मध्य प्रदेश बनेगा देश की 'डेयरी कैपिटल': मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का बड़ा ऐलान, गौशालाओं को ₹90 करोड़ का अनुदान anudan Aajtak24 News


मध्य प्रदेश बनेगा देश की 'डेयरी कैपिटल': मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का बड़ा ऐलान, गौशालाओं को ₹90 करोड़ का अनुदान anudan Aajtak24 News 

भोपाल/मध्य प्रदेश - मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मध्य प्रदेश को देश की 'डेयरी कैपिटल' (Dairy Capital) बनाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य घोषित किया है। मुख्यमंत्री निवास परिसर में आयोजित राज्य स्तरीय गौशाला सम्मेलन को संबोधित करते हुए, डॉ. यादव ने पशुपालन एवं डेयरी विभाग का नाम बदलकर अब 'पशुपालन, डेयरी एवं गौपालन विभाग' करने का भी ऐलान किया। इस सम्मेलन में प्रदेश भर से आए गौ-पालकों और गौ-शाला संचालकों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने सिंगल क्लिक से गौ-शालाओं को 90 करोड़ रुपए की अनुदान राशि सीधे उनके खातों में अंतरित की। इस अवसर पर भीमराव अंबेडकर कामधेनु योजना के तीन हितग्राहियों को प्रतीकात्मक रूप से ऋण स्वीकृति आदेश भी सौंपे गए।

दुग्ध उत्पादन बढ़ाने और गौ-पालन को बढ़ावा देने के लिए ठोस प्रयास

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि मध्य प्रदेश को देश की दुग्ध राजधानी बनाने के लिए राज्य सरकार कई बड़े कदम उठा रही है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2002-03 में पशुपालन विभाग का बजट सिर्फ 300 करोड़ रुपये था, जो अब बढ़कर 2600 करोड़ रुपये हो गया है। उन्होंने कहा कि गाय का दूध एक सम्पूर्ण आहार है और राज्य सरकार ने अमृत समान गौ-माता का दूध खरीदने का निर्णय लिया है ताकि गौ-पालकों तक सीधा लाभ पहुंचे।

  • अनुदान राशि में वृद्धि: गौशाला संचालन के लिए प्रति गाय प्रतिदिन मिलने वाली अनुदान राशि 20 रुपए से बढ़ाकर 40 रुपए कर दी गई है।
  • दुग्ध उत्पादन का लक्ष्य: प्रदेश का दूध उत्पादन पांच गुना बढ़ाने का लक्ष्य है। वर्तमान में मध्य प्रदेश में प्रतिदिन लगभग साढ़े पांच करोड़ लीटर दूध का उत्पादन होता है।
  • फूड प्रोसेसिंग यूनिट्स: दुग्ध से समृद्धि के लिए नई योजनाएं बनाई जा रही हैं, जिनमें फूड प्रोसेसिंग यूनिट्स की स्थापना भी शामिल है।
  • समितियों का विस्तार: दुग्ध उत्पादन और संकलन के कार्य को व्यवस्थित करने के लिए समितियों की संख्या 9 हजार से बढ़ाकर 26 हजार करने का संकल्प लिया गया है।

प्राकृतिक खाद और स्वावलंबी गौशालाओं पर जोर

मुख्यमंत्री ने बताया कि पशुपालन विभाग का नाम बदलकर 'पशुपालन, डेयरी और गौपालन विभाग' होने के बाद गौ-माता के सम्मान के लिए कल्याणकारी योजनाएं संचालित की जाएंगी।

  • प्राकृतिक खाद को प्रोत्साहन: सरकार प्राकृतिक खाद से उत्पादित अनाज का ज्यादा भाव देगी, जिससे किसान गाय के गोबर से खाद बनाने के लिए प्रोत्साहित होंगे।
  • सीएनजी उत्पादन: इंदौर, देवास, रीवा और कुछ अन्य जिलों में गौ-शालाओं के माध्यम से सीएनजी गैस का उत्पादन किया जा रहा है। इससे किसानों को रसायन मुक्त जैविक खाद भी मिल रही है।
  • बड़ी गौशालाओं के लिए जमीन: बड़ी गौशालाएं खोलने के लिए राज्य सरकार 125 एकड़ जमीन प्रदान करेगी और इसके लिए वर्तमान बजट में प्रावधान भी किया गया है।
  • वृंदावन ग्राम: सड़कों पर घायल गौ-माताओं को गौशालाओं तक पहुंचाने और उनके कष्ट निवारण के लिए हर ब्लॉक में वृंदावन ग्राम बनाए जाएंगे।

पुरस्कृत हुईं गौशालाएं और गौ-सेवी

कार्यक्रम में 7 गौशालाओं और गौ-सेवियों को वर्ष 2023-24 के लिए आचार्य श्री विद्यासागर जीवदया गौसेवा सम्मान पुरस्कार प्रदान किए गए। ये गौशालाएं भोपाल, दमोह, अनूपपुर, रायसेन, छिंदवाड़ा, हरदा और विदिशा जिलों से थीं. साथ ही, 73 गौशालाओं को पंजीकरण प्रमाण पत्र भी प्रदान किए गए।

मध्य प्रदेश बनेगा स्वावलंबी गौशालाओं वाला पहला राज्य: पशुपालन राज्य मंत्री

पशुपालन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री लखन पटेल ने बताया कि मध्य प्रदेश में 9 अप्रैल 2024 से 29 मार्च 2025 तक गौ संरक्षण वर्ष मनाया गया। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश स्वावलंबी गौशालाएं बनाने वाला देश का पहला राज्य होगा। प्रदेश में 30 ऐसे स्थान चिन्हित किए गए हैं जहां 5000 से लेकर 25000 गोवंश क्षमता वाली हाई-टेक स्वावलंबी गौशालाएं बनाई जाएंगी। इन गौशालाओं में जैविक खाद, सीएनजी गैस उत्पादन के साथ सौर ऊर्जा से बिजली भी बनाई जाएगी। इस सम्मेलन में वरिष्ठ सांसद श्री वी.डी. शर्मा, खेल एवं सहकारिता मंत्री श्री विश्वास सारंग, विधायक श्री भगवानदास सबनानी, भोपाल महापौर श्रीमती मालती राय सहित अनेक जनप्रतिनिधि और गौ-पालक उपस्थित थे। यह कार्यक्रम मध्य प्रदेश को डेयरी और गौ-पालन के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों पर ले जाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

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