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रीवा शिक्षा विभाग में प्रशासनिक मनमानी का आरोप, समय पर वेतन मांगना पड़ा महंगा mahanga Aajtak24 News |
रीवा - रीवा जिले के शिक्षा विभाग में शिक्षकों के साथ प्रशासनिक दुर्व्यवहार का एक गंभीर मामला सामने आया है। विकासखंड शिक्षा अधिकारी (VEO) आकांक्षा सोनी द्वारा एक शिक्षक पर झूठी शिकायत दर्ज कराए जाने का आरोप शिक्षक संगठनों ने लगाया है। बताया गया कि शिक्षक केवल अपने वेतन में हो रही देरी का कारण जानने उनके कार्यालय पहुँचे थे, लेकिन जवाब देने के बजाय उन्हें धमकियां मिलीं और बाद में उन पर अनुचित आरोप लगाते हुए कलेक्टर कार्यालय में शिकायत भी कर दी गई।
वेतन पूछने पर मिली धमकी — शिक्षक बोले: डर के मारे कुछ नहीं बोला, फिर भी किया बदनाम
मामले की शुरुआत 3 जुलाई को उस वक्त हुई, जब एक शिक्षक जो बैंक से लिए गए लोन के कारण पहले से मानसिक दबाव में थे अपने वेतन भुगतान में हो रही देरी के संबंध में जानकारी लेने रीवा विकासखंड शिक्षा अधिकारी आकांक्षा सोनी के पास पहुँचे। शिक्षक का आरोप है कि जैसे ही उन्होंने वेतन संबंधी प्रश्न उठाया, अधिकारी उन पर बरस पड़ीं और निलंबन एवं बर्खास्तगी की धमकी तक दे डाली। शिक्षक ने बताया कि वे बेहद संयमित रहे और किसी भी तरह की बहस या अनुचित व्यवहार से बचे, लेकिन अधिकारी ने अपने नजदीकी अटैच शिक्षकों के कहने पर बाद में कलेक्टर को लिखित शिकायत भेज दी, जिसमें शिक्षक पर अभद्रता का आरोप लगाया गया। यह आरोप अब सीसीटीवी फुटेज से खारिज हो सकता है, क्योंकि जिस दिन शिकायत की गई, उस दिन शिक्षक VEO कक्ष में गए ही नहीं थे।
शिक्षकों में आक्रोश, CCTV फुटेज से हो सकती है सच्चाई उजागर
शिक्षक का कहना है कि वे केवल उस दिन स्कूल परिसर में मीडिया को बयान देते समय मौजूद थे, जो कि वैधानिक और शांतिपूर्ण प्रक्रिया है। न तो अधिकारी से कोई बातचीत हुई और न ही उनके कक्ष में प्रवेश किया गया। इस बात की पुष्टि के लिए स्कूल परिसर में लगे CCTV कैमरों की फुटेज जांची जा सकती है, जिससे सच सामने आ जाएगा।
शिक्षक संघ का बड़ा आरोप विकासखंड शिक्षा अधिकारी के कार्यकाल में बढ़ा तनाव
मामले को गंभीरता से लेते हुए मध्यप्रदेश शिक्षक संघ के जिला अध्यक्ष श्री जीतेंद्र चतुर्वेदी ने कलेक्टर प्रतिभा पाल को ज्ञापन सौंपा है, जिसमें VEO आकांक्षा सोनी की कार्यशैली पर गंभीर आपत्ति जताई गई है। ज्ञापन में कहा गया है कि जब से आकांक्षा सोनी को विकासखंड शिक्षा अधिकारी का प्रभार सौंपा गया है, तभी से शिक्षकों के साथ अभद्र व्यवहार, मानसिक उत्पीड़न और मनमानी का सिलसिला जारी है।
शिक्षक संघ का यह भी आरोप है कि अधिकारी ने दर्जनों शिक्षकों को अटैच कर रखा है, जो स्पष्ट रूप से नियमों का उल्लंघन है। सरकारी आदेश और विधानसभा में उठाए गए प्रश्नों के बावजूद शिक्षकों को गैर-शैक्षणिक कार्यों में लगाना प्रतिबंधित है, बावजूद इसके अधिकारियों की मनमानी रुकने का नाम नहीं ले रही। यह घटना न केवल एक शिक्षक की गरिमा के हनन का मामला है, बल्कि यह शिक्षा विभाग की प्रशासनिक पारदर्शिता पर भी बड़ा प्रश्नचिन्ह है। जब एक शिक्षक अपने अधिकार के लिए भी सवाल नहीं पूछ सकता और उसे जवाब की जगह धमकी व बदनामी मिले, तो यह लोकतांत्रिक मूल्यों के विरुद्ध है। आवश्यक है कि जिला प्रशासन निष्पक्ष जांच कर सत्य को सामने लाए और यह सुनिश्चित करे कि शिक्षक भयमुक्त वातावरण में अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर सकें। अगर आप चाहें तो इस समाचार के साथ संबंधित दस्तावेज़, ज्ञापन या CCTV फुटेज का हवाला देकर रिपोर्ट को और अधिक प्रमाणिक बनाया जा सकता है।