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आंगनबाड़ी केंद्र की सुरक्षा पर गंभीर सवाल: खुले बोरवेल, खंडहरनुमा भवन और प्रशासन की घोर लापरवाही से मासूमों की जान खतरे में Aajtak24 News |
रीवा - जिले के मंगवा तहसील की ग्राम पंचायत गढ़ (जनपद पंचायत गंगेव) में महिला एवं बाल विकास विभाग के अंतर्गत संचालित आंगनबाड़ी केंद्र प्रशासनिक लापरवाही और संवेदनहीनता का प्रतीक बन गया है। यह केंद्र न केवल जर्जर भवन में संचालित हो रहा है, बल्कि इसकी चारदीवारी, साफ-सफाई, संरचना और सुरक्षा की हालत भी भयावह है। ऐसे में यहां आने वाले मासूम बच्चों, धात्री महिलाओं और किशोरी बालिकाओं की जान हर दिन खतरे में पड़ी हुई है।
सुरक्षा के नाम पर जीरो इंतजाम: एक साल से खुला पड़ा है बोरवेल
स्थानीय सूत्रों के अनुसार यह आंगनबाड़ी केंद्र एक व्यस्त तिराहे पर स्थित है, जहां चारों तरफ आम और जामुन के पेड़ हैं। परिसर के भीतर एक खुला बोरवेल पिछले एक वर्ष से ऐसे ही पड़ा है — न कोई ढक्कन, न कोई सुरक्षा घेरा और न ही कोई चेतावनी चिन्ह। यह स्थिति अपने आप में एक बड़ी दुर्घटना को आमंत्रण देने जैसी है। बच्चे अक्सर पेड़ों के नीचे गिरे फलों को बीनने के लिए परिसर में दौड़ते हैं, और इस दौरान वे कभी भी उस बोरवेल का शिकार हो सकते हैं। इस केंद्र में प्रतिदिन 3 से 6 वर्ष के बच्चे, किशोरी बालिकाएं और धात्री महिलाएं उपस्थित रहती हैं। धात्री महिलाओं के साथ आने वाले नवजात बच्चों की सुरक्षा की कल्पना इसी भयावह परिस्थिति से की जा सकती है।
खंडहरनुमा भवन, गंदगी और भीड़भाड़ से भरा परिसर
यह केंद्र किसी भी दृष्टि से सुरक्षित या स्वास्थ्यकर नहीं है। भवन में दरारें, छतों से झड़ती पलस्तर, टूटी खिड़कियां और गंदगी का आलम बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य और सुपोषण सभी योजनाओं की नींव को खोखला करता है। यहाँ एक साथ कई वर्ग — छोटे बच्चे, किशोरी बालिकाएं और धात्री महिलाएं — एक ही परिसर में रहते हैं, जिससे भीड़ और अव्यवस्था और भी बढ़ जाती है। खुले बोरवेल के बीच यह स्थिति खतरे को कई गुना बढ़ा देती है।
जिला कलेक्टर के आदेशों की खुलेआम अवहेलना
सबसे गंभीर बात यह है कि रीवा ज़िला कलेक्टर द्वारा पूर्व में सभी पंचायतों को स्पष्ट निर्देश दिए गए थे कि किसी भी स्थान पर कोई भी बोरवेल खुला न छोड़ा जाए। यदि ऐसा पाया गया तो संबंधित ज़िम्मेदारों पर कठोर कार्यवाही तय है। इन निर्देशों के बावजूद गढ़ क्षेत्र में एक साल से यह बोरवेल खुलेआम पड़ा है — न किसी ने इसकी सूचना दी, न बंद कराया और न ही प्रशासनिक कार्रवाई हुई। यह प्रशासनिक आदेशों की खुलेआम अवहेलना और ज़मीनी स्तर पर शासन-प्रशासन की निष्क्रियता का प्रमाण है। जब कलेक्टर के स्पष्ट निर्देश तक लागू नहीं हो रहे, तो सवाल उठता है कि स्थानीय पटवारी, सरपंच और जनपद अधिकारी क्या कर रहे हैं?
जिम्मेदार कौन? कोई जवाब देने को तैयार नहीं
यह केंद्र मुख्य तिराहे पर स्थित है, जहां रोजाना दर्जनों लोग आते-जाते हैं। इसके बावजूद न हल्का पटवारी, न सरपंच और न ही जनपद या राजस्व विभाग का कोई अधिकारी इस खतरे को लेकर सजग दिखाई देता है। जब विंध्य वसुंधरा समाचार ने इस मुद्दे की तह तक जाने के लिए प्रशासनिक अधिकारियों से संपर्क किया, तो किसी के पास भी स्पष्ट उत्तर नहीं था कि यह बोरवेल किसने खुदवाया, क्यों छोड़ा गया, और इसे बंद करने की ज़िम्मेदारी किसकी है।
समाचार पत्र के माध्यम से उठे सवाल:
1. क्या आंगनबाड़ी जैसी संवेदनशील जगह पर खुले बोरवेल की अनदेखी एक गंभीर प्रशासनिक अपराध नहीं है?
2. जब हर दिन दर्जनों बच्चे यहां आते हैं, तब भी किसी अधिकारी या जनप्रतिनिधि की नजर क्यों नहीं पड़ी?
3. एक वर्ष से अधिक समय बीतने के बावजूद इस बोर को बंद क्यों नहीं कराया गया?
4. क्या प्रशासन किसी मासूम की जान जाने के बाद ही जागेगा?
रीवा जिले में बच्चों के स्वास्थ्य, पोषण और सुरक्षा को लेकर जो योजनाएं चल रही हैं, उनकी हकीकत इस एक आंगनबाड़ी केंद्र से उजागर हो जाती है। यह केवल एक जगह की नहीं, बल्कि पूरे तंत्र की कार्यप्रणाली पर बड़ा प्रश्नचिन्ह है। यदि प्रशासन इस मामले में तत्परता नहीं दिखाता, तो यह लापरवाही कभी भी एक मासूम की जान लेकर पूरे तंत्र को कठघरे में खड़ा कर सकती है।