बिहार के पूर्णिया में अंधविश्वास का खूनी खेल: डायन बताकर एक ही परिवार के 5 सदस्यों को भीड़ ने जिंदा जलाया jalaya Aajtak24 News

बिहार के पूर्णिया में अंधविश्वास का खूनी खेल: डायन बताकर एक ही परिवार के 5 सदस्यों को भीड़ ने जिंदा जलाया jalaya Aajtak24 News

पूर्णिया - बिहार के पूर्णिया जिले के रानीपतरा स्थित टेटगामा गाँव में एक ही परिवार के पाँच सदस्यों की निर्मम हत्या के मामले में पुलिस ने अपनी जाँच तेज कर दी है। इस दिल दहला देने वाली घटना के बाद अब तक तीन अभियुक्तों को गिरफ्तार कर लिया गया है, जिन्होंने घटना में अपनी संलिप्तता स्वीकार कर ली है। पूर्णिया की पुलिस अधीक्षक (SP) स्वीटी सहरावत ने मीडिया को बताया कि मामले की गहन जाँच के लिए अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी-1 सदर पूर्णिया के नेतृत्व में एक विशेष अनुसंधान दल (SIT) का गठन किया गया है।

मामला दर्ज और गिरफ्तारियाँ

पुलिस ने इस जघन्य हत्याकांड में 23 नामजद और 150 अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है। गिरफ्तार किए गए तीनों अभियुक्तों से पूछताछ की जा रही है। पुलिस ने घटना में मृतकों के शवों को ले जाने में प्रयुक्त ट्रैक्टर को भी बरामद कर जब्त कर लिया है, जिससे यह संकेत मिलता है कि योजनाबद्ध तरीके से अपराध को अंजाम दिया गया था और सबूत मिटाने की कोशिश की गई थी।

घटना का भयावह विवरण और जाँच प्रक्रिया

यह घटना रविवार देर रात की है, जब गाँव के लगभग 250 लोगों की भीड़ ने बाबूलाल उराँव (65), उनकी पत्नी सीता देवी (60), मां कातो मसोमात (75), बेटा मनजीत उराँव (25) और बहू रानी देवी (22) को कथित तौर पर 'डायन' बताकर उनके घर से घसीटकर बाहर निकाला। उन्हें बेरहमी से पीटा गया और फिर पेट्रोल छिड़ककर जिंदा जला दिया गया। इसके बाद, शवों को एक ट्रैक्टर में लादकर डेढ़ किलोमीटर दूर एक तालाब के जलकुंभी में छिपा दिया गया।

इस मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए, मृतकों के शवों का अंतिम संस्कार एक विशिष्ट मेडिकल बोर्ड का गठन कराकर और दंडाधिकारी की मौजूदगी में वीडियोग्राफी के साथ किया गया। विधि-विज्ञान प्रयोगशाला (FSL) के विशेषज्ञों की टीम ने घटनास्थल पर पहुँचकर घटना से जुड़े सभी सबूतों को एकत्र किया है। पुलिस शेष अभियुक्तों की गिरफ्तारी के लिए संभावित ठिकानों पर लगातार छापेमारी कर रही है।

अंधविश्वास और अफवाहों का खूनी परिणाम

घटना के पीछे की मुख्य वजह अंधविश्वास और अफवाहें बताई जा रही हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार, मृतक कातो मसोमात और उनका परिवार झाड़-फूंक किया करता था। कुछ दिन पहले गाँव के ही रामदेव उराँव के बड़े बेटे की अचानक मौत हो गई थी और छोटा बेटा भी बीमार पड़ गया था। इसी के बाद गाँव में यह अफवाह फैल गई कि बाबूलाल का परिवार किसी 'बलि' की तैयारी कर रहा है। आरोपी नकुल उराँव ने इस अफवाह को पूरे टोले में फैला दिया कि कातो मसोमात 'डायन' हैं।

मृतक बाबूलाल के छोटे बेटे सोनू ने ही सबसे पहले अपने बड़े भाई ललित को फोन कर इस नरसंहार की जानकारी दी, जिससे यह भयानक घटना सामने आ सकी, अन्यथा गाँव वाले इसे दबाने की कोशिश कर सकते थे। सोनू ने अपने भाई को बताया था कि कैसे भीड़ ने उनके माता-पिता और भाई-भाभी को जिंदा जला दिया। इस दर्दनाक वारदात ने बिहार में अंधविश्वास के गहरे जड़ों को एक बार फिर उजागर कर दिया है। पुलिस प्रशासन इस मामले में दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दिलाने और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए प्रतिबद्ध है।

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