![]() |
रीवा में 'करंट की राजनीति': किसानों की जिंदगी झुलसी, नेता और प्रशासन मौन, 'कटिया कनेक्शन' बना मौत का जाल jal Aajtak24 News |
रीवा - रीवा जिले में अवैध 'कटिया कनेक्शन' का जाल अब जनजीवन के लिए घातक साबित हो रहा है। एक दर्दनाक घटना में जहां एक अधेड़ व्यक्ति की करंट लगने से मौत हो गई, वहीं एक किसान खेत में करंट से झुलसकर जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहा है। इन गंभीर हादसों के बावजूद जनप्रतिनिधियों की चुप्पी और प्रशासन की आंखें बंद होना कई सवाल खड़े कर रहा है। सरकार की नाक के नीचे वर्षों से चला आ रहा यह 'कटिया कनेक्शन रैकेट' न केवल भ्रष्टाचार की खुली मिसाल बन चुका है, बल्कि अब मौत का तंत्र बनता जा रहा है।
गढ़ थाना क्षेत्र में दो बड़ी घटनाएं: 'करंट' बना काल
गढ़ थाना क्षेत्र में 29 जुलाई को दोपहर लगभग ढाई से तीन बजे के बीच गोरहा तालाब के पास अगनू साकेत (52 वर्ष), निवासी ग्राम गढ़, की करंट लगने से मौके पर ही मौत हो गई। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, एक सूखे बबूल के पेड़ में अवैध कटिया तार से बिजली प्रवाहित हो रही थी और पेड़ के नीचे पानी भरा था। जैसे ही अगनू साकेत उसके संपर्क में आए, उन्हें जोरदार करंट लगा। सूचना पर पहुंची गढ़ थाना पुलिस ने जांच शुरू कर दी है। थाना प्रभारी अवनीश पांडे ने इसे करंट से हुई मौत का मामला बताया है और शव को पोस्टमार्टम के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गंगेव भेजा गया है। इसी थाना क्षेत्र में 14 जुलाई 2025 को ग्राम जमुई खुर्द निवासी किसान सत्यनारायण पटेल भी कटिया कनेक्शन के कारण गंभीर रूप से झुलस गए। अपने खेत में ट्रैक्टर से जुताई करते समय, खेत के पास लगे ट्रांसफार्मर से खींचे गए अवैध कटिया तार को हटाने के प्रयास में उन्हें तेज करंट लगा। गंभीर रूप से झुलसे सत्यनारायण को पहले सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल रीवा ले जाया गया, जहां से हालत गंभीर होने पर नागपुर के लता मंगेशकर हॉस्पिटल रेफर किया गया। सत्यनारायण पटेल अब जीवन और मृत्यु के बीच संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन जिम्मेदार जनप्रतिनिधि, बिजली विभाग और प्रशासन तीनों ही चुप्पी साधे बैठे हैं।
उपमुख्यमंत्री के क्षेत्र में 'जवाबदेही शून्य'?
यह घटनाएं केवल तकनीकी चूक नहीं, बल्कि सत्ताधारी नेतृत्व की संवेदनहीनता और शासन-प्रशासन की घोर लापरवाही का प्रत्यक्ष प्रमाण हैं। राजेन्द्र शुक्ल, जो वर्तमान में मध्यप्रदेश के उपमुख्यमंत्री और 'विकास पुरुष' हैं, पिछले दो दशकों से सत्ता के शीर्ष में भागीदारी कर रहे हैं। लेकिन आज उन्हीं के गृह जिले में किसान बिजली के करंट से झुलसकर मरने की कगार पर हैं। यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या रीवा की जनता की जान की कीमत चुनावी भाषणों और विकास के होर्डिंग्स से भी कम रह गई है?
'कटिया कनेक्शन' नहीं, 'सत्ता-संरक्षित मौत का तंत्र'
गांव-गांव में ट्रांसफार्मर से अवैध कटिया तार बिछाकर बिना खंभों के बिजली पहुंचाई जा रही है। नियमों के विरुद्ध 50 मीटर से अधिक दूरी तक कटिया खींचना अपराध है, लेकिन यहां 500-1000 मीटर तक तार फैले हुए हैं। आरोप है कि ठेकेदार और बिजली विभाग के कर्मचारी घूस लेकर अवैध कनेक्शन बांट रहे हैं, और पूरे सिस्टम में कोई जवाबदेह नहीं है। यह कोई तकनीकी त्रुटि नहीं — यह एक सत्ता-संरक्षित हत्या का जाल है।
कलेक्टर की 'कुंभकर्णी नींद' और जिम्मेदारों की चुप्पी
इस गंभीर स्थिति पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं:
जिला कलेक्टर ने अब तक घटनास्थल का निरीक्षण क्यों नहीं किया?
बिजली विभाग ने एफआईआर दर्ज कर जिम्मेदारों पर कार्यवाही क्यों नहीं की?
विद्युत आपूर्ति के संपूर्ण सिस्टम की जांच क्यों नहीं हुई?
क्या प्रशासन केवल मुआवज़े और बयानबाजी तक सीमित है या सच में जवाबदेही तय करेगा?
किसान, खेत और करंट — क्या यही है 'विकास का चेहरा'?
यह हादसा उस रीवा में हुआ है जो विंध्य की राजनीति का केंद्र रहा है। यही वह क्षेत्र है जहां विकास की नुमाइशें लगती हैं और जनप्रतिनिधि 'विकास पुरुष' के नारों से सभाएं करते हैं। लेकिन जमीन पर गांवों में बिजली नहीं, बल्कि खतरनाक करंट बह रहा है, और नेता सोशल मीडिया पर चुप्पी का कंबल ओढ़े बैठे हैं। क्या अब भी इस 'विकास के नायक' से यह सवाल पूछना अपराध होगा कि आपके क्षेत्र के किसानों की जान की जिम्मेदारी कौन लेगा? यह स्थिति दिखाती है कि विकास अब वाक्य नहीं, बल्कि एक विडंबना बन चुका है। अगर रीवा जैसा संभागीय मुख्यालय ही बिजली के तारों से लोगों को जला रहा है, तो शेष ग्रामीण अंचलों की स्थिति की कल्पना भी भयावह है। सरकार के पास अब दो ही विकल्प हैं: या तो इस 'करंट वाले विकास' को स्वीकार करें, या जनता की पीड़ा को सुनें, नींद से जागें और दोषियों को सजा दिलाएं। (नोट: इस समाचार में दिए गए तथ्यों की स्वतंत्रता पूर्वक पुष्टि नहीं की जा सकती है, किंतु यह स्थिति अत्यंत चिंतनीय है। जिले के वरिष्ठ अधिकारी एवं ईमानदार नेताओं और जनप्रतिनिधियों से इस मामले में त्वरित कार्यवाही कर पीड़ित परिवार की मदद करने की अपेक्षा की जाती है, ताकि प्रदेश की जनता खुशहाल और सुरक्षित जीवन जी सके।