चीन की नई चाल: पाकिस्तान और बांग्लादेश को एक साथ लाया बीजिंग, भारत की बढ़ी रणनीतिक चिंता chinta Aajtak24 News

चीन की नई चाल: पाकिस्तान और बांग्लादेश को एक साथ लाया बीजिंग, भारत की बढ़ी रणनीतिक चिंता chinta Aajtak24 News

नई दिल्ली -चीन ने दक्षिण एशियाई कूटनीति में एक बड़ा दांव खेला है। पहली बार बीजिंग ने पाकिस्तान और बांग्लादेश के विदेश सचिवों की त्रिपक्षीय बैठक की मेजबानी की है। यह घटनाक्रम भारत के लिए गहरे रणनीतिक मायने रखता है, खासकर ऐसे समय में जब दिल्ली और ढाका के रिश्तों में कुछ उतार-चढ़ाव देखे जा रहे हैं। गुरुवार को चीन के युन्नान प्रांत के कुनमिंग शहर में आयोजित इस हाई-प्रोफाइल बैठक में चीन के उप विदेश मंत्री सुन वेइदोंग, बांग्लादेश के कार्यवाहक विदेश सचिव रूहुल आलम सिद्दीकी, पाकिस्तान के एशिया-प्रशांत विभाग के अतिरिक्त सचिव इमरान अहमद सिद्दीकी, और पाकिस्तान की विदेश सचिव अमना बलोच (वीडियो लिंक के माध्यम से) शामिल हुए।

बैठक के अहम बिंदू और चीन का 'स्पष्टीकरण'

चीनी विदेश मंत्रालय के मुताबिक, इस बैठक में तीनों देशों ने व्यापार, निवेश, स्वास्थ्य, शिक्षा, समुद्री मामलों और क्षेत्रीय संपर्क को बढ़ाने के साथ-साथ बहुपक्षीय सहयोग को मजबूत करने पर सहमति जताई है। भविष्य में इन निर्णयों को लागू करने के लिए एक कार्यसमूह बनाने का भी फैसला हुआ है। चीन ने अपने बयान में जोर देकर कहा कि यह त्रिपक्षीय सहयोग किसी तीसरे देश के खिलाफ नहीं है और यह 'सच्चे बहुपक्षवाद और खुले क्षेत्रीयवाद' को बढ़ावा देता है। हालांकि, भारत इन दावों को लेकर सशंकित है और इसे अपनी 'पड़ोसी पहले' नीति के लिए एक सीधी चुनौती मान रहा है।

पाकिस्तान-बांग्लादेश के बदले रिश्ते और चीन का बढ़ता प्रभाव

पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के कार्यकाल में पाकिस्तान और बांग्लादेश के संबंध ठंडे बस्ते में थे. लेकिन पिछले साल अगस्त में बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के आने के बाद से, इस्लामाबाद ने ढाका के साथ रक्षा, व्यापार और कूटनीति सहित विभिन्न क्षेत्रों में संबंधों को तेजी से मजबूत करना शुरू कर दिया है। जानकारों का मानना है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई और सेना ने शेख हसीना को सत्ता से हटाने में परदे के पीछे से भूमिका निभाई थी। शुरुआत में, शेख हसीना के जाने के बाद चीन ने सतर्क रुख अपनाया था, लेकिन अब उसने अंतरिम शासन के साथ आर्थिक साझेदारी के माध्यम से बांग्लादेश में अपना प्रभाव फिर से बढ़ाना शुरू कर दिया है. यह त्रिपक्षीय मंच स्पष्ट रूप से भारत की क्षेत्रीय रणनीति और बंगाल की खाड़ी में उसके प्रभाव को कमजोर करने की कोशिश है।

भारत के लिए गंभीर चिंताएं

यह घटनाक्रम भारत के लिए कई चिंताएं पैदा करता है। बांग्लादेश भारत का एक महत्वपूर्ण पड़ोसी है और पूर्वोत्तर भारत के लिए एक जीवनरेखा का काम करता है। पाकिस्तान ने नवंबर से अब तक चटगांव बंदरगाह से दो वाणिज्यिक जहाज भेजे हैं, जिसे भारत बंगाल की खाड़ी में अपनी पहुंच को कमजोर करने के प्रयास के रूप में देख रहा है। यह बैठक दक्षिण एशिया की भू-राजनीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत है, जहां चीन अपने रणनीतिक हितों को साधने और भारत के क्षेत्रीय प्रभुत्व को चुनौती देने के लिए नए मोर्चे खोल रहा है। दिल्ली को अब इस उभरते हुए त्रिपक्षीय गठबंधन से निपटने के लिए अपनी कूटनीति और रणनीति पर गंभीरता से विचार करना होगा।

Post a Comment

Previous Post Next Post