क्या है पूरा मामला?
इस विवाद की शुरुआत 21 जून को हुई थी, जब कथावाचक मुकुटमणि यादव और संत सिंह यादव इटावा में कथा सुनाने आए थे। जब ग्रामीणों को पता चला कि ये कथावाचक ब्राह्मण नहीं हैं, तो कुछ लोगों ने उनके साथ बदसलूकी की, उनकी पिटाई की और उन्हें गंजा कर दिया। आरोप है कि उन पर पेशाब भी फेंका गया। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसके बाद पुलिस ने चार आरोपियों को गिरफ़्तार कर जेल भेज दिया था। हालांकि, मामले ने तब एक नया मोड़ ले लिया जब एक महिला ने इन दोनों कथावाचकों पर छेड़छाड़ का आरोप लगाते हुए तहरीर दी। इसके बाद, यजमान जयप्रकाश तिवारी ने भी दोनों कथावाचकों पर जाति छिपाने और धोखाधड़ी का आरोप लगाते हुए एफ़आईआर दर्ज करवा दी, जिससे मामला और ज़्यादा उलझ गया।
विरोध प्रदर्शन बना रणक्षेत्र
कथावाचकों पर एफ़आईआर दर्ज होने के बाद, गुरुवार को उनके समर्थन में अहीर रेजिमेंट और यादव संगठनों के सैकड़ों कार्यकर्ता बकेवर थाने के बाहर इकट्ठा हो गए। विरोध प्रदर्शन शांतिपूर्ण शुरू हुआ, लेकिन जल्द ही यह उग्र हो गया। प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच तीखी बहस हुई, जिसके बाद पथराव शुरू हो गया। हालात इतने बेकाबू हो गए कि पुलिस को भीड़ को तितर-बितर करने के लिए हवाई फायरिंग करनी पड़ी। लगभग तीन घंटे तक चले इस बवाल ने पूरे इलाक़े में अफरा-तफरी मचा दी।
पुलिस की कार्रवाई और सियासी घमासान
इस बवाल के बाद पुलिस ने सख़्त कार्रवाई की है. इंडियन रिफॉर्म्स ऑर्गेनाइजेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष गगन यादव सहित 19 प्रदर्शनकारियों को गिरफ़्तार किया गया है और 13 वाहनों को सीज़ कर दिया गया है। पुलिस ने बताया कि इनमें से कई गाड़ियों पर समाजवादी पार्टी (सपा) के झंडे लगे हुए थे। पुलिस वीडियो फुटेज के आधार पर अन्य बवालियों की तलाश में छापेमारी कर रही है और गांव में कई थानों की पुलिस फ़ोर्स तैनात कर दी गई है।
इस मामले में अब राजनीति भी गरमा गई है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने इस घटना पर सरकार और प्रशासन पर निशाना साधा है. वहीं, भाजपा ने भी इस मामले में एंट्री करते हुए इसे समाजवादी पार्टी की साजिश बताया है। भाजपा क्षेत्रीय उपाध्यक्ष शिव महेश दुबे ने कहा कि इस घटना में शामिल लोगों को सख़्त सज़ा मिलनी चाहिए। दूसरी ओर, सपा जिलाध्यक्ष प्रदीप शाक्य ने इस बवाल से पल्ला झाड़ते हुए कहा कि इसका सपा से कोई लेना-देना नहीं है और भाजपा इसे राजनीतिक फ़ायदे के लिए इस्तेमाल कर रही है। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि ज़िले में शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए सख़्त कदम उठाए जा रहे हैं और सोशल मीडिया पर भी कड़ी निगरानी रखी जा रही है ताकि किसी भी तरह की अफ़वाह को रोका जा सके।