चुनाव आयोग के अधिकारियों का कहना है कि यह एक सामान्य प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया के तहत उन मतदाताओं के नाम हटाए गए हैं जो मृत हो चुके हैं, जिनके नाम डुप्लिकेट हैं, या जो दूसरे शहरों या राज्यों में स्थानांतरित हो चुके हैं। हालांकि, जिस बड़ी संख्या में नाम हटाए गए हैं, उसने विपक्षी दलों को सरकार पर हमला करने का मौका दे दिया है। विपक्ष का आरोप है कि यह एक सुनियोजित प्रयास है जिसका मकसद क्षेत्र की जनसांख्यिकी को प्रभावित करना है।
हटाए गए नामों की जिलेवार संख्या इस प्रकार है:
पूर्णिया: 2,73,920
कटिहार: 1,84,254
अररिया: 1,58,072
किशनगंज: 1,45,668
कुल मिलाकर, 7,61,954 मतदाताओं के नाम काटे गए हैं।
इस घटना का सियासी असर काफी गहरा हो सकता है। सीमांचल की 24 विधानसभा सीटों पर एनडीए और विपक्षी इंडिया गठबंधन के बीच हमेशा से ही कड़ी टक्कर होती रही है। 2020 के विधानसभा चुनावों में AIMIM ने इस क्षेत्र में पांच सीटें जीतकर राजनीतिक समीकरणों को बदल दिया था, जिससे महागठबंधन को बड़ा झटका लगा था।
अब इतने बड़े पैमाने पर मतदाताओं के नाम सूची से हटने के बाद दोनों ही गठबंधन अपनी-अपनी रणनीतियों पर फिर से विचार करने को मजबूर हैं। विपक्षी दलों का कहना है कि यह कदम एक खास समुदाय को निशाना बनाने के लिए उठाया गया है, जबकि सत्ता पक्ष इसे साफ और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने की दिशा में एक जरूरी कदम बता रहा है। यह देखना दिलचस्प होगा कि यह मुद्दा आने वाले चुनावों में किस तरह से असर डालता है।