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| मंदसौर में जानलेवा जीबीएस का प्रकोप! 8 मरीजों में पुष्टि, एक संदिग्ध की मौत, दिल्ली से विशेषज्ञ टीम ने संभाला मोर्चा Aajtak24 News |
मंदसौर - मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले में एक गंभीर स्वास्थ्य संकट गहरा गया है। गांव मुल्तानपुरा में गिलियन-बैरे सिंड्रोम (GBS) के तेजी से बढ़ते मामलों ने स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मचा दिया है। अब तक जिले में आठ मरीजों में इस दुर्लभ न्यूरोलॉजिकल संक्रमण की पुष्टि हो चुकी है, जिनमें से छह मुल्तानपुरा गांव के हैं। चिंताजनक बात यह है कि एक संदिग्ध मरीज की मौत भी हो गई है, हालांकि स्वास्थ्य विभाग ने अभी इसकी पुष्टि नहीं की है। स्थिति की भयावहता को देखते हुए दिल्ली से छह सदस्यीय विशेषज्ञों की एक उच्च-स्तरीय टीम मंदसौर पहुंची और गांव में पांच घंटे तक गहन सर्वेक्षण और निरीक्षण किया।
मुल्तानपुरा बना बीमारी का केंद्र, दिल्ली से पहुंची विशेषज्ञ टीम
सबसे अधिक मरीज मुल्तानपुरा गांव में पाए गए हैं, जिसके बाद दिल्ली से आई विशेषज्ञों की टीम ने तत्काल गांव का दौरा किया। टीम में शामिल अधिकारियों ने पूरे गांव में घूम-घूमकर बीमारी फैलने के संभावित कारणों की पड़ताल की। इस दौरान खाद्य सामग्री, पीने के पानी और पशुपालन से संबंधित नमूने एकत्र किए गए। टीम ने ग्रामीणों को आवश्यक स्वास्थ्य संबंधी सलाह भी दी। लगभग पांच घंटे तक विशेषज्ञों का दल गांव में ही मौजूद रहा और स्थिति का आकलन करता रहा। जिले में अब तक GBS के आठ मरीजों की पुष्टि हो चुकी है, जिनमें से छह मुल्तानपुरा, एक भुन्याखेड़ी और एक किटीयानी गांव से हैं।
गांव में साफ-सफाई की बदतर स्थिति बनी चिंता का कारण
सर्वेक्षण के दौरान दिल्ली से आई टीम ने पाया कि गांव में साफ-सफाई की स्थिति संतोषजनक नहीं है। नालियों का गंदा पानी गलियों और सड़कों पर बह रहा है, और जगह-जगह कचरे के ढेर लगे हुए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह गंदगी भी बीमारी के प्रसार का एक प्रमुख कारण हो सकती है। टीम ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), पशुपालन विभाग, खाद्य विभाग, स्वास्थ्य विभाग और जल निगम सहित विभिन्न विभागों के साथ मिलकर अलग-अलग टीमें बनाईं, जिन्होंने गांव के लोगों से विस्तृत चर्चा की और विभिन्न प्रकार के नमूने लिए। इसके बाद ग्राम पंचायत में आशा, उषा और स्वास्थ्य कर्मचारियों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई, जिसमें उन्हें आवश्यक दिशा-निर्देश दिए गए।
इंदौर, अहमदाबाद और भोपाल में चल रहा मरीजों का इलाज
मुल्तानपुरा गांव इस बीमारी का मुख्य केंद्र बनकर उभरा है। आठ मरीजों में से छह इसी गांव से हैं। ग्रामीणों में इस बीमारी को लेकर डर का माहौल है। दिल्ली से आई टीम ने गांव में लोगों को समझाया और उन्हें ढांढस बंधाया। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) के अनुसार, मुल्तानपुरा में मिले छह मरीजों में से तीन अब स्वस्थ हो चुके हैं और उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिल गई है। शेष तीन मरीजों का इलाज इंदौर और अहमदाबाद के अस्पतालों में चल रहा है। वहीं, भुन्याखेड़ी और किटीयानी में मिले मरीजों का उपचार भोपाल में जारी है। एक मरीज की मौत हुई है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग अभी तक इसकी पुष्टि नहीं कर रहा है कि मौत GBS के कारण हुई या नहीं।
विशेषज्ञ टीम का गहन सर्वेक्षण, 200 से अधिक सैंपल लिए गए
दिल्ली से आई छह सदस्यीय विशेषज्ञ टीम ने मुल्तानपुरा में स्थानीय अधिकारियों के साथ मिलकर घर-घर जाकर गहन सर्वेक्षण किया। टीम ने ग्रामीणों से बातचीत करके बीमारी के संभावित कारणों की जानकारी जुटाई। इस दौरान खाद्य सामग्री, पीने के पानी, पशुओं के चारे और नालियों सहित आसपास के वातावरण से 200 से अधिक नमूने एकत्र किए गए। टीम में पशुपालन, जल निगम, स्वास्थ्य विभाग और खाद्य विभाग के विशेषज्ञ शामिल थे।
साफ-सफाई पर विशेष जोर, अन्य बीमारियों का भी खतरा
विशेषज्ञों ने गांव की चिंताजनक स्थिति को देखते हुए साफ-सफाई पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता बताई है। ग्राम पंचायत को इस संबंध में सख्त निर्देश दिए गए हैं। स्वास्थ्य कर्मियों और आशा-उषा कार्यकर्ताओं को बीमारी के लक्षणों की पहचान और प्राथमिक उपचार संबंधी प्रशिक्षण दिया गया है। इसके साथ ही, ग्रामीणों को स्वास्थ्य संबंधी सावधानियों के प्रति जागरूक करने की जिम्मेदारी भी सौंपी गई है। गिलियन-बैरे सिंड्रोम (GBS) एक गंभीर न्यूरोलॉजिकल बीमारी है जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से नसों पर हमला करती है, जिससे कमजोरी और लकवा हो सकता है। यह बीमारी अक्सर वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण के बाद सामने आती है। चिंता की बात यह भी है कि मंदसौर जिले में GBS के साथ-साथ अन्य बीमारियों का भी प्रकोप देखने को मिल रहा है। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, अब तक जिले में स्क्रब टाइफस के पांच, मलेरिया के सात और डेंगू का एक मामला सामने आया है। लगातार बदलते मौसम, मच्छरों की बढ़ती संख्या और गंदगी इन बीमारियों के फैलने में सहायक कारक बन रहे हैं।
