मेडिकल हब का सपना या शोषण का मकड़जाल? makadjal Aajtak24 News

 

 मेडिकल हब का सपना या शोषण का मकड़जाल? makadjal Aajtak24 News 


रीवा - कभी विंध्य की सांस्कृतिक राजधानी के रूप में प्रतिष्ठित, रीवा आज एक विरोधाभासी पहचान से जूझ रहा है। एक ओर इसे "मेडिकल हब" बनाने के दावे किए जा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर जमीनी हकीकत शोषण, लूट और उपेक्षा की गहरी खाई दिखाती है।

चिकित्सा व्यवस्था की त्रासदी: सरकारी अस्पतालों में मरीजों की लंबी कतारें, दवाओं की कमी और डॉक्टरों की अनुपलब्धता आम है। वायरल वीडियो में मरीजों का खुले आसमान के नीचे स्ट्रेचर पर तड़पना व्यवस्था की बदहाली का जीता-जागता प्रमाण है।

निजी अस्पतालों की बाढ़: शहर में निजी अस्पताल और नर्सिंग होम तेजी से बढ़ रहे हैं, लेकिन आरोप है कि इनका मुख्य उद्देश्य सेवा नहीं, मुनाफाखोरी है। बिना लाइसेंस, अयोग्य डॉक्टर और बिना मान्यता वाली पैथोलॉजी लैब खुलेआम चल रही हैं। बिना जांच के गर्भपात और लापरवाही से मौतों के मामले सामने आ रहे हैं, जहां मरीजों से इलाज से पहले उनकी आर्थिक स्थिति पूछी जाती है।

राजनीति और सत्ता की संरचना: आरोप है कि राजनीति अब सेवा का माध्यम न होकर व्यापार और वर्चस्व का खेल बन गई है। जनप्रतिनिधियों पर अपने निजी व्यवसायों को संरक्षण देने के आरोप लग रहे हैं, जबकि आम जनता अस्पतालों में बदहाली झेल रही है।

शिक्षा और प्रशासन: स्वास्थ्य के साथ-साथ शिक्षा और प्रशासनिक विभागों में भी भ्रष्टाचार व्याप्त होने के आरोप हैं। ईमानदार कर्मचारियों को हाशिए पर धकेल दिया गया है, जबकि चाटुकारिता करने वाले महत्वपूर्ण पदों पर बैठे हैं।

जनता की जिम्मेदारी: रीवा को सही मायने में "मेडिकल हब" बनाने के लिए व्यवस्था में मौजूद भ्रष्ट तत्वों को हटाना होगा। अवैध चिकित्सकों पर कार्रवाई, सरकारी अस्पतालों में संसाधनों की पूर्ति, निजी अस्पतालों पर सख्त निगरानी और जनप्रतिनिधियों की संपत्ति की जांच की मांग उठ रही है। शिक्षा, स्वास्थ्य और प्रशासन को राजनीतिक हस्तक्षेप से मुक्त करने की भी आवश्यकता है। यदि ऐसा नहीं किया गया, तो रीवा "मेडिकल हब" नहीं, बल्कि "मेडिकल शोषण केंद्र" बनकर रह जाएगा।

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