![]() |
आबकारी विभाग और ठेकेदारों की मनमानी पर हाईकोर्ट सख्त! |
न रसीद, न रेट लिस्ट, बस लूट
याचिका में खुलासा किया गया कि जबलपुर जिले की शराब दुकानों पर न तो रेट लिस्ट चस्पा की गई और न शराब खरीदने पर ग्राहकों को रसीद या बिल दिया जाता है। यह पूरी प्रक्रिया उपभोक्ता अधिकारों का खुला उल्लंघन है और टैक्स चोरी का बड़ा माध्यम भी है।
‘माफीनामा’ से रफा-दफा कर देते मामला
याचिका में यह भी कहा गया है कि जब इस तरह की शिकायतें आबकारी विभाग को दी जाती हैं, तो वह ठेकेदारों से सिर्फ 'माफीनामा' लेकर मामला खत्म कर देता है। न कार्रवाई होती है, न जुर्माना जिससे माफियाओं के हौसले बुलंद हैं और वे खुलेआम एमआरपी से ऊपर वसूली कर रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि यह मामला इंदौर में भी जमकर उठा। इंदौर के सहायक आबकारी आयुक्त बार-बार सफाई दे रहे और दिखावे के लिए कुछ दुकानों पर कार्रवाई भी की, पर इसका कोई नतीजा नहीं निकला। आबकारी विभाग की शह पर ही, न तो अभी तक इंदौर की किसी शराब दुकान पर रेट लिस्ट लगाई गई और न रसीद देना शुरू किया गया। अभी भी ओवर रेट में शराब बिक्री हो रहीं हैं। जबलपुर की ही तरह का मामला इंदौर में है।
इस अवैध वसूली से न सिर्फ शराब उपभोक्ताओं को आर्थिक चपत लग रही है। बल्कि,सरकार को भी टैक्स के रूप में भारी नुकसान हो रहा है। याचिका में मांग की गई है कि इस मामले की उच्चस्तरीय जांच हो और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाए।