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पाली जनपद में दो पंचायत सचिवों पर गिरी गाज, लापरवाही की 'गाड़ी' हुई पंचर, शासन का कड़ा संदेश sandesh Aajtak24 News |
उमरिया - मध्य प्रदेश के उमरिया जिले में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के सुशासन के संकल्प को साकार करते हुए, पाली जनपद में एक बड़ी प्रशासनिक कार्रवाई को अंजाम दिया गया है। जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी (सीईओ) अभय सिंह ने ग्रामीण विकास की योजनाओं के क्रियान्वयन में घोर लापरवाही, मनमानी और कर्तव्य के प्रति उदासीनता बरतने के आरोप में दो पंचायत सचिवों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। इस कड़े कदम से ग्रामीण क्षेत्रों में शासकीय योजनाओं के संचालन में जवाबदेही सुनिश्चित करने का एक स्पष्ट और अटल संदेश दिया गया है, जिसने समस्त पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग में हड़कंप मचा दिया है।
मामले की जड़: जनहित की योजनाओं की अनदेखी
निलंबित किए गए दोनों पंचायत सचिवों पर प्रधानमंत्री आवास योजना, जल गंगा संवर्धन अभियान, समग्र सीडिंग और मुख्यमंत्री हेल्पलाइन (CM Helpline) जैसी अत्यंत महत्वपूर्ण और जनहितकारी योजनाओं में 'नगण्य प्रगति' और 'घोर उदासीनता' बरतने के गंभीर आरोप हैं। ये सभी योजनाएं सीधे तौर पर ग्रामीण आबादी के जीवन स्तर को सुधारने और उन्हें बुनियादी सुविधाएँ प्रदान करने से संबंधित हैं। इन योजनाओं में लापरवाही का सीधा अर्थ है, जनता के हक की अनदेखी करना। जिला पंचायत सीईओ अभय सिंह ने मध्यप्रदेश पंचायत सेवा (अनुशासन तथा अपील) नियम 1999 के नियम 4 के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए यह निर्णय लिया है। प्रशासन की ओर से जारी आदेश में स्पष्ट किया गया है कि किसी भी सूरत में शासकीय कार्यों में लापरवाही और जनता के प्रति उदासीनता बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
निलंबन का विस्तृत ब्यौरा:
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विजय सिंह, सचिव, ग्राम पंचायत गोयरा: ग्राम पंचायत गोयरा के पंचायत सचिव विजय सिंह पर प्रधानमंत्री आवास योजना, समग्र सीडिंग और जल गंगा संवर्धन जैसे महत्वपूर्ण कार्यों में 'अत्यंत धीमी प्रगति' का आरोप है। विभागीय समीक्षा बैठकों के दौरान यह बात स्पष्ट रूप से सामने आई कि श्री सिंह न केवल इन योजनाओं के क्रियान्वयन में गंभीर रूप से लापरवाह थे, बल्कि वे अक्सर अपने कार्यस्थल यानी पंचायत में भी अनुपस्थित रहते थे। जनप्रतिनिधियों और स्थानीय ग्रामीणों की ओर से उनके विरुद्ध लगातार शिकायतें प्राप्त हो रही थीं, जिनमें शासकीय कार्यों से दूरी बनाए रखने, स्वेच्छाचारिता पूर्ण आचरण और जनहित की घोर उपेक्षा जैसे गंभीर आरोप शामिल थे। निलंबन अवधि में उनका मुख्यालय जनपद पंचायत पाली कार्यालय निर्धारित किया गया है, और वे नियमानुसार जीवन निर्वाह भत्ते के पात्र रहेंगे।
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छोटेलाल सिंह, सचिव, ग्राम पंचायत मालाचुआ: ग्राम पंचायत मालाचुआ के पंचायत सचिव छोटेलाल सिंह को भी तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया है। उन पर भी जल गंगा संवर्धन, प्रधानमंत्री आवास, समग्र सीडिंग और मुख्यमंत्री हेल्पलाइन जैसी प्राथमिकता वाली योजनाओं में 'नगण्य प्रगति' का आरोप है। समीक्षा बैठकों में यह पाया गया कि उनकी कार्यप्रणाली में गंभीर लापरवाही थी। जनप्रतिनिधियों और ग्रामीणों से मिली शिकायतों के अनुसार, श्री सिंह भी प्रायः पंचायत कार्य से दूर रहते थे और 'मनमाने तरीके' से कार्य करते थे। उनका आचरण मध्यप्रदेश पंचायत सेवा (आचरण) नियम 1998 के नियम 3 का स्पष्ट उल्लंघन पाया गया है, जो शासकीय सेवक के लिए निर्धारित आचार संहिता का हिस्सा है। निलंबन अवधि में उन्हें भी जनपद पंचायत पाली कार्यालय में उपस्थित रहना होगा और वे जीवन निर्वाह भत्ते के हकदार होंगे।
प्रशासन का सख्त संदेश: 'लापरवाहों की खैर नहीं'
जिला पंचायत उमरिया के सीईओ द्वारा की गई इस त्वरित और निर्णायक कार्रवाई से यह संदेश स्पष्ट है कि अब शासकीय योजनाओं और जनहित कार्यों में किसी भी प्रकार की लापरवाही या कोताही को स्वीकार नहीं किया जाएगा। ग्रामीण क्षेत्रों में विकास योजनाओं के समुचित और समयबद्ध क्रियान्वयन हेतु अधिकारियों और कर्मचारियों की जवाबदेही तय करना प्रशासन की सर्वोच्च प्राथमिकता है।
यह कार्रवाई अन्य पंचायत सचिवों और ग्रामीण विकास से जुड़े समस्त कर्मचारियों के लिए एक कड़ी चेतावनी है। उन्हें यह स्पष्ट संकेत दिया गया है कि यदि वे अपने निर्धारित कर्तव्यों से विमुख होते हैं, शासकीय कार्यों में लापरवाही बरतते हैं, या जनता के प्रति उदासीनता दिखाते हैं, तो उन पर भी इसी तरह की सख्त प्रशासनिक कार्रवाई की जाएगी। प्रशासन का यह कदम यह सुनिश्चित करेगा कि ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी योजनाएं केवल कागजों पर नहीं, बल्कि वास्तव में धरातल पर उतरें और उनका लाभ पात्र हितग्राहियों तक बिना किसी बाधा के पहुंचे। यह कार्रवाई प्रदेश में सुशासन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।