थाना परिसर में 'दरबार': राजनीतिक दखलंदाजी और सीसीटीवी फुटेज की मांग
सूत्रों के अनुसार, मनगवां थाना परिसर में कुछ जनप्रतिनिधियों और उनके समर्थकों की बार-बार उपस्थिति दर्ज की जा रही है, जिसे कुछ लोग 'दरबार' जैसी स्थिति बता रहे हैं। जनता में यह संदेह गहरा रहा है कि गांजे की यह कार्रवाई किसी राजनीतिक दबाव या किसी विशेष वर्ग के प्रभाव में की गई हो सकती है। इस संदेह को दूर करने के लिए थाने के सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगालने की मांग की जा रही है, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि थाने में किन-किन संदिग्ध व्यक्तियों का आवागमन रहता है और उनके किन प्रभावशाली लोगों से संबंध हैं। चौंकाने वाली जानकारी यह भी सामने आई है कि कुछ जनप्रतिनिधियों के परिजन एवं समर्थक नशीली दवाओं, कफ सिरप, ब्राउन शुगर और गांजे जैसे मादक पदार्थों के अवैध व्यापार में लिप्त बताए जा रहे हैं। ऐसे लोग कई बार जनप्रतिनिधियों के साथ थाने में देखे गए हैं, जिससे पुलिस पर अप्रत्यक्ष दबाव बढ़ने की आशंका जताई जा रही है।
फोटो-वीडियो का दबाव और थाना प्रभारी की निष्पक्षता पर प्रश्नचिन्ह
कुछ संदिग्ध व्यक्तियों की राजनीतिक नेताओं के साथ तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर भी सामने आए हैं, जिनका उपयोग कथित तौर पर पुलिस पर दबाव बनाने और उनके खिलाफ कार्रवाई न करने का संदेश देने के लिए किया जाता है। पुलिस विभाग के भीतर भी यह चर्चा है कि कुछ अधिकारी इन दबावों के चलते मादक पदार्थों के तस्करों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने से बचते हैं, जिससे अपराधियों के हौसले बुलंद हो रहे हैं। इस पूरे प्रकरण में वर्तमान थाना प्रभारी की निष्पक्षता पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। जागरूक नागरिकों और जनप्रतिनिधियों का कहना है कि यदि थाना प्रभारी पूरी तरह से निष्पक्ष नहीं हैं, तो निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने के लिए उन्हें तत्काल प्रभाव से हटाकर किसी अन्य स्थान पर पदस्थ किया जाना चाहिए। एक स्वतंत्र और स्वच्छ छवि वाले अधिकारी की नियुक्ति की मांग भी उठ रही है ताकि जांच पर कोई राजनीतिक या सामाजिक दबाव न बन सके।
तीन विधायकों का प्रभाव क्षेत्र: मनगवां थाने पर बढ़ता राजनीतिक दबाव
मनगवां थाना क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति इसे राजनीतिक रूप से अत्यधिक संवेदनशील बनाती है। यह थाना क्षेत्र तीन अलग-अलग विधायकों के गृह ग्राम से घिरा हुआ है, जिससे स्थानीय राजनीति का सीधा प्रभाव पुलिस कार्यप्रणाली पर पड़ने की आशंका रहती है। यही नहीं, मध्य प्रदेश के वर्तमान उपमुख्यमंत्री श्री राजेन्द्र शुक्ल स्वयं मऊगंज के विधायक हैं, और उनका गृह क्षेत्र भी इसी इलाके में आता है। ऐसी परिस्थिति में थाने का संचालन और निष्पक्ष पुलिस कार्यवाही करना अपने-आप में एक बड़ी चुनौती बन जाता है।
पुलिस प्रशासन के सामने अग्निपरीक्षा: क्या सच आएगा सामने?
अब आवश्यकता इस बात की है कि जिला और संभाग के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी स्वयं इस पूरे प्रकरण की निगरानी करें। उन्हें न केवल सीसीटीवी फुटेज की विस्तृत जांच करनी चाहिए, बल्कि यह भी देखना चाहिए कि किन लोगों की थाने में बार-बार उपस्थिति होती है और किसके दबाव में पुलिस को निष्पक्ष रूप से कार्य करने में कठिनाई आ रही है। यदि इस गांजा जब्ती मामले को समय रहते गंभीरता से नहीं लिया गया और इसकी निष्पक्ष जांच नहीं कराई गई, तो इससे न केवल पुलिस की कार्यशैली पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगेंगे बल्कि आम जनता का कानून व्यवस्था से विश्वास भी डगमगा जाएगा। मनगवां थाना की यह कार्रवाई आने वाले समय में पुलिस प्रशासन की साख की अग्निपरीक्षा बन गई है। यदि प्रशासन निष्पक्ष जांच कर दोषियों को चिन्हित करता है – चाहे वे अपराधी हों या दबाव बनाने वाले प्रभावशाली लोग – तो यह जनता के लिए एक सकारात्मक संदेश होगा। अन्यथा, यह मामला भी उन घटनाओं की सूची में जुड़ जाएगा, जिनमें सच्चाई सत्ता और सिफारिश की भेंट चढ़ जाती है।