सोयाबीन की बंपर पैदावार के लिए ज़रूरी: बुवाई से पहले करें बीज उपचार, कीट और बीमारियों से मिलेगी मुक्ति mukti Aajtak24 News

सोयाबीन की बंपर पैदावार के लिए ज़रूरी: बुवाई से पहले करें बीज उपचार, कीट और बीमारियों से मिलेगी मुक्ति mukti Aajtak24 News

भोपाल/मध्य प्रदेश - इस साल अच्छे मॉनसून की उम्मीद ने किसानों में खरीफ फसलों, खासकर सोयाबीन की खेती को लेकर उत्साह बढ़ा दिया है. देश में सोयाबीन के सबसे बड़े उत्पादक राज्यों में से एक, मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल और आसपास के जिलों के किसानों के लिए कृषि वैज्ञानिकों ने एक महत्वपूर्ण सलाह जारी की है: सोयाबीन की बुवाई से पहले बीजों का उपचार (Seed Treatment) ज़रूर करें. यह एक ऐसी प्रक्रिया है जो शुरुआती अवस्था में फसल को बीमारियों और कीटों से बचाती है, जिससे स्वस्थ पौधे उगते हैं और उपयुक्त पौध संख्या मिलती है।

क्यों ज़रूरी है बीज उपचार?

मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, इस साल भारत में मॉनसून सीजन के दौरान अच्छी बारिश की उम्मीद है, जिससे खरीफ सीजन की फसलों को काफी फायदा होने की उम्मीद है. सोयाबीन, जो इस सीजन में एक प्रमुख तिलहन फसल है, की खेती मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान जैसे राज्यों में बड़े पैमाने पर की जाती है. ऐसे में, किसानों को सलाह दी जाती है कि वे अपने क्षेत्र की जलवायु के अनुकूल किस्मों का चुनाव करें और बुवाई से पहले बीजों का उपचार अवश्य करें।

बीज उपचार करने से न केवल फसल की शुरुआती अवस्था में बीमारियों और कीटों से सुरक्षा मिलती है, बल्कि इससे पौध संख्या भी अच्छी होती है, जो अंततः अधिक उपज में बदलती है. बिना उपचारित बीजों से उगी फसलें अक्सर शुरुआती चरणों में ही विभिन्न फफूंदजनित रोगों और कीटों का शिकार हो जाती हैं, जिससे उत्पादन पर बुरा असर पड़ता है. यह किसानों के लिए आर्थिक नुकसान का कारण भी बनता है।

सोयाबीन बीज उपचार के तरीके

कृषि वैज्ञानिकों ने सोयाबीन के बीजों को उपचारित करने के लिए जैविक और रासायनिक दोनों प्रभावी तरीकों की सलाह दी है:

1. जैविक बीज उपचार

जैविक विधि उन किसानों के लिए उपयुक्त है जो रासायनिक कीटनाशकों और फफूंदनाशकों का उपयोग कम करना चाहते हैं और प्राकृतिक तरीकों को प्राथमिकता देते हैं।

  • जैविक कल्चर का प्रयोग: कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, किसानों को सोयाबीन बुवाई के समय बीजों को जैविक कल्चर बेडी राइजोबियम और पीएसएम (फास्फेट सोलुबिलाइजिंग माइक्रोऑर्गेनिज्म) प्रत्येक को 5 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है. ये कल्चर मिट्टी में नाइट्रोजन स्थिरीकरण और फास्फोरस की उपलब्धता बढ़ाकर पौधों के विकास में सहायक होते हैं।
  • जैविक फफूंदनाशक का उपयोग: रासायनिक फफूंदनाशक के बजाय, किसान जैविक फफूंदनाशक 'ट्राइकोडर्मा विरडी' का उपयोग 10 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से कर सकते हैं. इसका प्रयोग जैविक कल्चर के साथ मिलाकर भी किया जा सकता है. ट्राइकोडर्मा विरडी मिट्टी में मौजूद हानिकारक फफूंदों को नियंत्रित कर पौधों को रोगों से बचाता है।

बीजोपचार का निश्चित क्रम: किसानों को सलाह है कि वे बीजोपचार और टीकाकरण (जैविक कल्चर का प्रयोग) में एक निश्चित क्रम का अनुपालन करें: पहले फफूंदनाशक, फिर कीटनाशक (यदि आवश्यक हो), और अंत में जैविक कल्चर. यह क्रम सुनिश्चित करता है कि सभी उपचार प्रभावी ढंग से काम करें।

2. रासायनिक बीज उपचार

रासायनिक बीज उपचार उन स्थितियों के लिए अनुशंसित है जहाँ कीटों और फफूंदजनित रोगों का खतरा अधिक होता है और त्वरित तथा प्रभावी सुरक्षा की आवश्यकता होती है।

  • पहला चरण (फफूंदनाशक + कीटनाशक का मिश्रण): कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, सोयाबीन बीजों के उपचार के लिए सबसे पहले फफूंदनाशक एजोक्सीस्ट्रोबिन 2.5% + थायोफिनेट मिथाइल 11.25% के मिश्रण के साथ कीटनाशक थायोमिथाक्जाम 25% एफ.एस. का उपयोग 10 मिली प्रति किलोग्राम बीज की दर से करें। यह मिश्रण शुरुआती अवस्था में लगने वाले फफूंदजनित रोगों और कीटों दोनों से बचाव करता है।
  • अन्य अनुशंसित फफूंदनाशक विकल्प: इसके अलावा, किसान सिफारिश की गई अन्य फफूंदनाशकों जैसे पेनफ्लूफेन ट्राइफ्लॉक्सीस्ट्रोबनि 38 एफ.एस. (0.8-1.0 मिली प्रति किलोग्राम बीज) या कार्बोक्सिन 37.5% + थाइरम 37.5% (3 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज) या कार्बेन्डाजिम 25% + मैन्कोजेब 50% डब्ल्यूएस (3 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज) का उपयोग करके भी बीजों का उपचार कर सकते हैं।
  • दूसरा चरण (कीटनाशक का प्रयोग): फफूंदनाशक उपचार के बाद बीजों को कुछ देर छाया में सुखाएं ताकि रासायनिक परत सूख जाए. इसके बाद, अनुशंसित कीटनाशक जैसे थायोमिथाक्जाम 30 एफएस (10 मिली प्रति किलोग्राम बीज) या इमिडाक्लोप्रिड 48 एफएस (1.25 मिली प्रति किलोग्राम बीज) की दर से बीजों को उपचारित करें. यह कीटों, विशेषकर रस चूसने वाले कीटों से बचाव में मदद करेगा।

उपचार के बाद बुवाई: इन सभी प्रक्रियाओं के बाद, बीजों को कुछ देर और छाया में सुखाएं. सूखने के बाद, किसान इन उपचारित बीजों की बुवाई कर सकते हैं।

सही तरीके से बीज उपचार करने से किसानों को निश्चित रूप से सोयाबीन की अच्छी और स्वस्थ फसल प्राप्त करने में मदद मिलेगी, जिससे उनकी आय में वृद्धि होगी और फसल सुरक्षा पर होने वाला खर्च भी कम होगा. तो, इस मॉनसून में सोयाबीन बोने से पहले, अपने बीजों का उपचार करना न भूलें! यह एक छोटा कदम आपकी फसल के लिए बड़ा फायदा दे सकता है।


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