बिना रेट सूची चस्पा किए जिले सहित कस्वे में प्रिंट रेट से ज्यादा रेट में बिक रही शराब sarab Aajtak24 News


बिना रेट सूची चस्पा किए जिले सहित कस्वे में प्रिंट रेट से ज्यादा रेट में बिक रही शराब sarab Aajtak24 News

रीवा मऊगंज - मऊगंज जिले सहित कस्बे में खुली कमपोजिट मदिरा की  शासकीय शराब दुकानों में आबकारी नीति के विरुद्ध बिना रेट सूची लगाए प्रिंट रेट से भी अधिक दामों में ठेकेदार द्वारा शराब की बिक्री की जा रही है। शराब बिक्री में दामों  को लेकर कई बार ग्राहक एवं दुकानदार के बीच बाद विवाद की नौबत बनी रही इसके बावजूद भी आबकारी विभाग सिर्फ खानापूर्ति में जुटा है। जबकि आबकारी आयुक्त ने सभी दुकानों में रेट सूची लगाने एवं बिल देने का आदेश जारी किया गया है। किंतु जिले के आबकारी अधिकारियों की स्वयं की संलिप्तता के कारण ठेकेदारों से मिलकर मनमाने रेट पर शराब बिक्री की जा रही है। जिसका विरोध भी ग्रामीणों के द्वारा किया जा रहा है। लेकिन उनका यह विरोध ठेकेदार के ताकत और पैसे के बल पर दब जाता है। जिसके कारण मनमाने दामों में शराब की बिक्री की जा रही है। साथ ही ग्रामीण अंचलों में भारी मात्रा में शराब ठेकेदारों द्वारा पैकारी कराई जा रही है। मऊगंज नईगढी कस्बे सहित अन्य क्षेत्रों में शराब को सरकारी रेट पर न बेच कर मनमाने रेट बेचा जा रहा है। यह कार्य शराब दुकान आबकारी विभाग के अधिकारियों से मिली भगत कर कर रहे हैं। जिसकी वजह से आए दिन सेल्समैन और ग्राहक के बीच दुकानों पर झगड़े हो रहे हैं।

गौरतलब है कि अंग्रेजी शराब दुकान में प्रिंट रेट से दस से बीस रुपए अधिक दर पर बेची जा रही है, साथ ही शराब की दुकानों पर रेट लिस्ट भी नहीं लगी है। पुलिस-प्रशासन व आबकारी विभाग कोई कार्रवाई करने को तैयार नहीं है। शराब दुकान से शराब हों या बियर की बाटल सब में पिंट रेट से अधिक रेट में खुले आम बेची जा रही शराब। यह सब अबकारी विभाग के अधिकारियों की जानकारी में हो रहा है। 

लाइसेंसी ठेकेदार के कार्यकर्ताओं के सह पर  खुलेआम हो रही ग्रामीण अंचल में पैकारिया।

 क्षेत्र में शराब का अवैध कारोबार धड़ल्ले से हो रहा है। ग्रामीण अंचलों में पैकारियां चल रही हैं। अवैध ठिकानों से खुलेआम शराब बेची जा रही है। आबकारी विभाग की अनदेखी से नगर से लेकर आसपास के गांवों तक शराब का अनाधिकृत कारोबार फल-फूल रहा है। जिम्मेदारों की ढिलाई से लाइसेंसी ठेकेदार मनमानी पर उतारू हैं। सूत्रों की माने तो साठगांठ से चल रहे इस खेल में लाइसेंसी ठेकेदार के आसानी से अवैध शराब उपलब्ध होने के साथ क्षेत्र में अराजकता भी बढ़ रही है। नशे की लत वारदातों की वजह भी बन रही है। इसके बावजूद जिम्मेदार आंख मूंदे बैठे हैं। कार्रवाई का शिकंजा नहीं कसने से बेखोफ होकर पैकारियां चलाई जा रही हैं। क्षेत्र में शराब के अवैध रूप से संचालित पैकारी में ठेकेदार के कार्यकर्ता शामिल हैं। सूत्रों की माने तो शराब ठेकेदार लाइसेंस की आड़ में क्षेत्र में पैकारियों को संचालित कर रहे हैं। पैकारियों तक शराब की अवैध आपूर्ति की जा रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में कई स्थानों पर शराब की अवैध बिक्री का खेल चल रहा है।  ठेकेदार के कार्यकर्ताओं के सह पर ही कई जगह पैकारियां खुलवाई हैं।

हालांकि नईगढ़ी में क्षेत्र में हाथ भट्टी महुआ शराब के खिलाफ नईगढ़ी पुलिस एवं आबकारी अमले की कई बार कार्रवाई भी की गई। लेकिन एक बड़ा सवाल ये उठता है। कि लाइसेंसी ठेकेदार की ग्रामीण अंचल में जगह जगह खुली पैकारियो पर कार्रवाई क्यों नहीं जाती। तो वही नईगढ़ी के मुख्य बाजार एवं सहित अंचलों में  मुख्य सड़क मार्ग पर खुली शराब की दुकान में शाम ढलते ही शराबियों का जमघट लग जाता है। तों वही सड़क के दोनों किनारों पर दो चक्का से लेकर चार चक्का वाहन खड़े हो जाते हैं। जिससे मुख्य मार्ग पर आवागमन तो प्रभावित होता ही है। साथ ही दुर्घटनाओं की संभावनाएं बढ़ जाती है। अवैध पैकारी के खिलाफ कई बार समाजसेवियों ने पुरजोर विरोध भी किया। लेकिन पैसे और ताकत के दम पर यह विरोध बौना साबित हुआ। इसी तरह नईगढ़ी के बाजार स्थित मुख्य मार्ग पर ठेका के जिम्मेदार लोगों के वाहन सड़क पर बेतरतीब खड़े हो जाते हैं। जिससे सड़क पर आए दिन जाम की स्थिति निर्मित होती है। यहां पर तो कई बार दुर्घटनाएं भी घट चुकी है। लेकिन यहां लगने वाले जाम पर ठेकेदार के खिलाफ प्रशासन भी कार्रवाई करने से कतराते है।

कमीशन के चलते  कोरमपूर्ति तक सीमित जिम्मेदार विभाग ।

मदिरा की दुकान में प्रिंट रेट से अधिक की राशि मनमाने तरीके से बसूली जा रही है। तों वही सासन के आदेश के बावजूद भी मनमाने तरीके से रेट वसूला जा रहा है।जो गलत है। ग्रामीणों की माने तो पैकारी को गांव-गांव तक पहुंचाने का जिम्मा लायसेंसी ठेकेदारों ने ले लिया है। तथा गांव-गांव व गली-गली अवैध शराब बिकवाई जा रही है। इस पर रोक लगाने वाला आबकारी विभाग मौन बैठा है।बताया जाता है कि देशी व विदेशी शराब की दुकानों से ठेकेदारों द्वारा मुहल्ले व गांव की गलियों में बिकवाया जाता है।

*लायसेंसी दुकान से अवैध कारोबार में आबकारी अमले व स्थानीय प्रशासन के कुछ जिम्मेदार कंधे से कंधा मिलाकर सहयोग कर रहे हैं। यही वजह है कि लोगों द्वारा किया जा रहा विरोध ताकत, पैसे व प्रशासन की ताकत के आगे दब जाता है। कार्रवाई के नाम पर आबकारी विभाग द्वारा कोरमपूर्ति की जाती है ताकि शिकायत के बाद यह दलील दी जा सके कि विभाग मुस्तैद होकर कार्यवाही कर रहा है। पैकारी में होने वाली कार्यवाही भी शराब ठेकेदारों की शह पर होती है। सब कुछ फिक्स है। यही वजह है कि दिनों दिन अवैध कारोबार सहित पैकारी के नाम पर शराब का धंधा फल-फूल रहा है और तस्करी को बढ़ावा देने वालों की जड़ें पुलिस की मदद से लगातार गहरी होती जा रही हैं। पुलिस व पैसे की ताकत के चलते इन माफियाओं का क्षेत्र में दबदबा बना रहता है जिसके कारण ग्रामीण लोग शराब माफिया के विरोध की जहमत नहीं उठा पाते हैं। विश्वस्त सूत्रों की मानें तो जिले के अधिकांश थाने पैकारी के नाम पर बंधे हुए हैं। ग्रामीण अंचलों में लोग शराब बिक्री रोकने की कितनी भी गुहार लगाले, लेकिन कार्यवाही नहीं होती। ज्यादा विरोध करने पर ठेकेदारों के इशारे पर उल्टा फंसा दिया जाता है। इसी डर के चलते अब गांव के लोग अवैध शराब यानी पैकारी के खिलाफ कुछ बोलने से भी कतराने लगे हैं। पुलिस भी हाथ पर हाथ धरे केवल अपने नियत हिस्से के लिफाफे का इंतजार करती रहती है। लिहाजा ग्रामीण इलाकों में पैकारी का धंधा तेजी से फल-फूल रहा है।

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