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रीवा एयरपोर्ट की बाउंड्री वॉल ढही: 'विकास' पर उठे गंभीर सवाल, भ्रष्टाचार का आरोप aarop Aajtak24 News |
रीवा - रीवा एयरपोर्ट की करोड़ों की लागत से बनी नई बाउंड्री वॉल महज कुछ घंटों की बारिश में ही भरभरा कर गिर गई, जिसने 'विकास' के दावों की पोल खोल दी है। लगभग छह महीने पहले ही बनी यह दीवार भ्रष्टाचार और गुणवत्ताहीन कार्यप्रणाली का जीता-जागता उदाहरण बन गई है।
उपमुख्यमंत्री के करीबी अधिकारी पर सवाल
इस निर्माण की निगरानी कर रहे एयरपोर्ट अथॉरिटी के अधिकारी नवनीत चौधरी, जिन्हें उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल का करीबी माना जाता है, पर अब सवाल उठ रहे हैं। स्थानीय स्तर पर पहले ही कार्य में गंभीर अनियमितताओं की चेतावनी दी गई थी, लेकिन इन चेतावनियों को अनसुना कर दिया गया, जिसका परिणाम आज सबके सामने है।
जनता का आक्रोश: "यह विकास नहीं, विनाश है"
दीवार गिरने के बाद जनता में भारी आक्रोश है और इसे "विकास नहीं, विनाश" बताया जा रहा है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि यह पूरा कार्य कमीशनखोरी, राजनीतिक संरक्षण और ठेकेदार लॉबी की साठगांठ का नतीजा है। वरिष्ठ अधिवक्ता और समाजसेवी बीके माला ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "जनता का पैसा जनता की सुविधा के लिए होता है, न कि किसी नेता के खजाने या ठेकेदार की तिजोरी भरने के लिए। एयरपोर्ट जैसी संवेदनशील परियोजना में इस स्तर का भ्रष्टाचार घोर आपराधिक लापरवाही है।
बारिश ने उजागर की निर्माण की खामियां
कुछ ही घंटों की मध्यम वर्षा ने निर्माण एजेंसी और प्रशासन के तमाम दावों की हवा निकाल दी। एयरपोर्ट परिसर की दीवार मिट्टी की दीवार की तरह ढह गई, जिससे स्पष्ट होता है कि निर्माण में गुणवत्ताहीन सामग्री, इंजीनियरिंग और मानकों की घोर अनदेखी की गई। विशेषज्ञों के अनुसार, जिस दीवार को वर्षों तक टिकना था, उसका छह महीने भी न टिक पाना केवल एक तकनीकी दुर्घटना नहीं, बल्कि व्यवस्थागत गिरावट का प्रमाण है।
पूरे शहर में बदहाली का मंजर
केवल एयरपोर्ट ही नहीं, पूरे रीवा शहर की अधोसंरचना की सच्चाई भी पहली बारिश ने उजागर कर दी। जल निकासी की उचित व्यवस्था न होने के कारण शहर के अनेक मोहल्ले जैसे चोरहटा, बिछिया, रतहरा, सिविल लाइन तालाब में तब्दील हो गए हैं। जनता सवाल कर रही है कि "विकास कार्यों के नाम पर हर साल करोड़ों खर्च होते हैं, तो फिर यह बदहाली क्यों?"
उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल की जवाबदेही पर प्रश्न
यह सवाल अब हर नागरिक के मन में है कि अनुभवी जनप्रतिनिधि राजेंद्र शुक्ल, जो स्वयं इंजीनियरिंग की पृष्ठभूमि से आते हैं, क्या इस जिम्मेदारी से बच सकते हैं? क्या वे बताएंगे कि निर्माण कार्यों की गुणवत्ता की निगरानी उन्होंने क्यों नहीं की? रीवा एयरपोर्ट की दीवार गिरने से न केवल सरकारी लापरवाही उजागर हुई है, बल्कि पूरे विकास मॉडल की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े हो गए हैं। यह घटना अब जांच और कार्रवाई की नहीं, बल्कि प्रणालीगत पुनरावलोकन की मांग कर रही है। सरकार को चाहिए कि दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करते हुए स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराए, ताकि जनता का विश्वास बहाल हो सके। रीवा का विकास अब सवालों के घेरे में है, और जवाब ज़रूरी है।