कौन हैं कांग्रेस के वो 'लंगड़े घोड़े' जिन्हें राहुल गांधी करेंगे रिटायर? मध्य प्रदेश कांग्रेस में बड़े बदलाव की आहट aahat Aajtak24 News


कौन हैं कांग्रेस के वो 'लंगड़े घोड़े' जिन्हें राहुल गांधी करेंगे रिटायर? मध्य प्रदेश कांग्रेस में बड़े बदलाव की आहट aahat Aajtak24 News 

भोपाल - कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में 'संगठन सृजन अभियान' की शुरुआत करते हुए पार्टी में बड़े बदलाव के स्पष्ट संकेत दिए हैं। मंगलवार को कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए उन्होंने अनुशासनहीनता और भितरघात पर सख्त रुख अपनाते हुए 'लंगड़े घोड़ों' को रिटायर करने की बात कही, जिसके बाद मध्य प्रदेश कांग्रेस के गलियारों में सियासी हलचल तेज हो गई है। राहुल के इस बयान से अटकलों का बाजार गर्म है कि कहीं उनका निशाना प्रदेश के दो दिग्गज नेताओं और पूर्व मुख्यमंत्रियों - दिग्विजय सिंह और कमलनाथ - पर तो नहीं है।

राहुल गांधी का तीखा बयान और उसके मायने:

राहुल गांधी ने अपने संबोधन में कहा, "अब समय आ गया है कि ‘रेस के घोड़े’ को रेस में, ‘बारात के घोड़े’ को बारात में भेजा जाए, और ‘लंगड़े घोड़े’ को रिटायर कर दिया जाए।" उन्होंने सख्त लहजे में जोड़ा, "लंगड़े घोड़े को अब घास चरने भेज दो, पानी पियो, रिलैक्स करो, लेकिन बाकी घोड़ों को तंग मत करो, वरना कार्रवाई होगी।

इस बयान के बाद राजनीतिक विश्लेषक और पार्टी कार्यकर्ता यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि राहुल गांधी का यह तंज किन नेताओं पर था। क्या वह उन नेताओं को 'लंगड़ा घोड़ा' बता रहे थे जो अब पार्टी की गति को धीमा कर रहे हैं या चुनावी असफलताओं के लिए जिम्मेदार हैं?

संगठन सृजन अभियान: अनुशासहीनता पर सख्ती और जमीनी स्तर पर मजबूती

राहुल गांधी ने भोपाल बैठक में कांग्रेस के संगठन को मजबूत करने की रणनीति पर विशेष जोर दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस के पास नेतृत्व की कोई कमी नहीं है और पार्टी के पास "10-10 चेहरे" हैं। हालांकि, उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि संगठन में अनुशासनहीनता और भितरघात को अब बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कुछ नेताओं पर सीधा निशाना साधते हुए कहा कि वे भाजपा के दबाव में या अपनी निजी हताशा के कारण बयानबाजी करते हैं, जिससे पार्टी की छवि को नुकसान पहुँचता है। राहुल ने यह भी आरोप लगाया कि कुछ नेता तो भाजपा के लिए 'स्लीपर सेल' की तरह काम कर रहे हैं, जिन्हें बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा।

उनके इस बयान ने मध्य प्रदेश कांग्रेस में एक नए बदलाव की शुरुआत का संकेत दिया है। राहुल गांधी ने जिला और ब्लॉक स्तर के नेताओं को संगठन की रीढ़ बताते हुए उनकी भूमिका को महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि अब जिला अध्यक्षों की रिपोर्ट के आधार पर ही स्थानीय निकाय चुनावों से लेकर विधानसभा चुनावों तक टिकट वितरण होगा। साथ ही, यह भी देखा जाएगा कि उनके क्षेत्र में कांग्रेस के वोट बढ़े या घटे। इस रणनीति का मुख्य उद्देश्य 2028 के विधानसभा चुनावों के लिए पार्टी को मजबूत करना और पिछले 23 साल से मध्य प्रदेश की सत्ता से बाहर कांग्रेस को वापस लाना है।

दिग्गज नेताओं पर क्यों उठ रहे सवाल?

राहुल गांधी ने अपने भाषण में किसी भी नेता का नाम स्पष्ट रूप से नहीं लिया, लेकिन मध्य प्रदेश कांग्रेस के दो सबसे दिग्गज नेताओं - पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और कमलनाथ - पर राजनीतिक गलियारों और सोशल मीडिया में यह चर्चा जोरों पर है कि कहीं उनका निशाना इन्हीं पर तो नहीं था। इसके पीछे कई ठोस कारण बताए जा रहे हैं:

  1. लगातार चुनावी हार: मध्य प्रदेश में 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा था, जहाँ भाजपा ने 230 में से 163 सीटें जीतीं और कांग्रेस केवल 66 पर सिमट गई। इसके बाद 2024 के लोकसभा चुनावों में भी भाजपा ने राज्य की सभी 29 सीटें जीत लीं, जिसमें कमलनाथ का मजबूत गढ़ छिंदवाड़ा भी शामिल था, जहाँ से उनके बेटे नकुलनाथ हार गए। लगातार मिल रही इन पराजयों के लिए दिग्विजय सिंह और कमलनाथ की रणनीति और नेतृत्व पर सवाल उठे हैं।

