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कृष्ण जन्माष्टमी 2025: व्रत का महत्व, शुभ संयोग और बांसुरी के चमत्कारी वास्तु उपाय Aajtak24 News |
नई दिल्ली - भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भगवान विष्णु के आठवें अवतार भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव पूरे देश में बड़े उत्साह और भक्ति के साथ मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इसी दिन भगवान कृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र, वृषभ राशि में चंद्रमा और सिंह राशि में सूर्य के संयोग में हुआ था। इस वर्ष भी, 2025 में जन्माष्टमी पर लगभग वैसे ही अद्भुत संयोग बन रहे हैं, जो इस पर्व के महत्व को और बढ़ा देते हैं।
कब है जन्माष्टमी 2025?
इस वर्ष पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 15 अगस्त 2025 को रात 11:49 बजे शुरू होकर 16 अगस्त को रात 9:34 बजे तक रहेगी। इस तिथि में भिन्नता के कारण, जन्माष्टमी को लेकर संशय की स्थिति रहती है। इसलिए, स्मार्त संप्रदाय के लोग 15 अगस्त को कृष्ण जन्मोत्सव मनाएंगे, जबकि वैष्णव संप्रदाय और ब्रजवासी उदया तिथि के अनुसार 16 अगस्त को भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव मनाएंगे। दोनों ही दिन भगवान कृष्ण की विशेष पूजा-अर्चना और व्रत का विधान है।
जन्माष्टमी व्रत का फल और धार्मिक महत्व
धार्मिक ग्रंथों और भविष्यपुराण के अनुसार, जन्माष्टमी का व्रत अत्यंत शुभ और पुण्य फलदायी माना गया है। जो भक्त इस दिन पूरी श्रद्धा और निष्ठा से व्रत रखते हैं, उन्हें अनेक लाभ मिलते हैं:
पापों का नाश: ऐसा माना जाता है कि इस व्रत के प्रभाव से सभी जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
सुख-समृद्धि: इस व्रत को करने से जीवन में शांति, सुख, धन-धान्य और आरोग्य की प्राप्ति होती है।
लंबी आयु और सुरक्षा: मान्यता है कि जो व्यक्ति यह व्रत रखता है, उसकी अकाल मृत्यु नहीं होती। भविष्यपुराण के अनुसार, जिस घर में जन्माष्टमी का व्रत किया जाता है, वहां गर्भपात, वैधव्य, दुर्भाग्य और कलह जैसी समस्याएं नहीं आतीं।
सभी मनोरथों की पूर्ति: इस व्रत को करने से व्यक्ति को पुत्र, संतान, दीर्घ आयु और सभी मनोरथों की सिद्धि होती है।
विष्णु लोक में निवास: यह भी कहा जाता है कि जो व्यक्ति एक बार भी इस व्रत को करता है, वह संसार के सभी सुखों को भोगकर अंत में भगवान विष्णु के लोक को प्राप्त होता है।
कान्हा की बांसुरी और वास्तु उपाय
भगवान कृष्ण को उनकी बांसुरी अत्यंत प्रिय है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, बांसुरी को घर में रखना बहुत ही शुभ माना गया है और यह कई प्रकार के वास्तु दोषों को दूर करती है। जन्माष्टमी के दिन बांसुरी से जुड़े ये उपाय आपके जीवन में सुख-समृद्धि ला सकते हैं:
घर में लाएं सकारात्मक ऊर्जा: जन्माष्टमी के दिन घर में बांसुरी लाना बहुत शुभ माना जाता है। यह घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है और नकारात्मक शक्तियों को दूर भगाती है।
धन लाभ के लिए: यदि आप नया व्यवसाय शुरू कर रहे हैं, तो एक बांसुरी को अपनी अलमारी में रखें। इसके अलावा, एक छोटी चांदी की बांसुरी को अपने कैश बॉक्स में रखने से धन आगमन के नए रास्ते खुलते हैं।
व्यापार में सफलता: यदि आपको अपने व्यापार में नुकसान हो रहा है या नकारात्मक ऊर्जा महसूस हो रही है, तो अपनी दुकान की छत पर एक बांसुरी टांग दें। इससे नकारात्मकता दूर होगी और व्यापार में तरक्की मिलेगी।
राहु-केतु दोष से मुक्ति: ज्योतिष के अनुसार, यदि आप राहु और केतु के अशुभ प्रभावों से पीड़ित हैं, तो जन्माष्टमी पर भगवान कृष्ण के मंदिर में 5 बादाम के साथ एक बांसुरी अर्पित करें। माना जाता है कि इससे इन ग्रहों से जुड़े दोषों से राहत मिलती है।
सुख-समृद्धि और खुशहाली: जिस घर में भगवान कृष्ण की मूर्ति के पास उनकी बांसुरी रखी जाती है, वहां सुख-समृद्धि और खुशहाली बनी रहती है। परिवार के सदस्यों के बीच प्रेम और सौहार्द बढ़ता है।
यह पर्व न केवल भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव का प्रतीक है, बल्कि यह हमें जीवन में धर्म, शांति और सद्भाव का महत्व भी सिखाता है। जन्माष्टमी का व्रत और इससे जुड़े वास्तु उपाय हमारे जीवन को खुशहाल और समृद्ध बनाने में सहायक सिद्ध हो सकते हैं।