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सीएम राइज स्कूल में शिक्षक से मारपीट: हेडमास्टर पर FIR, आरोपी फरार; व्यवस्था पर उठे सवाल saval Aajtak24 News |
रीवा - रीवा जिले के मनगवां स्थित सीएम राइज संदीपनि विद्यालय में मंगलवार को उस समय हड़कंप मच गया जब स्कूल परिसर में ही एक शिक्षक के साथ प्रधानाध्यापक द्वारा मारपीट की घटना सामने आई। पीड़ित शिक्षक बाल्मीक प्रसाद तिवारी ने, जो प्राथमिक विभाग में अध्यापक हैं, मनगवां थाना में इसकी लिखित शिकायत दर्ज कराई है। पुलिस ने आरोपी प्रधानाध्यापक दयाशंकर त्रिपाठी के खिलाफ शासकीय कार्य में बाधा और मारपीट की धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया है, हालांकि आरोपी घटना के बाद से फरार है। प्राथमिक जानकारी के अनुसार, स्कूल कार्यालय में बाल्मीक प्रसाद तिवारी और प्रधानाध्यापक दयाशंकर त्रिपाठी के बीच किसी बात को लेकर विवाद शुरू हुआ, जो जल्द ही गाली-गलौज और फिर हाथापाई में बदल गया। आरोप है कि प्रधानाध्यापक ने शिक्षक को न केवल गालियाँ दीं, बल्कि बेरहमी से लात-घूँसों से उसकी पिटाई भी की। इस हमले में बाल्मीक तिवारी के हाथ की एक उंगली टूट गई है, जिसके बाद उन्हें इलाज के लिए रीवा जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है। पुलिस ने बताया कि आरोपी प्रधानाध्यापक दयाशंकर त्रिपाठी घटना के बाद से फरार है और उसकी तलाश जारी है। वहीं, विद्यालय के प्राचार्य के.सी. अवधिया ने इस पूरे मामले की जानकारी उच्च अधिकारियों को भेजने की बात कही है।
प्रशासनिक शिथिलता और अनुशासनहीनता पर गंभीर प्रश्न
इस घटना ने न केवल सीएम राइज विद्यालय की आंतरिक अनुशासन व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि शिक्षा जैसे पवित्र और महत्वपूर्ण क्षेत्र में बढ़ती अराजकता की एक चिंताजनक तस्वीर भी पेश की है। एक ओर जहाँ राज्य सरकार इन 'सीएम राइज' विद्यालयों को 'मॉडल स्कूल' के रूप में विकसित करने पर जोर दे रही है, वहीं शिक्षकों के बीच इस तरह की घटनाएँ शिक्षण की गुणवत्ता और विद्यालय के संस्कारों पर गहरे प्रश्नचिह्न लगाती हैं।यह भी ध्यान देने योग्य है कि यह पहला अवसर नहीं है जब इस विद्यालय से शिक्षकों के बीच मनमुटाव और व्यवहारिक असंतुलन की शिकायतें सामने आई हों। भले ही विद्यालय भवन शानदार बन गया हो और बच्चों की संख्या हजारों में पहुँच चुकी हो, लेकिन अंदर का माहौल शिक्षण के लिए कितना सुरक्षित और अनुकूल है, यह घटना स्वयं बयां कर रही है।
अब क्या होगी आगे की कार्रवाई?
विद्यालयों में इस तरह की घटनाएँ केवल शिक्षा व्यवस्था पर ही नहीं, बल्कि शासन-प्रशासन की जवाबदेही पर भी सवाल उठाती हैं। मनगवां जैसे क्षेत्रों में जब 'सीएम राइज' जैसी योजनाएँ शिक्षण की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए चलाई जा रही हैं, तब ऐसे घटनाक्रम सरकार की मंशा को विफल करने का काम करते हैं। अब जनता, अभिभावक और छात्र-छात्राएँ यह जानना चाहते हैं कि क्या केवल एफआईआर दर्ज कर देने भर से यह मामला समाप्त हो जाएगा? या फिर शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन मिलकर इस अराजकता पर कोई कड़ी और ठोस कार्रवाई करेंगे, ताकि विद्यालयों में एक बार फिर से अनुशासन और सकारात्मक शिक्षण माहौल स्थापित हो सके?