  2. पार्टी में गुटबाजी: मध्य प्रदेश कांग्रेस में लंबे समय से गुटबाजी की समस्या एक बड़ी चुनौती रही है। दिग्विजय सिंह और कमलनाथ के बीच कथित तनातनी की खबरें अक्सर सामने आती रही हैं, जिससे पार्टी की एकजुटता प्रभावित होती है। राहुल गांधी ने अपने भाषण में गुटबाजी को खत्म करने की सख्त हिदायत दी और कहा कि कोई भी फैसला ऊपर से थोपा नहीं जाएगा, बल्कि सभी को मिलकर काम करना होगा।

  3. कमलनाथ के भाजपा में जाने की अटकलें: 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले कमलनाथ और उनके बेटे नकुलनाथ के भाजपा में शामिल होने की अफवाहें जोरों पर थीं। हालाँकि, कमलनाथ ने इन खबरों का खंडन किया, लेकिन उनकी चुप्पी और दिल्ली में भाजपा नेताओं के साथ कथित मुलाकातों ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं के मन में संदेह पैदा किया। राहुल गांधी के 'भाजपा के लिए काम करने वाले' नेताओं पर तंज को कमलनाथ से जोड़कर देखा जा रहा है।

  4. दिग्विजय सिंह की सक्रियता पर सवाल: दिग्विजय सिंह मध्य प्रदेश में कांग्रेस के सबसे वरिष्ठ और अनुभवी नेताओं में से एक हैं। हाल के वर्षों में उनकी सक्रियता और उसकी प्रभावशीलता को लेकर कुछ कार्यकर्ताओं के बीच सवाल उठे हैं। राहुल गांधी का 'लंगड़ा घोड़ा' वाला बयान उन नेताओं की ओर इशारा हो सकता है, जो संगठन में बदलाव की गति को धीमा कर रहे हैं या जिनकी रणनीतियाँ अब उतनी प्रभावी नहीं रही हैं।

सोशल मीडिया पर गरमाई बहस:

राहुल गांधी के इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर तीखी बहस छिड़ गई है। कई यूजर्स ने इसे कमलनाथ और दिग्विजय सिंह पर सीधा हमला बताया है, जबकि कुछ का मानना है कि यह बयान उन सभी पुराने नेताओं के लिए था, जो अब संगठन में नई ऊर्जा नहीं ला पा रहे हैं। एक एक्स पोस्ट में पूछा गया, "राहुल गांधी का 'लंगड़े घोड़ों' वाला इशारा किन नेताओं के लिए था?" एक अन्य यूजर ने लिखा, "कमलनाथ और दिग्विजय सिंह पर राहुल गांधी का तंज, क्या अब मध्य प्रदेश कांग्रेस में बड़ा बदलाव होगा?"

मध्य प्रदेश कांग्रेस में बदलाव की शुरुआत और दिग्गजों का भविष्य:

राहुल गांधी का यह दौरा और उनका बयान मध्य प्रदेश कांग्रेस में बड़े बदलाव की शुरुआत का स्पष्ट संकेत दे रहा है। 'संगठन सृजन अभियान' के तहत पार्टी का फोकस अब जमीनी स्तर पर संगठन को मजबूत करने और नए नेतृत्व को उभारने पर है। राहुल ने घोषणा की कि मध्य प्रदेश में 55 भविष्य के नेता तैयार किए जाएंगे, जो पार्टी का भविष्य संवारेंगे। इसके लिए जिला और ब्लॉक स्तर पर नए चेहरों को मौका दिया जाएगा, और पुराने नेताओं को 'रिटायर' करने की प्रक्रिया शुरू हो सकती है।

कमलनाथ और दिग्विजय सिंह दोनों ही मध्य प्रदेश कांग्रेस के स्तंभ रहे हैं। कमलनाथ ने 2018 में डेढ़ साल के लिए सरकार बनाई थी, लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत के कारण उनकी सरकार गिर गई थी। वहीं, दिग्विजय सिंह लंबे समय से पार्टी के रणनीतिकार रहे हैं, लेकिन उनकी बढ़ती उम्र और हाल के चुनावी परिणामों ने उनके प्रभाव पर सवाल उठाए हैं। राहुल गांधी के बयान के बाद यह सवाल उठ रहा है कि क्या इन दोनों नेताओं को अब संगठन में 'साइडलाइन' किया जाएगा, या उन्हें कोई नई जिम्मेदारी दी जाएगी, जैसा कि कमलनाथ को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भूमिका दी जा सकती है।

राहुल गांधी का 'लंगड़ा घोड़ा' बयान मध्य प्रदेश कांग्रेस में एक नए युग की शुरुआत का संकेत है। यह स्पष्ट है कि पार्टी अब पुराने ढर्रे से हटकर नई रणनीति और नए नेतृत्व पर ध्यान दे रही है। हालाँकि, दिग्विजय सिंह और कमलनाथ जैसे दिग्गजों पर सीधे तौर पर निशाना साधा गया हो, यह कहना मुश्किल है, लेकिन उनके प्रभाव में कमी और संगठन में बदलाव की मांग साफ नजर आ रही है। आने वाले दिन मध्य प्रदेश कांग्रेस के लिए निर्णायक होंगे, जब यह तय होगा कि कौन 'रेस का घोड़ा' है, कौन 'बारात का घोड़ा' और कौन 'लंगड़ा घोड़ा' रिटायर होगा।


Post a Comment

Previous Post Next Post