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मऊगंज में 'जल संसाधन' का 'लापता' दफ्तर: 23 महीने बाद भी सिर्फ बोर्ड बढ़ा रहा शोभा, कलेक्टर सख्त sakhat Aajtak24 News |
मऊगंज/मध्य प्रदेश - मऊगंज को नया जिला बने लगभग दो साल होने वाले हैं, पर कई सरकारी दफ्तर अभी भी सिर्फ कागजों पर ही यहाँ मौजूद हैं। ऐसा ही एक चौंकाने वाला मामला जल संसाधन संभाग मऊगंज के कार्यपालन यंत्री के कार्यालय का है, जो मऊगंज की चाक रोड स्थित सिंचाई विभाग कॉलोनी में केवल एक बोर्ड बनकर रह गया है। हकीकत में यह दफ्तर 'लापता' है और इसका संचालन आज भी रीवा से हो रहा है। दूर-दराज़ से आने वाले लोगों के लिए यह दफ्तर एक अबूझ पहेली बन गया है। वे रोज़ इसकी तलाश में भटकते हैं, लेकिन वहाँ सिर्फ एक बोर्ड नज़र आता है। स्थानीय नागरिकों की मानें तो यह बोर्ड तीन महीने पहले लगाया गया था, पर तब से अब तक कोई अधिकारी या कर्मचारी यहाँ बैठा ही नहीं। इससे आम जनता को भारी परेशानी हो रही है, क्योंकि छोटे-छोटे कामों के लिए भी उन्हें पुराने जिले रीवा के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं।
नवागत कलेक्टर की सख्ती, कार्रवाई के संकेत
यह स्थिति न केवल प्रशासनिक ढिलाई को दिखाती है, बल्कि जिम्मेदार अधिकारियों की कार्यशैली पर भी गंभीर सवाल खड़े करती है। मऊगंज के नवागत कलेक्टर संजय कुमार जैन ने कार्यभार संभालते ही सभी विभागों को स्पष्ट निर्देश दिए थे कि वे अपने कार्यालय मऊगंज में ही संचालित करें। उनका कहना था कि नए जिले का गठन ही इसलिए हुआ है ताकि लोगों को अपनी समस्याओं के समाधान के लिए रीवा की दौड़ न लगानी पड़े। कलेक्टर जैन ने इस मुद्दे पर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा, "यहाँ कई विभागों की स्थायी पोस्टिंग नहीं हुई है। हम लगातार पत्राचार कर रहे हैं। यदि कार्यपालन यंत्री की पोस्टिंग स्थायी है और कार्यालय मऊगंज में संचालित नहीं हो रहा है तो निश्चित रूप से कार्रवाई की जाएगी। कलेक्टर के इन निर्देशों के बाद भी यदि जल संसाधन विभाग का कार्यालय नहीं खुल रहा है, तो यह सीधे तौर पर जनता के हितों की अनदेखी है। अब देखना होगा कि प्रशासन इस गंभीर मामले में कितनी जल्दी संज्ञान लेता है और लापरवाह अधिकारियों पर ठोस कार्रवाई कर जनता को राहत पहुँचाता है। यह मऊगंज के नए जिले के रूप में सफल होने की राह में एक बड़ी चुनौती बना हुआ है।