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AAP पर ED का बड़ा शिकंजा: नई दिल्ली में तीन 'घोटालों' में दर्ज हुए केस, केजरीवाल सरकार के नेताओं की बढ़ेगी मुसीबत Aajtak24 News |
नई दिल्ली - दिल्ली में आम आदमी पार्टी (आप) और उसकी सरकार के लिए अब मुश्किलें कई गुना बढ़ने वाली हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने दिल्ली में हुए तीन कथित बड़े घोटालों – अस्पताल निर्माण, सीसीटीवी इंस्टॉलेशन और दिल्ली अर्बन शेल्टर इम्प्रूवमेंट बोर्ड (DUSIB) से जुड़े मामलों – में मनी लॉन्ड्रिंग के तहत इन्फोर्समेंट केस इन्फॉर्मेशन रिपोर्ट्स (ECIRs) दर्ज कर ली हैं। ये ECIRs, जो एक एफआईआर के बराबर हैं, इशारा करती हैं कि ED अब इन मामलों में दिल्ली सरकार के शीर्ष पदाधिकारियों और आप नेताओं की भूमिका की गहन जांच शुरू कर चुकी है। सूत्रों के मुताबिक, जल्द ही आप के कई बड़े नेताओं को नई दिल्ली स्थित ED मुख्यालय में पूछताछ के लिए समन किया जा सकता है, जिससे राजधानी के राजनीतिक गलियारों में हड़कंप मच गया है।
तीनों बड़े घोटालों से जुड़े गंभीर आरोप और जांच का दायरा
1. कथित अस्पताल निर्माण घोटाला: ₹5,590 करोड़ का अनुमानित घपला
यह मामला 2018-19 में दिल्ली में केजरीवाल सरकार द्वारा 24 अस्पतालों के निर्माण को मंजूरी देने से संबंधित है। इन परियोजनाओं में अत्याधुनिक आईसीयू सुविधाओं का छह महीने के भीतर निर्माण पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था। हालांकि, ED का आरोप है कि इस महत्वाकांक्षी परियोजना में भारी अनियमितताएं बरती गईं। प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि ₹800 करोड़ से अधिक का भारी-भरकम बजट खर्च होने के बावजूद, काम केवल 50% ही पूरा हो सका है। जांच एजेंसी ने विशेष रूप से दिल्ली सरकार के प्रतिष्ठित लोक नायक अस्पताल (LNJP) परियोजना पर ध्यान केंद्रित किया है, जहां अनुमानित लागत ₹488 करोड़ से बढ़कर चौंका देने वाली ₹1135 करोड़ हो गई। ED को यह भी संदेह है कि कई अस्पतालों का निर्माण बिना उचित नियामक मंजूरी के ही शुरू कर दिया गया, जिससे प्रक्रियागत भ्रष्टाचार की ओर इशारा मिलता है। इसके अलावा, कुछ ठेकेदारों और निजी कंपनियों की भूमिका भी सवालों के घेरे में है, जिन पर नियमों का उल्लंघन कर लाभ पहुंचाने का आरोप है। स्वास्थ्य सूचना प्रबंधन प्रणाली (HIMS), जिसे 2016 में मंजूरी दी गई थी, वह भी अभी तक लंबित है, जो परियोजना प्रबंधन में गंभीर चूक को दर्शाता है। इस कथित घोटाले में दिल्ली के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन और वर्तमान मंत्री सौरभ भारद्वाज की भूमिका की गहन जांच की जा रही है, क्योंकि स्वास्थ्य विभाग उन्हीं के अधीन था।
2. सीसीटीवी इंस्टॉलेशन घोटाला: ₹571 करोड़ की योजना में रिश्वत के आरोप
