मुख्यमंत्री की 6 ऐतिहासिक घोषणाएं:
- मनरेगा योजनाओं में मुखिया के अधिकार बढ़े: अब तक ग्राम पंचायतों के मुखिया को मनरेगा योजना के तहत केवल 5 लाख रुपये तक की योजनाओं को प्रशासनिक स्वीकृति देने का अधिकार था। मुख्यमंत्री ने इस सीमा को बढ़ाकर सीधे 10 लाख रुपये करने का आदेश दिया, जिससे पंचायतों को स्थानीय स्तर पर विकास कार्यों में अधिक स्वायत्तता मिलेगी।
- पंचायत प्रतिनिधियों के मासिक भत्ते में डेढ़ गुना बढ़ोतरी: यह प्रतिनिधियों की लंबे समय से चली आ रही एक प्रमुख मांग थी। मुख्यमंत्री ने पंचायती राज संस्थाओं के सभी स्तर के प्रतिनिधियों – मुखिया, सरपंच, पंचायत समिति सदस्य, जिला परिषद सदस्य, पंच और वार्ड सदस्य – के मासिक भत्ते को डेढ़ गुना बढ़ाने का आदेश दिया है। इससे उनकी आर्थिक स्थिति बेहतर होगी और वे अधिक उत्साह से काम कर पाएंगे।
- पंचायत सरकार भवनों का निर्माण अब पंचायतों के हाथ में: राज्य सरकार का लक्ष्य है कि इस वर्ष होने वाले चुनावों से पहले सभी ग्राम पंचायतों में पंचायत सरकार भवन बनकर तैयार हो जाएं। शेष बचे 1069 नए पंचायत सरकार भवनों के निर्माण के लिए राज्य सरकार ने स्वीकृति दे दी है, और अब इनके निर्माण का जिम्मा सीधे ग्राम पंचायतों को सौंपा जाएगा। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि यदि मुख्यालय वाले गांव में जमीन उपलब्ध न हो, तो पास के किसी भी उपयुक्त गांव में जमीन ली जा सकती है। इससे भवनों का निर्माण तेजी से और स्थानीय जरूरतों के अनुरूप हो पाएगा।
- शस्त्र लाइसेंस के आवेदनों का त्वरित निष्पादन: पंचायत प्रतिनिधियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए, मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि उनके शस्त्र अनुज्ञप्ति (लाइसेंस) के आवेदनों को जिला पदाधिकारी निर्धारित समय सीमा के भीतर नियमानुसार निष्पादित करेंगे। यह कदम जनप्रतिनिधियों की सुरक्षा चिंताओं को दूर करने में मदद करेगा।
- मृत्यु होने पर बढ़ी आर्थिक सहायता और चिकित्सा सुविधा: पहले पंचायत प्रतिनिधियों को केवल आकस्मिक मृत्यु होने पर ही 5 लाख रुपये का अनुग्रह अनुदान मिलता था। अब, उनके कार्यकाल के दौरान सामान्य मृत्यु होने पर भी 5 लाख रुपये का अनुग्रह अनुदान दिया जाएगा। इसके अतिरिक्त, यदि कोई पंचायत प्रतिनिधि गंभीर बीमारी से ग्रसित होता है, तो उसे मुख्यमंत्री चिकित्सा सहायता कोष से स्वास्थ्य सुविधाएँ उपलब्ध कराई जाएंगी। यह घोषणा प्रतिनिधियों और उनके परिवारों के लिए एक बड़ी राहत है।
- वित्त आयोग की राशि के उपयोग में तेजी: त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाओं को 15वें वित्त आयोग और राज्य वित्त आयोग से मिलने वाली राशि के उपयोग में तेजी लाने के लिए, अब 15 लाख रुपये तक की योजनाओं का कार्यान्वयन विभागीय तौर पर भी किया जा सकेगा। इससे विकास कार्यों में अनावश्यक देरी से बचा जा सकेगा और परियोजनाओं को समय पर पूरा किया जा सकेगा।
महिलाओं के सशक्तिकरण और समग्र विकास पर जोर:
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपनी सरकार के महिला सशक्तिकरण के प्रयासों पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने याद दिलाया कि वर्ष 2006 में पंचायती राज संस्थाओं और 2007 में नगर निकाय के चुनावों में महिलाओं को 50 प्रतिशत का आरक्षण दिया गया था। उन्होंने कहा कि "हम लोगों ने महिलाओं के उत्थान के लिये काफी कार्य किया है। बड़ी संख्या में महिलाएँ प्रतिनिधि बनकर समाज में नेतृत्व कर रही हैं।" उन्होंने यह भी दोहराया कि उनकी सरकार सभी वर्गों के विकास के लिए प्रतिबद्ध है और वे हमेशा जनप्रतिनिधियों से मिलते रहते हैं ताकि उनकी समस्याओं को समझा और सुलझाया जा सके।
बैठक में जिला परिषद संघ की प्रतिनिधि कृष्णा यादव, पंचायत समिति की प्रमुख रश्मि कुमारी, मुखिया संघ के अध्यक्ष मिथिलेश कुमार राय और पंच-सरपंच संघ के अध्यक्ष अमोद कुमार निराला सहित कई प्रमुख प्रतिनिधियों ने अपनी बातें रखीं और मुख्यमंत्री के प्रयासों की सराहना की। इस पहल से उम्मीद है कि बिहार में पंचायती राज संस्थाएं और मजबूत होकर ग्रामीण विकास में अहम भूमिका निभाएंगी।