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ऑपरेशन सिंदूर का खौफ: भारतीय नौसेना के 'प्लान कराची' से थर्राया पाकिस्तान, युद्ध अभ्यास के बहाने दिखा रहा घबराहट ghabrahat Aajtak24 News |
इस्लामाबाद/नई दिल्ली - भारत के हालिया 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद भारतीय नौसेना की बढ़ती आक्रामकता और कराची बंदरगाह को निशाना बनाने की भारतीय रक्षा मंत्री की चेतावनी ने पाकिस्तान नौसेना में गहरी घबराहट पैदा कर दी है। 1971 के युद्ध की यादें ताजा करते हुए, जब भारतीय नौसेना ने कराची पोर्ट को तबाह कर दिया था, इस बार भी भारत ने साफ संकेत दिए हैं कि अगर पाकिस्तान ने फिर से कोई हिमाकत की, तो अगली तबाही समुद्र से शुरू होगी। भारतीय नौसेना के सामने अपनी कमजोर स्थिति को भांपते हुए पाकिस्तानी नौसेना अब 'असममित खतरों' से निपटने के बहाने बंदरगाहों और तटों पर युद्धाभ्यास कर रही है, जो उसके गहरे डर का स्पष्ट संकेत है।
ऑपरेशन सिंदूर: जब भारत ने खींची नई 'लक्ष्मण रेखा'
पिछले महीने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत के 'ऑपरेशन सिंदूर' ने पाकिस्तान के खिलाफ एक नई 'लक्ष्मण रेखा' खींच दी है। इस ऑपरेशन के दौरान, जब पाकिस्तान ने भारत के सैन्य ठिकानों पर हमला करने की कोशिश की, तो भारतीय वायुसेना ने जबरदस्त पलटवार करते हुए कम से कम 12 पाकिस्तानी एयरबेस पर हमले किए। इन हमलों में पाकिस्तान के 2 एफ-16 लड़ाकू विमान, दो जेएफ-17 फाइटर जेट और दो AWAC&S सर्विलांस एयरक्राफ्ट को नष्ट कर दिया गया, जिससे पाकिस्तान वायुसेना की 70 प्रतिशत से अधिक सर्विलांस क्षमता समाप्त हो गई। इस दौरान भारतीय नौसेना ने अरब सागर को पूरी तरह से ब्लॉक कर दिया था। भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का वह बयान कि "अगर पाकिस्तान दोबारा कुछ बुरा करने की कोशिश करेगा, तो इस बार उसकी तबाही समुद्र से शुरू होगी," ने पाकिस्तान की रातों की नींद उड़ा दी है। भारत ने अपनी पनडुब्बियों, जिनमें परमाणु पनडुब्बियां भी शामिल हैं, को पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए समुद्र में अभियान पर लगा रखा है।
घबराहट में पाकिस्तानी नौसेना: 'असामान्य खतरों' का बहाना
भारतीय नौसेना की बढ़ती शक्ति और आक्रामक रुख से घबराई पाकिस्तानी नौसेना ने 1 और 2 जून को एक युद्धाभ्यास किया है, जिसका कथित मकसद 'असामान्य खतरों' से निपटना था। इसका सीधा अर्थ यह है कि पाकिस्तान की नौसेना भारत की एयरस्ट्राइक और समुद्री अभियानों से निपटने के लिए तैयारियां कर रही है। पाकिस्तान भले ही अपनी सैन्य शक्ति का ढोल पीटे, लेकिन हकीकत यह है कि भारतीय नौसेना दुनिया की शीर्ष नौसेनाओं में से एक है, जबकि पाकिस्तान अपनी शक्ति के लिए कुछ युद्धपोतों के अलावा ज्यादातर पनडुब्बियों पर निर्भर है। इस युद्धाभ्यास में पाकिस्तान की नौसेना के पाकिस्तान मरीन, नेवी की स्पेशल सर्विस ग्रुप, एयर विंग और फ्लीट यूनिट्स ने हिस्सा लिया। युद्धाभ्यास के दौरान "घुसपैठ, तोड़फोड़ और अघोषित हमलों" से निपटने के लिए एक वातावरण तैयार किया गया था। पाकिस्तानी नौसेना के रियल एडमिरल फैसल अमीन ने 'लाइव एक्शन सिमुलेशंस' की तारीफ की, लेकिन सैन्य विशेषज्ञों का मानना है कि भारतीय नौसेना के सामने पाकिस्तानी नौसेना का यह शक्ति प्रदर्शन सिर्फ एक दिखावा है। भारत की नौसेना सिद्धांत (Naval Doctrine) के सामने पाकिस्तानी नौसेना का यह अभ्यास रणनीतिक तौर पर हास्यास्पद है। यह अभ्यास भारतीय नौसेना की ताकत से उपजे डर का संकेत है, और पाकिस्तान "असामान्य खतरे" की बात करके अपने नागरिकों को यह दिखाना चाहता है कि वह तैयार है, जबकि सच्चाई यह है कि अरब सागर में भारतीय नौसेना की शक्ति के आगे उसके पास कोई भरोसेमंद नौसैनिक रक्षा परत नहीं है।
96 घंटे का टकराव और उसके सबक
भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में चार दिनों तक चले सैन्य संघर्ष में दोनों प्रतिद्वंद्वियों की हथियार प्रणालियों का परीक्षण भी हुआ, जिसमें भारत के फ्रांस निर्मित राफेल लड़ाकू जेट और पाकिस्तान के चीनी निर्मित जे10-सी जेट (चीनी निर्मित मिसाइलों से लैस) शामिल थे। भारतीय सीडीएस जनरल चौहान ने स्पष्ट किया कि भारत अपनी रक्षा जरूरतों के लिए किसी एक देश पर निर्भर नहीं है और उसके पास कई तरह की क्षमताएं हैं, जिनका अच्छे प्रभाव के लिए उपयोग किया गया है। वहीं, जनरल मिर्जा ने बताया कि उनके देश की क्षमताओं में चीन, अमेरिका, तुर्किये, इटली और ब्रिटेन सहित कई अन्य देशों के हथियार शामिल हैं। यह संघर्ष न केवल सैन्य क्षमताओं का परीक्षण था, बल्कि दोनों देशों के बीच सूचना युद्ध और मनोवैज्ञानिक दबाव का भी हिस्सा था। पाकिस्तान ने आधिकारिक तौर पर स्वीकार किया है कि 10 मई को भारतीय हमले में उसकी सेना के 13 अधिकारियों सहित 40 नागरिकों की मौत हुई, जिससे कुल 53 लोग मारे गए। यह आंकड़ा पाकिस्तान पर पड़े सैन्य दबाव को दर्शाता है।