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चुनाव आयोग का कड़ा फैसला: 345 निष्क्रिय राजनीतिक दल डीलिस्ट, चुनावी प्रक्रिया को साफ़ करने का अभियान शुरू suru Aajtak24 News |
नई दिल्ली - भारत निर्वाचन आयोग ने राजनीतिक व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए एक ऐतिहासिक और सख्त कदम उठाया है। आयोग ने 345 पंजीकृत अप्रमाणित राजनीतिक दलों (RUPPs) को अपनी सूची से हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
क्यों उठाया गया यह सख्त कदम?
चुनाव आयोग ने पाया कि कई पंजीकृत राजनीतिक दल केवल कागजों पर मौजूद हैं और न तो चुनाव लड़ रहे हैं और न ही अपनी गतिविधियों की कोई जानकारी दे रहे हैं।
सफाई अभियान की प्रक्रिया और छत्तीसगढ़ का हाल
चुनाव आयोग ने यह सुनिश्चित करने के लिए कि किसी भी दल को ग़लत तरीक़े से न हटाया जाए, संबंधित राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों (CEOs) को निर्देश दिए हैं। इन दलों को पहले कारण बताओ नोटिस जारी किया जाएगा और फिर उन्हें सुनवाई का मौका दिया जाएगा। डीलिस्ट करने का अंतिम फैसला भारत निर्वाचन आयोग द्वारा लिया जाएगा। इस कार्रवाई का असर छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों पर भी पड़ेगा, जहाँ क़रीब 42 ग़ैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल हैं। इनमें से कई दल लोकसभा और विधानसभा चुनावों में अपने उम्मीदवार नहीं उतार रहे हैं।
पहले भी हुई है ऐसी कार्रवाई
यह पहली बार नहीं है जब चुनाव आयोग ने इतनी सख्ती दिखाई है। इससे पहले, 2022 में भी आयोग ने 86 ग़ैर-मौजूद RUPPs को हटाया था और 253 को 'निष्क्रिय' घोषित किया था। आयोग का कहना है कि भविष्य में भी ऐसी कार्रवाई जारी रहेगी ताकि केवल सक्रिय और वैध दल ही पंजीकृत रहें और राजनीतिक प्रक्रिया में पारदर्शिता बनी रहे। इस कदम से इन निष्क्रिय दलों को मिलने वाले लाभ, जैसे मुफ़्त चुनाव चिन्ह और टैक्स छूट जैसी सुविधाएँ, बंद हो जाएँगी।
RUPPs क्या हैं?
रजिस्टर्ड अनरजिस्टर्ड पॉलिटिकल पार्टियां (RUPPs) वे दल हैं जो चुनाव आयोग में पंजीकृत तो हैं, लेकिन उन्होंने विधानसभा या लोकसभा चुनावों में इतने वोट हासिल नहीं किए कि उन्हें राज्य या राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिल सके। इन दलों को कुछ अधिकार मिलते हैं, जैसे चुनाव चिन्ह का आवंटन, जिनका कई दल दुरुपयोग कर रहे थे।