रीवा में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन संचालक का औचक निरीक्षण: स्वास्थ्य सेवाओं की जमीनी हकीकत आई सामने samane Aajtak24 News

रीवा में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन संचालक का औचक निरीक्षण: स्वास्थ्य सेवाओं की जमीनी हकीकत आई सामने samane Aajtak24 News
रीवा/मध्य प्रदेश - मध्य प्रदेश के स्वास्थ्य तंत्र में जवाबदेही और पारदर्शिता सुनिश्चित करने की दिशा में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की प्रमुख सलोनी सिडाना का रीवा दौरा एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ। यह दौरा महज एक औपचारिकता नहीं था, बल्कि राज्य की स्वास्थ्य योजनाओं की वास्तविक प्रगति और जमीनी हकीकत को सीधे देखने का प्रयास था।

जिला अस्पताल में संसाधनों की कमी उजागर

मिशन संचालक ने जिला अस्पताल के मातृत्व वार्ड से लेकर एसएनसीयू (विशेष नवजात देखभाल इकाई) तक का गहन निरीक्षण किया। इस दौरान यह बात सामने आई कि संस्थागत प्रसव और नवजात देखभाल जैसी बेहद महत्वपूर्ण सेवाएं अभी भी संसाधनों की कमी से जूझ रही हैं। सलोनी सिडाना ने जिला टीम को स्पष्ट निर्देश दिए कि "मानकों का पालन अनिवार्य है," जिससे यह संदेश गया कि प्रशासनिक लापरवाही अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्र: योजनाओं का लाभ 'अंतिम छोर' तक नहीं

करौंदी स्थित आयुष्मान आरोग्य मंदिर के निरीक्षण में एमसीपी (मातृ एवं बाल स्वास्थ्य) कार्ड्स की अनुपलब्धता पर मिशन संचालक ने कड़ी फटकार लगाई। यह एक गंभीर खामी है, क्योंकि एमसीपी कार्ड गर्भवती महिलाओं को समय पर टीकाकरण और पोषण संबंधी महत्वपूर्ण जानकारी देकर मातृ-शिशु मृत्यु दर को कम करने में सहायक होता है। ऐसी मूलभूत कमियां इस बात का प्रमाण हैं कि सरकारी योजनाओं का लाभ अभी तक वास्तव में "अंतिम छोर" तक नहीं पहुंच पाया है।

शहरी प्राथमिक केंद्र में गुणवत्ता बनाम भीड़ का संघर्ष

वोदाबाग यूपीएचसी (शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र) के निरीक्षण के दौरान, सेवाओं की "गुणवत्ता" पर विशेष जोर दिया गया। यह दर्शाता है कि शहरी क्षेत्रों में संसाधनों पर भारी दबाव के बावजूद, सेवा मानकों से कोई समझौता नहीं किया जा सकता। हालांकि, यह सवाल भी उठता है कि क्या केवल निर्देश देना पर्याप्त होगा, या फिर स्टाफ की कमी और अवसंरचनात्मक सीमाओं को दूर करने के लिए ठोस कदम उठाने की भी उतनी ही आवश्यकता है।

मेडिकल कॉलेज में निर्माण कार्यों की धीमी गति पर चिंता

संजय गांधी अस्पताल परिसर में लंबित निर्माण कार्यों पर मिशन संचालक ने कड़ी आपत्ति जताई और कहा कि "विलंब बर्दाश्त नहीं" किया जाएगा। यह स्थिति स्वास्थ्य अवसंरचना के विकास में आ रही बाधाओं को उजागर करती है। यह सवाल भी उठता है कि क्या परियोजना निगरानी तंत्र में तत्काल सुधार की जरूरत है।

जनसंवाद: जनता से सीधा फीडबैक

इस भ्रमण का सबसे सराहनीय पहलू स्थानीय निवासियों से सीधा संवाद रहा। ओपीडी सेवाओं और दवा उपलब्धता पर नागरिकों की प्रतिक्रियाओं ने योजनाओं के क्रियान्वयन का एक वास्तविक और जमीनी मूल्यांकन प्रस्तुत किया। यह दिखाता है कि प्रशासन जनता के फीडबैक को कितना महत्व दे रहा है।

निगरानी से निरंतरता की ओर: आगे की चुनौती

यह निरीक्षण दर्शाता है कि मध्य प्रदेश का स्वास्थ्य विभाग सेवा वितरण में पारदर्शिता और जवाबदेही लाने के प्रति गंभीर है। हालांकि, अब सबसे बड़ी चुनौती इन निरीक्षणों के निष्कर्षों को वास्तविक कार्यरूप देने की है। केवल "फटकार" या "निर्देश" देना पर्याप्त नहीं होगा। एक स्पष्ट रोडमैप तैयार करना आवश्यक है, जिसमें:

  • जवाबदेही तय हो: प्रत्येक निर्देश के लिए समयसीमा और जिम्मेदार अधिकारी स्पष्ट रूप से तय किए जाएं।

  • संसाधनों का अभाव दूर हो: एमसीपी कार्ड जैसी मूलभूत आपूर्तियों के लिए एक विकेंद्रीकृत और सुव्यवस्थित प्रणाली विकसित की जाए।

  • नागरिक भागीदारी बढ़े: स्वास्थ्य केंद्रों पर सार्वजनिक फीडबैक तंत्र स्थापित किया जाए, जिससे जनता अपनी राय दे सके।

स्वास्थ्य सेवाएं केवल नीतिगत दस्तावेजों तक सीमित न रहें, इसके लिए ऐसे औचक निरीक्षण नियमित रूप से होने चाहिए। मिशन संचालक सलोनी सिडाना का यह प्रयास सराहनीय है, लेकिन इसे केवल एक शुरुआत माना जाना चाहिए, न कि एक एकाकी घटना। क्या विभाग इन निरीक्षणों को एक स्थायी सुधार प्रक्रिया में बदल पाएगा?

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