केदारनाथ यात्रा का 'महा-कारोबार': एक महीने में 200 करोड़ की रिकॉर्ड कमाई, स्थानीय अर्थव्यवस्था को मिली जबरदस्त बूस्टर bustar Aajtak24 News

 

केदारनाथ यात्रा का 'महा-कारोबार': एक महीने में 200 करोड़ की रिकॉर्ड कमाई, स्थानीय अर्थव्यवस्था को मिली जबरदस्त बूस्टर bustar Aajtak24 News

देहरादून -  उत्तराखंड के पवित्र धाम केदारनाथ की यात्रा इस वर्ष आस्था के साथ-साथ अभूतपूर्व आर्थिक समृद्धि का भी प्रतीक बन गई है। बाबा केदार के कपाट खुलने के मात्र एक महीने के भीतर ही, इस दुर्गम तीर्थयात्रा से जुड़े विभिन्न क्षेत्रों ने मिलकर लगभग 200 करोड़ रुपये का विशाल कारोबार दर्ज किया है। यह आंकड़ा न केवल तीर्थयात्रियों की बढ़ती संख्या को दर्शाता है, बल्कि हिमालयी क्षेत्र की स्थानीय अर्थव्यवस्था को मिली जबरदस्त गति का भी प्रमाण है, जिसने अनगिनत स्थानीय लोगों के लिए रोजगार और आय के द्वार खोले हैं।

आंकड़ों में केदारनाथ की बंपर कमाई: सेवा क्षेत्र का दबदबा

यात्रा से हुई कुल 200 करोड़ की रिकॉर्ड कमाई में विभिन्न सेवा क्षेत्रों का योगदान उल्लेखनीय है, जो यह दर्शाता है कि केदारनाथ धाम केवल एक धार्मिक केंद्र नहीं, बल्कि एक महत्वपूर्ण आर्थिक इंजन भी बन चुका है:

  • होटल एवं अतिथि गृह कारोबार: यात्रा के दौरान आवास एक प्रमुख आवश्यकता होती है, और इस क्षेत्र ने अकेले 100 करोड़ रुपये की शानदार कमाई की है। यह दर्शाता है कि तीर्थयात्रियों के ठहरने की व्यवस्था से स्थानीय होटल मालिकों और गेस्ट हाउस संचालकों को कितना बड़ा आर्थिक लाभ हुआ है।
  • घोड़ा-खच्चर संचालन: हिमालय के दुर्गम रास्तों पर बुजुर्गों, बच्चों और शारीरिक रूप से अक्षम तीर्थयात्रियों के लिए घोड़ा-खच्चर बेहद अहम साधन हैं। 31 मई तक 1,39,444 तीर्थयात्री इन सेवाओं का उपयोग कर केदारनाथ पहुंचे, जिससे घोड़ा-खच्चर संचालकों को 40 करोड़ 50 लाख रुपये से अधिक की आय प्राप्त हुई। यह आंकड़ा इस पारंपरिक व्यवसाय से जुड़े हजारों परिवारों के लिए जीवनरेखा साबित हुआ है।
  • हेलीकॉप्टर सेवाएँ: त्वरित और सुविधाजनक यात्रा चाहने वाले श्रद्धालुओं के लिए हेली सेवाएं एक पसंदीदा विकल्प हैं। 31 मई तक लगभग 33,000 श्रद्धालु हेलीकॉप्टर के माध्यम से बाबा केदार के दर्शन के लिए पहुंचे, जिससे हेली सेवा प्रदाताओं को 35 करोड़ रुपये की कमाई हुई। यह सेवा उन लोगों के लिए वरदान साबित होती है जिनके पास समय कम है या जो पैदल यात्रा नहीं कर सकते।
  • टैक्सी संचालन (शटल सेवा): सोनप्रयाग से गौरीकुंड तक तीर्थयात्रियों को पहुंचाने वाली शटल टैक्सी सेवाओं ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 225 पंजीकृत टैक्सियों ने 7 लाख से अधिक श्रद्धालुओं को पहुंचाया, जिससे कुल 7 करोड़ रुपये का कारोबार हुआ। प्रत्येक यात्री को 50 रुपये जाने और 50 रुपये वापस आने के लिए चुकाने पड़ते हैं।
  • डंडी-कंडी संचालन: पैदल यात्रा मार्ग पर डंडी और कंडी की सेवाएँ बुजुर्गों और शारीरिक रूप से असमर्थ श्रद्धालुओं के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। इस वर्ष 7000 से अधिक डंडी-कंडी संचालक पंजीकृत हैं, और 31 मई तक 29,275 श्रद्धालुओं ने इन सेवाओं का लाभ उठाया, जिससे 1 करोड़ 16 लाख 89 हजार 100 रुपये की आय प्राप्त हुई।
  • जीएमवीएन राजस्व: गढ़वाल मंडल विकास निगम (जीएमवीएन) को अपने विश्राम गृहों और ध्यान गुफा की बुकिंग से 3 करोड़ 80 लाख रुपये से अधिक का राजस्व प्राप्त हुआ है।

रिकॉर्ड तोड़ श्रद्धालु संख्या: स्थानीय रोजगार को मिला नवजीवन

2 मई को बाबा केदारनाथ के कपाट खुलने के बाद से, अब तक सात लाख से अधिक तीर्थयात्री इस पवित्र धाम के दर्शन कर चुके हैं। तीर्थयात्रियों की यह अप्रत्याशित संख्या सीधे तौर पर स्थानीय लोगों के रोजगार और आजीविका को बढ़ावा दे रही है। छोटे दुकानदार, गाइड, पोर्टर, होटल स्टाफ और विभिन्न सेवाओं से जुड़े हजारों स्थानीय परिवार सीधे तौर पर इस यात्रा से लाभान्वित हो रहे हैं। यह केदारनाथ यात्रा को उत्तराखंड की ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए एक प्रमुख 'बूस्टर' बनाती है।

स्वच्छता और नियमों का पालन: राजस्व के साथ व्यवस्था पर भी जोर

जहां एक ओर यात्रा ने आर्थिक मोर्चे पर शानदार प्रदर्शन किया है, वहीं प्रशासन ने व्यवस्था और स्वच्छता बनाए रखने पर भी ध्यान दिया है। यात्रा मार्ग पर गंदगी फैलाने और अन्य नियमों का उल्लंघन करने वाले विभिन्न प्रतिष्ठानों पर कार्रवाई की गई है। ऐसे मामलों में 2,26,000 रुपये का चालान कर अर्थदंड भी वसूला गया है। यह दर्शाता है कि केवल राजस्व संग्रह ही प्राथमिकता नहीं है, बल्कि यात्रा को सुचारू और स्वच्छ बनाए रखना भी प्रशासन के एजेंडे में शामिल है। कुल मिलाकर, केदारनाथ धाम की यात्रा इस वर्ष न केवल करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बनी है, बल्कि इसने स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी एक नई दिशा और ऊर्जा प्रदान की है। यह यात्रा साबित करती है कि उचित प्रबंधन और सुविधाओं के साथ, धार्मिक पर्यटन कैसे किसी क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक विकास का शक्तिशाली माध्यम बन सकता है।

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