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रीवा के लाल ने पेश की ईमानदारी की अनूठी मिसाल, सड़क पर मिला कीमती बैग लौटाया loutaya Aajtak24 News |
रीवा/गढ़ - आधुनिक युग में जहां मानवीय मूल्यों में गिरावट देखने को मिल रही है, वहीं रीवा जिले के एक साधारण नागरिक ने ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा की ऐसी मिसाल पेश की है, जो न केवल सराहनीय है बल्कि अनुकरणीय भी है। लोरी नंबर 1 गांव के रहने वाले राजेश कुमार द्विवेदी ने सड़क पर गिरे एक कीमती बैग को उसके असली मालिक तक पहुंचाकर यह साबित कर दिया कि आज भी समाज में ऐसे नेक दिल इंसान मौजूद हैं जो दूसरों की संपत्ति को अपनी मानकर उसकी सुरक्षा करते हैं। घटनाक्रम के अनुसार, रामजी कुशवाहा नामक व्यक्ति अपनी पत्नी सुधा कुशवाहा के साथ बीते 1 मई की सुबह लगभग 9 बजे अपनी मोटरसाइकिल से अपने ससुराल मौहरिया, लालगांव के लिए रवाना हुए थे। यात्रा के दौरान, दुर्भाग्यवश उनकी बाइक से एक बैग रास्ते में कहीं गिर गया। इस बैग में लगभग 400 ग्राम वजनी चांदी के कीमती आभूषण शामिल थे, जिनमें पायल, पायजर, हाफ सेट, सकरी और मुंदरी जैसे पारंपरिक जेवरात थे, जिनका भावनात्मक और आर्थिक मूल्य काफी अधिक था।
जब रामजी कुशवाहा और उनकी पत्नी अपने गंतव्य पर पहुंचे, तो उन्हें बैग के गायब होने का पता चला। अपनी बहुमूल्य संपत्ति खो जाने से वे अत्यंत चिंतित और निराश हो गए। उन्होंने तुरंत उस रास्ते पर वापस जाने का फैसला किया, जहां से वे गुजरे थे, उम्मीद थी कि शायद उन्हें उनका बैग वापस मिल जाए। इसी बीच, भाग्यवश उसी रास्ते से गुजर रहे लोरी नंबर 1 के निवासी राजेश कुमार द्विवेदी को सड़क पर वह बैग पड़ा हुआ दिखाई दिया। एक जिम्मेदार नागरिक का परिचय देते हुए, श्री द्विवेदी ने तुरंत बैग उठाया और उसे अपने घर ले गए। उनकी अंतरात्मा ने उन्हें बैग को अपने पास रखने की इजाजत नहीं दी। उन्होंने बैग को ध्यान से खोला और उसमें मालिक की पहचान या संपर्क सूत्र ढूंढने का प्रयास किया।
उनकी कोशिश रंग लाई, जब उन्हें बैग के अंदर एक मोबाइल नंबर लिखा हुआ मिला। बिना किसी देरी के, राजेश कुमार द्विवेदी ने उस नंबर पर संपर्क किया। दूसरी ओर रामजी कुशवाहा थे, जो अपने गुम हुए बैग की तलाश में हताश घूम रहे थे। श्री द्विवेदी ने उन्हें सूचित किया कि उनका बैग सुरक्षित रूप से उनके पास है और वे आकर उसे ले जा सकते हैं। यह खबर सुनकर रामजी कुशवाहा और उनकी पत्नी की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उन्होंने तुरंत लोरी गांव के लिए प्रस्थान किया। 2 मई को जब वे राजेश कुमार द्विवेदी के घर पहुंचे, तो श्री द्विवेदी ने बिना किसी अपेक्षा के उनका कीमती बैग उन्हें सौंप दिया। बैग में रखी चांदी की सभी वस्तुएं पूरी तरह से सुरक्षित थीं, जिसकी पुष्टि रामजी और उनकी पत्नी ने की।
अपनी खोई हुई संपत्ति को सुरक्षित वापस पाकर रामजी कुशवाहा और उनकी पत्नी ने राजेश कुमार द्विवेदी का हृदय से आभार व्यक्त किया। उनकी ईमानदारी और नेक नीयत की उन्होंने खुले मन से प्रशंसा की। इस घटना ने न केवल एक गरीब परिवार को आर्थिक नुकसान से बचाया, बल्कि समाज में विश्वास और मानवीय मूल्यों की प्रतिष्ठा को भी बढ़ाया है। राजेश कुमार द्विवेदी के इस सराहनीय कार्य की पूरे क्षेत्र में चर्चा हो रही है। लोग उनकी ईमानदारी और निःस्वार्थ सेवा भाव की प्रशंसा करते नहीं थक रहे हैं। यह घटना उन लोगों के लिए एक सबक है जो छोटी-छोटी लालच में आकर दूसरों की संपत्ति पर बुरी नजर डालते हैं। श्री द्विवेदी ने यह साबित कर दिया कि ईमानदारी आज भी सबसे बड़ी नीति है और इंसानियत ही सबसे बड़ा धर्म है। उनके इस कार्य ने समाज में एक सकारात्मक संदेश दिया है और लोगों को प्रेरित किया है कि वे भी अपने जीवन में ईमानदारी और सत्यनिष्ठा के मार्ग पर चलें।