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रीवा में चोरी की घटनाओं पर पुलिस की घेराबंदी: ₹1.33 लाख के इनामी चोर शिवेंद्र उर्फ सूरज गौड़ गिरफ्तार girafatar Aajtak24 News |
रीवा - जिले में चोरी की बढ़ती घटनाओं पर लगाम लगाने के प्रयासों के बीच पुलिस को एक बड़ी सफलता हाथ लगी है। दिनांक 11 जून 2025 को आयोजित एक प्रेस वार्ता में पुलिस अधीक्षक विवेक सिंह, एडिशनल पुलिस अधीक्षक विवेक लाल और थाना प्रभारी गढ़ अवनीश पांडे ने बताया कि रीवा पुलिस द्वारा ₹1,33,000 के इनामी बदमाश शिवेंद्र उर्फ सूरज गौड़ (पिता कन्हैयालाल गौड़, निवासी थाना गढ़) को गिरफ्तार कर लिया गया है। पुलिस ने इस गिरफ्तारी को 'काबिले तारीफ' बताया है।
अपराधों के अंबार पर चुप्पी, जनता के सवाल
पुलिस द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में यह उल्लेख किया गया कि आरोपी पर संभाग के कई थानों में कई अपराध दर्ज हैं। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं किया गया कि किस थाने में कितने अपराध दर्ज हैं, जिससे जनता में यह सवाल बना हुआ है कि जिले में चोरी की घटनाओं का वास्तविक ग्राफ क्या है। जब यह समाचार सूत्रों से फैला कि क्षेत्र का मशहूर चोर पकड़ा गया है, तो कई लोगों के चेहरों पर यह उम्मीद की मुस्कुराहट आई कि शायद अब उनकी चोरी की घटनाओं का भी खुलासा हो पाएगा।
प्रेस वार्ता में इस बात का भी उल्लेख नहीं किया गया कि रीवा जिले में प्रतिवर्ष कितने थानों में छोटी-बड़ी चोरी की कितनी घटनाएं घटित हुई हैं, और पुलिस ने कितने चोरों को गिरफ्तार कर चोरी गए सामानों को बरामद किया है। यह जानकारी अभी भी अज्ञात है।
रिकॉर्ड पर नहीं आ रहीं कई शिकायतें, पुलिस की कार्यप्रणाली पर संदेह
रीवा और मऊगंज जिलों में यह देखने को मिल रहा है कि चोरी और राहजनी की अधिकांश घटनाएं या तो थाने के रिकॉर्ड पर दर्ज नहीं होतीं, या फिर उन्हें सादे कागज पर लिखकर हस्ताक्षर कराकर लोगों को दे दिया जाता है। ये सादे कागज के आवेदन पूर्व पुलिस की धारा 155 और 154 के अंतर्गत अपराध और सूचनाओं के रूप में दर्ज होते हैं, किंतु इनकी संख्या वार्षिक प्रतिवेदन के तीसरे कॉलम पर विलुप्त रहती है। यह स्थिति पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करती है, क्योंकि इससे अपराधों का सही आंकड़ा सामने नहीं आ पाता।
जनता की मेहनत की कमाई, घर के बाहर खड़ी गाड़ियां, और दिन के समय खाली घरों से चोर हाथ साफ कर रहे हैं। ये घटनाएं अब रीवा-मऊगंज जिले में आम बात हो गई हैं।
आम आदमी की सुरक्षा बनाम माननीयों की सुरक्षा
वरिष्ठ अधिकारियों को पत्रकार वार्ता के दौरान यह भी उल्लेख करना चाहिए कि पुलिस ने कितनी रिपोर्टों में कितनी घटनाओं का खुलासा किया है और कितनी चोरियां अभी भी जांच के दौरान विचाराधीन हैं। सवाल यह उठता है कि जिस तरह से चोरी की घटनाओं में कमी के बजाय प्रतिवर्ष वृद्धि हो रही है, यह काफी संवेदनशील मामला है।
सबसे चिंताजनक बात यह है कि इस गंभीर समस्या पर वर्तमान समय पर जनप्रतिनिधि आवाज नहीं उठा रहे हैं और विपक्ष अपनी 'कुंभकर्णी निद्रा' में सोया हुआ प्रतीत होता है। विपक्ष को प्रमुखता के साथ हर जिला मुख्यालय और थाना स्तर पर जनता के अधिकारों की लड़ाई लड़नी चाहिए, क्योंकि टैक्स के पैसे से जनता की सुरक्षा व्यवस्था की जाती है। हालांकि, अक्सर यह सुरक्षा व्यवस्था केवल माननीयों (अधिकारियों और बड़े राजनेताओं) तक ही सीमित रहती है। जब कभी किसी अधिकारी या बड़े राजनेता के यहां चोरी या अन्य घटनाएं होती हैं, तो उनका खुलासा जल्दी हो जाता है, किंतु सामान्य व्यक्तियों के मामलों में यह फुर्ती नहीं दिखाई देती।
क्या पुलिस अगली प्रेस वार्ता में यह उल्लेख करेगी कि पिछले वर्ष की तुलना में बड़ी घटनाओं में वृद्धि नहीं हुई है? आज चोरी, राहजनी और लूट एक गंभीर समस्या बन रही है, जिससे न तो कृषक बचे हैं, न व्यापारी, न शासकीय कार्यालय, और न ही यात्रा करने वाले राहगीर। कई लोग अब रीवा को 'बिहार का जंगलराज' बता रहे हैं, जहां चोरी और लूटपाट की घटनाएं आम हैं। यह विकास का एक मापदंड है या कानून-व्यवस्था का पतन, यह तो सारी चीजें जांच के बाद ही स्पष्ट हो पाएंगी।