अभियान की रूपरेखा: समुदाय आधारित स्वास्थ्य क्रांति
जिला टीकाकरण अधिकारी डॉ. बसंत अग्निहोत्री ने बताया कि अभियान के पहले चरण में 19 जुलाई तक स्वास्थ्य कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। इसमें एएनएम, आशा कार्यकर्ता, सीएचओ और एलएचवी को शामिल किया गया है, ताकि वे हाई-रिस्क इन्फेंट (जोखिमग्रस्त शिशुओं) की पहचान कर सकें और उन्हें समय पर उपचार उपलब्ध करा सकें। यह प्रशिक्षण समुदाय स्तर पर स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित करेगा।
मुख्य घटक: बच्चों के स्वास्थ्य पर व्यापक फोकस
यह अभियान कई महत्वपूर्ण घटकों पर केंद्रित है:
डायरिया नियंत्रण: प्रत्येक बच्चे को 2 ओआरएस पैकेट और जिंक टैबलेट दिए जाएंगे।
कुपोषण एवं एनीमिया प्रबंधन: गंभीर कुपोषित बच्चों की पहचान कर उन्हें पोषण पुनर्वास केंद्रों (NRC) से जोड़ा जाएगा।
निमोनिया एवं अन्य संक्रमणों की रोकथाम: बीमारियों का शीघ्र निदान और उचित रेफरल सुनिश्चित किया जाएगा।
स्वच्छता जागरूकता: ओआरएस घोल बनाने की सही विधि, हाथ धोने का तरीका और स्वच्छता के महत्व पर अभिभावकों को प्रशिक्षित किया जाएगा।
ट्रिपल-एसी मॉडल: आशा, आंगनवाड़ी और एएनएम का समन्वय
'दस्तक अभियान' की सबसे बड़ी ताकत समुदाय स्तर पर सामूहिक भागीदारी है। आशा, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और एएनएम मिलकर घर-घर जाकर बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण करेंगी। विशेष रूप से हाई-रिस्क चाइल्ड (जोखिमग्रस्त बच्चों) की सूची तैयार की जाएगी ताकि उन पर अतिरिक्त ध्यान दिया जा सके। वीएचएसएनडी (ग्राम स्वास्थ्य, स्वच्छता एवं पोषण दिवस) के माध्यम से नियमित सेवाएं प्रदान की जाएंगी, और छूटे हुए बच्चों के लिए होम विजिट भी किए जाएंगे, ताकि कोई भी बच्चा लाभ से वंचित न रहे।
स्वास्थ्य विभाग की प्रतिबद्धता: "हर बच्चा स्वस्थ, हर घर खुशहाल"
सीएमएचओ डॉ. संजीव शुक्ला ने जोर देकर कहा कि यह अभियान केवल एक औपचारिकता नहीं, बल्कि एक जन-आंदोलन है। उनका लक्ष्य है कि रीवा का कोई भी बच्चा कुपोषण, डायरिया या निमोनिया जैसी रोकथाम योग्य बीमारियों का शिकार न बने। जिला कार्यक्रम प्रबंधक राघवेंद्र मिश्रा ने बताया कि प्रशिक्षित कैडर अब गांव-गांव जाकर अभियान को सफल बनाएंगे। उन्होंने कहा कि पिछले वर्षों के अनुभवों से सीखते हुए इस बार और अधिक व्यवस्थित तरीके से कार्य किया गया है। 'दस्तक अभियान' सिर्फ एक स्वास्थ्य कार्यक्रम नहीं है, बल्कि यह सामाजिक परिवर्तन का माध्यम है। स्वस्थ बचपन एक समृद्ध राष्ट्र की नींव होता है। यदि आज हम बच्चों को स्वस्थ रखने में सफल होते हैं, तो भविष्य में राष्ट्र की उत्पादकता, शिक्षा और आर्थिक विकास को गति मिलेगी। हालांकि, ग्रामीण अंचलों तक पहुंच सुनिश्चित करना, अभिभावकों में जागरूकता बढ़ाना और स्वास्थ्य कर्मियों का मनोबल बनाए रखना जैसी चुनौतियां भी हैं। यदि यह अभियान पूर्ण निष्ठा और समर्पण के साथ चलाया जाता है, तो निश्चित ही रीवा शिशु स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक मिसाल कायम कर सकता है।