2019 में, दिल्ली में 1.4 लाख सीसीटीवी कैमरे लगाने की एक महत्वाकांक्षी योजना शुरू की गई थी, जिसका उद्देश्य शहर में सुरक्षा बढ़ाना था। इस परियोजना का कुल बजट ₹571 करोड़ था, और इसका ठेका भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) को दिया गया था। हालांकि, यह परियोजना अपने निर्धारित समय पर पूरी नहीं हो सकी, जिसके परिणामस्वरूप BEL पर ₹17 करोड़ का जुर्माना लगाया गया। ED का आरोप है कि तत्कालीन पीडब्ल्यूडी मंत्री सत्येंद्र जैन ने कथित तौर पर इस जुर्माने को अवैध रूप से माफ करवा दिया। ED को संदेह है कि इस जुर्माने को माफ करने के बदले में, जैन ने ठेकेदारों और बिचौलियों के माध्यम से लगभग ₹7 करोड़ की रिश्वत ली थी। इस मामले में एंटी करप्शन ब्रांच (ACB) ने भी सत्येंद्र जैन के खिलाफ पहले ही एक केस दर्ज कर रखा है, जिससे पता चलता है कि यह मामला पहले से ही जांच के दायरे में था। ED अब मनी लॉन्ड्रिंग के एंगल से इसकी पड़ताल कर रही है कि यह पैसा कहां से आया और इसका इस्तेमाल कैसे किया गया।
3. दिल्ली अर्बन शेल्टर इम्प्रूवमेंट बोर्ड (DUSIB) घोटाला: फर्जीवाड़े और कमीशनखोरी के आरोप
प्रवर्तन निदेशालय ने दिल्ली अर्बन शेल्टर इम्प्रूवमेंट बोर्ड (DUSIB) में भी बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के गंभीर आरोप लगाए हैं। ED का कहना है कि आप सरकार के कार्यकाल के दौरान फर्जी फिक्स्ड डिपॉजिट रसीद (FDR) का उपयोग करके करोड़ों रुपये का घोटाला किया गया। यह एक गंभीर आरोप है, जो वित्तीय धोखाधड़ी और जालसाजी की ओर इशारा करता है। इसके अतिरिक्त, कोरोना महामारी के भयावह दौर में, जब जनता को सबसे अधिक सहायता की आवश्यकता थी, ED ने आरोप लगाया है कि फर्जी दस्तावेजों का उपयोग करके ₹250 करोड़ के ऐसे कामों को दिखाया गया जो वास्तव में कभी हुए ही नहीं। यह आरोप विशेष रूप से परेशान करने वाला है, क्योंकि यह बताता है कि संकट के समय में भी भ्रष्टाचार जारी रहा। ED ने यह भी आरोप लगाया है कि फर्जी कर्मचारियों को वेतन सूची में दिखाकर, उनके नाम पर पैसे निकालकर नेताओं को कमीशन के रूप में दिए गए। इस मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) और एंटी करप्शन ब्रांच (ACB) द्वारा भी की जा रही है, जो इस घोटाले की व्यापकता और इसमें कई एजेंसियों की संलिप्तता को दर्शाता है।
राजनीतिक प्रभाव और आगे की राह
इन तीन बड़े घोटालों में ED द्वारा ECIRs दर्ज किए जाने से आप के लिए कानूनी और राजनीतिक चुनौतियां कई गुना बढ़ गई हैं। यह कार्रवाई ऐसे समय में हुई है जब पार्टी पहले से ही दिल्ली शराब नीति मामले में अपने शीर्ष नेताओं की गिरफ्तारी का सामना कर रही है। सत्येंद्र जैन पहले भी एक अन्य मनी लॉन्ड्रिंग मामले में लंबे समय तक जेल में रह चुके हैं और वर्तमान में जमानत पर बाहर हैं। ED की यह कार्रवाई निश्चित रूप से दिल्ली की राजनीति में एक बड़ा भूचाल लाएगी। विपक्षी दल इन आरोपों को लेकर आप पर हमलावर होंगे, जबकि आप इसे केंद्र सरकार द्वारा राजनीतिक प्रतिशोध की कार्रवाई बता सकती है। आने वाले दिनों में, ED की जांच के तेज होने के साथ, नई दिल्ली की राजनीति में गरमाहट और बढ़ने की उम्मीद है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आप इन आरोपों का सामना कैसे करती है और इन जांचों का पार्टी की भविष्य की रणनीति और छवि पर क्या असर पड़ता है।