्षाएं और आकांक्षाएं पूरी होने दें और देश को आगे बढ़ाने में सहयोग दें। बिरला ने कहा कि देश में हो रहे परिवर्तनों के बारे में सांसदों को यहां अपनी बात रखनी चाहिए, न कि केवल हंगामा करना चाहिए। यह घटनाक्रम भारतीय लोकतंत्र के कामकाज और सदन के अंदर सार्थक बहस की आवश्यकता पर गंभीर सवाल खड़े करता है।


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