![]() |
अवैध खनन से खोखली होती धरती, उजड़ते जंगल, पलायन करते वन्यजीव vanyajiv Aajtak24 News |
रीवा - कभी अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाने वाला रीवा जिला आज अवैध उत्खनन के कारण गंभीर पर्यावरणीय संकट का सामना कर रहा है। पिछले कुछ दशकों में विकास के नाम पर जिस तरह से पहाड़ों, जंगलों और जमीनों का बेतरतीब दोहन हुआ है, उसने प्राकृतिक संतुलन को बुरी तरह प्रभावित किया है। अवैध उत्खनन के चलते रीवा के कई घने जंगल अब वीरान हो गए हैं। कभी यहाँ वन्यजीवों का बसेरा था, लेकिन अब वे पलायन कर रहे हैं क्योंकि उनके प्राकृतिक आवास नष्ट हो गए हैं। इस संकट को जिला प्रशासन और राजस्व विभाग की कथित लापरवाही और बढ़ा रही है। सरकारी रिकॉर्ड में भूमि की वास्तविक स्थिति का सही अंकन नहीं है, जिससे करोड़ों रुपये की शासकीय और निजी जमीनों पर धोखाधड़ी हो रही है। अवैध खनन वाली सड़कों और पहाड़ियों के भूमि नंबर तक दर्ज नहीं हैं, और निर्माण सामग्री के स्रोत का कोई लेखा-जोखा नहीं है।
आरोप है कि हनुमान, सिरमौर और मनगवा जैसे क्षेत्रों में 20 से 100 फीट गहरी खदानें खुलेआम संचालित हो रही हैं, लेकिन प्रशासन द्वारा कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं की जा रही है। पटवारी, राजस्व निरीक्षक और तहसीलदार स्तर पर कोई जवाबदेही तय नहीं है। लेख में चिंता व्यक्त की गई है कि यदि कठोर नियम बनाकर दोषियों को दंडित नहीं किया गया और ऐसी गतिविधियों पर लगाम नहीं लगाई गई, तो आने वाली पीढ़ियां रीवा की प्राकृतिक धरोहर से वंचित रह जाएंगी। यह न केवल रीवा, बल्कि संपूर्ण मानवता के लिए एक गंभीर संकट है।