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रीवा की नदियाँ खतरे में: अतिक्रमण से बाढ़ का मंडराया खतरा, अधिवक्ता बी.के. माला ने कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन gyapan Aajtak24 News |
रीवा - रीवा जिले की जीवनदायिनी नदियाँ — बिहड़, बिछिया, चंदुआ, धीरमा, अमाहिया, करहिया, रतहरा, और अनंतपुर टेकुआ — आज गंभीर संकट का सामना कर रही हैं। इन नदियों और जलधाराओं के किनारों पर हो रहे अवैध अतिक्रमण, प्लाटिंग और निर्माण कार्य के कारण वर्षा ऋतु में बाढ़ का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है। इस गंभीर स्थिति को लेकर वरिष्ठ अधिवक्ता एवं सामाजिक कार्यकर्ता बी.के. माला ने 21 जुलाई 2025 को कलेक्टर रीवा और एसडीएम हुजूर को एक विस्तृत लिखित आवेदन सौंपा है, जिसमें तत्काल कार्रवाई की मांग की गई है।
नदियों का प्राकृतिक प्रवाह बाधित, एनजीटी नियमों का उल्लंघन
बी.के. माला द्वारा प्रस्तुत आवेदन पत्र के अनुसार, नदियों के दोनों किनारों को समतल कर धड़ल्ले से प्लाटिंग की जा रही है, जिससे जलधाराओं का प्राकृतिक प्रवाह अवरुद्ध हो गया है। अवैध रूप से बनाई गई सड़कें, फार्म हाउस, बिल्डिंग्स और मकानों ने नदियों को संकुचित कर दिया है, जिससे पानी का बहाव रुकने लगा है और जलभराव की स्थिति उत्पन्न हो रही है, जो बाढ़ का रूप ले रही है। ज्ञापन में इस बात पर विशेष जोर दिया गया है कि एनजीटी (राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण) के स्पष्ट दिशा-निर्देशों के अनुसार नदियों के 50 मीटर क्षेत्र में किसी भी पक्के निर्माण पर प्रतिबंध है, लेकिन इसके बावजूद इन नियमों की धज्जियाँ उड़ाई जा रही हैं। इको-पार्क जैसी परियोजनाएं भी नदियों के अत्यंत समीप निर्मित की जा रही हैं, जिससे नदियों की सतही भूमि और पर्यावरणीय संरचना को गंभीर नुकसान पहुँच रहा है।
इको पार्क पर सवाल: क्या ये बन रहे हैं आपदा का आधार?
आवेदन में विशेष रूप से नदियों के किनारे बनाए गए इको-पार्कों की संरचना पर सवाल उठाए गए हैं। बी.के. माला ने कहा है कि इन पार्कों का निर्माण बिना किसी हाइड्रोलॉजिकल या पर्यावरणीय आकलन के किया गया है। जहां पहले वर्षा जल बिना किसी अवरोध के बहता था, वहीं अब पक्के निर्माणों ने जल मार्ग को रोक दिया है, जिससे आसपास के क्षेत्र जलमग्न हो रहे हैं और स्थानीय लोगों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। अधिवक्ता माला का आरोप है कि इको पार्क की आड़ में हो रहे ये निर्माण कार्य न केवल पर्यावरणीय अपराध हैं, बल्कि भविष्य की संभावित आपदाओं को भी न्योता दे रहे हैं।
नालों पर भी अतिक्रमण, जलनिकासी बाधित
न सिर्फ नदियाँ, बल्कि चंदुआ, धीरमा, अमाहिया, करहिया, रतहरा और अनंतपुर जैसे बड़े-छोटे नालों पर भी अवैध अतिक्रमण कर प्लाटिंग कर दी गई है। इन क्षेत्रों में पानी की निकासी पूरी तरह से रुक गई है, जिससे रीवा शहर और आसपास के ग्रामीण इलाकों में जलभराव और बाढ़ का खतरा और बढ़ गया है। बी.के. माला ने अपने आवेदन में यह भी बताया है कि इन नालों में कचरा फेंकने और भूमि भराव के कारण जल बहाव की दिशा ही बदल गई है।
प्रशासन की चुप्पी पर सवाल, माफिया बेखौफ
बी.के. माला ने आरोप लगाया है कि इस गंभीर विषय में प्रशासन को पहले भी सूचित किया गया था, लेकिन आज तक न तो किसी अधिकारी ने स्थल निरीक्षण किया और न ही कोई रोकथाम की कार्रवाई की गई। उन्होंने इसे प्रशासनिक लापरवाही नहीं, बल्कि संभावित मिलीभगत का संकेत बताया है। कई स्थानों पर बिना टीएनसीपी की स्वीकृति, बिना नगर निगम की अनुमति और बिना किसी वैध प्रक्रिया के अवैध कॉलोनियाँ तैयार की जा रही हैं, जिससे भू-माफिया बेखौफ होकर काम कर रहे हैं।
जनहित याचिका की चेतावनी, कड़ी कार्रवाई की मांग
बी.के. माला ने अपने ज्ञापन के अंत में स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि शीघ्र ही अतिक्रमण हटाने की दिशा में ठोस कार्रवाई नहीं होती है, तो वे इस विषय पर न्यायालय की शरण लेने को बाध्य होंगे और जनहित याचिका दायर करेंगे। उन्होंने प्रशासन से तत्काल निम्नलिखित कदम उठाने की मांग की है:
सभी नदियों और नालों के 50 मीटर क्षेत्र में हुए सभी पक्के निर्माणों को तत्काल प्रभाव से हटाया जाए।
अवैध प्लाटिंग करने वाले माफियाओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर कानूनी कार्रवाई की जाए।
इको पार्क और अन्य परियोजनाओं की तकनीकी समीक्षा कर उनके पर्यावरणीय प्रभाव का आकलन किया जाए।
नगर निगम, टीएनसीपी और संबंधित प्रशासनिक अधिकारियों की जिम्मेदारी तय कर पूरी घटना की जांच कराई जाए।
यह मामला रीवा की प्राकृतिक विरासत और स्थानीय आबादी के लिए एक गंभीर चुनौती बन गया है, जिस पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है।