उत्तराखंड के थराली में कुदरत का कहर: बादल फटने से भारी तबाही, 1 की मौत, 2 लापता; सैकड़ों परिवार बेघर Aajtak24 News

उत्तराखंड के थराली में कुदरत का कहर: बादल फटने से भारी तबाही, 1 की मौत, 2 लापता; सैकड़ों परिवार बेघर Aajtak24 News

देहरादून - उत्तराखंड में लगातार हो रही प्राकृतिक आपदाओं के बीच चमोली जिले की थराली तहसील में शुक्रवार देर रात बादल फटने की घटना ने भीषण तबाही मचा दी है। रात करीब 1 बजे हुई इस घटना ने पूरे इलाके में हड़कंप मचा दिया। मूसलाधार बारिश और अचानक आए मलबे ने थराली बाजार, राड़ीबगड़ और चेपड़ों सहित कई गांवों में कहर बरपाया।

जनहानि और लापता लोग: इस दर्दनाक हादसे में अब तक एक व्यक्ति की मौत की पुष्टि हुई है, जबकि दो लोग लापता बताए जा रहे हैं, जिनमें एक बुजुर्ग व्यक्ति और एक 20 वर्षीय युवती शामिल है। एसडीआरएफ, एनडीआरएफ और पुलिस की टीमें लापता लोगों की तलाश में जुटी हैं।

भारी नुकसान और जनजीवन अस्त-व्यस्त: बादल फटने से आया मलबा कई घरों और दुकानों में दो फीट तक भर गया है, जिससे सैकड़ों परिवार बेघर हो गए हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार, थराली बाजार, राड़ीबगड़ और चेपड़ों गांवों में सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। कई वाहन मलबे में दब गए और कई मकान पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए। उपजिलाधिकारी (एसडीएम) आवास, नगर पंचायत अध्यक्ष के आवास और जल संस्थान का दफ्तर भी मलबे से प्रभावित हुआ है।

राहत और बचाव कार्य में मुश्किलें: मलबे और भूस्खलन के कारण थराली-सागवाड़ा और थराली-ग्वालदम मार्ग पूरी तरह से बंद हो गए हैं, जिससे राहत टीमों को मौके पर पहुंचने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें पैदल ही करीब 15 किलोमीटर का सफर तय कर घटनास्थल पर पहुंची हैं। वहीं, बॉर्डर रोड्स ऑर्गनाइजेशन (BRO) की टीम बंद रास्तों को खोलने का काम कर रही है। पिंडर और प्राणमती नदियां भी उफान पर हैं, जिससे बाढ़ का खतरा बढ़ गया है।

प्रशासन की त्वरित कार्रवाई: जिलाधिकारी डॉ. संदीप तिवारी ने बताया कि सुरक्षा को देखते हुए थराली, देवाल और नारायणबगड़ के सभी स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों में अवकाश घोषित कर दिया गया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस घटना पर दुख जताते हुए कहा कि वे स्वयं स्थिति की निगरानी कर रहे हैं और राहत एवं बचाव कार्यों में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं। मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग की टीमें जीवन रक्षक दवाओं के साथ मौके पर तैनात हैं।

यह घटना एक बार फिर उत्तराखंड में मॉनसून के दौरान प्राकृतिक आपदाओं की संवेदनशीलता को उजागर करती है और सरकार व प्रशासन के लिए इन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की चुनौती पेश करती है।


Post a Comment

Previous Post Next Post