खनिज संपदा से जनकल्याण की ओर: जिला खनिज न्यास निधि से ₹12.22 करोड़ की योजनाएं स्वीकृत, लेकिन कार्यान्वयन की धीमी गति पर सवाल Aajtak24 News

खनिज संपदा से जनकल्याण की ओर: जिला खनिज न्यास निधि से ₹12.22 करोड़ की योजनाएं स्वीकृत, लेकिन कार्यान्वयन की धीमी गति पर सवाल Aajtak24 News

रीवा - जिले की खनिज संपदा से प्राप्त आय को जनकेंद्रित विकास की दिशा में एक सार्थक पहल के तहत उपयोग किया जा रहा है। हाल ही में, जिला खनिज न्यास निधि से ₹12 करोड़ 22 लाख की विभिन्न विकास कार्ययोजनाओं को स्वीकृति मिली है। यह राशि न केवल आंकड़ों में एक उपलब्धि है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि प्राकृतिक संपदा से प्राप्त राजस्व अब स्थानीय समुदाय के उत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

बाल विकास और पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता

स्वीकृत योजनाओं में बाल विकास और पर्यावरण संरक्षण पर विशेष जोर दिया गया है:

  • आंगनवाड़ी केंद्रों की नींव मजबूत: 47 अधूरे आंगनवाड़ी केंद्रों के लिए ₹1 करोड़ की स्वीकृति एक महत्वपूर्ण निर्णय है। ये केंद्र बाल विकास और महिला सशक्तिकरण के प्रमुख बिंदु हैं। हालांकि, यह सवाल उठता है कि मनरेगा जैसी योजनाओं के साथ अभिसरण (कन्वर्जेंस) की प्रक्रिया में अधूरे रह गए इन निर्माण कार्यों के लिए पहले से बेहतर योजना क्यों नहीं बनाई जा सकी।

  • हरित आवरण और रोजगार: वृक्षारोपण के लिए स्वीकृत राशि इस बात का प्रमाण है कि विकास और पर्यावरण संरक्षण साथ-साथ चल सकते हैं। यह निर्णय न केवल जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने में सहायक होगा, बल्कि स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन भी करेगा।

समावेशी विकास और बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं

दिव्यांगजनों के सशक्तिकरण और ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूती प्रदान करने के लिए भी पहल की गई है:

  • दिव्यांगजन सशक्तिकरण: प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में 10 मोटराइज्ड तिपहिया साइकिलों का प्रावधान दिव्यांगजनों की गतिशीलता सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह समावेशी विकास के सिद्धांतों के अनुरूप है और सामाजिक न्याय की दिशा में एक सराहनीय पहल है।

  • आपातकालीन स्वास्थ्य सेवाएं: सिरमौर क्षेत्र के लिए एंबुलेंस और जनरेटर सेट की स्वीकृति ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूती प्रदान करेगी। यह निर्णय, विशेषकर दूरदराज के क्षेत्रों में आपातकालीन स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच सुनिश्चित करने में मील का पत्थर साबित हो सकता है।

कार्यान्वयन की चुनौतियां और आगे की राह

जहां एक ओर योजनाओं की स्वीकृति उत्साहजनक है, वहीं उनके कार्यान्वयन की धीमी गति चिंता का विषय बनी हुई है। कुल 125 करोड़ रुपये की स्वीकृत योजनाओं में से अब तक केवल 225 कार्य ही पूर्ण हो पाए हैं। 23 कार्यों का निरस्त होना और 464 कार्यों का लंबित रहना इस बात का संकेत है कि योजना बनाने और क्रियान्वयन के बीच अभी भी एक बड़ा अंतराल है।

यह बैठक जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधियों के बीच सामंजस्य का एक उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करती है। हालांकि, अब महत्वपूर्ण यह होगा कि:

  • समयसीमा निर्धारित हो: सभी स्वीकृत कार्यों के लिए स्पष्ट समयसीमा तय की जाए।

  • पारदर्शिता सुनिश्चित हो: कार्यों की प्रगति की नियमित और सार्वजनिक निगरानी की जाए।

  • जनभागीदारी बढ़े: स्थानीय समुदाय को कार्यान्वयन प्रक्रिया में सक्रिय रूप से शामिल किया जाए।

जिला खनिज न्यास निधि का उद्देश्य केवल बजट स्वीकृत करना नहीं, बल्कि धरातल पर सकारात्मक परिवर्तन लाना होना चाहिए। इस दिशा में यह बैठक एक सराहनीय प्रयास है, परंतु वास्तविक 'संकल्प से सिद्धि' तक पहुंचने के लिए अभी लंबी यात्रा और निरंतर प्रयास शेष हैं।

Post a Comment

Previous Post Next Post