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बहन कहकर फंसाया, बलात्कार, धर्म परिवर्तन और जंजीरों में कैद - युवती की वर्षों की चुप्पी टूटी tuti Aajtak24 News |
इंदौर - मध्य प्रदेश के महू शहर से एक ऐसी सनसनीखेज और रूह कंपा देने वाली घटना सामने आई है, जिसने मानवीय रिश्तों की पवित्रता पर गहरा सवाल खड़ा कर दिया है। एक 28 वर्षीय युवती ने वर्षों तक असहनीय पीड़ा सहने के बाद आखिरकार अपनी चुप्पी तोड़ी है और एक ऐसे भयावह सच का खुलासा किया है, जिसे सुनकर हर कोई स्तब्ध है। पीड़िता का आरोप है कि संजय उर्फ संजय खान नामक एक युवक ने पहले हिंदू नाम बताकर उससे दोस्ती की, फिर उसे 'बहन' कहकर भरोसे में लिया और धीरे-धीरे उसकी जिंदगी को नरक में धकेल दिया। युवती ने पुलिस को अपनी आपबीती सुनाते हुए बताया कि किस तरह उसे धोखे से बलात्कार किया गया, शादी का नाटक रचा गया, जबरन निकाह करवाया गया, धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर किया गया और अंततः उसे जंजीरों में बांधकर अमानवीय यातनाएं दी गईं।
पीड़िता के अनुसार, उसकी यह दर्दनाक कहानी साल 2013 में शुरू हुई, जब वह राऊ स्थित एक निजी कंपनी में काम करती थी। वहीं पर उसकी मुलाकात संजय से हुई, जिसने अपना नाम संजय कुमावत बताया था। शुरुआती बातचीत में संजय ने पीड़िता के साथ बड़ी आत्मीयता दिखाई और उसे 'बहन' कहकर संबोधित करने लगा। इस तरह उसने धीरे-धीरे युवती का विश्वास जीत लिया। एक दिन जब पीड़िता की तबीयत खराब थी, तो संजय उससे मिलने उसके कमरे पर आया और नाश्ता कराने के बहाने उसे कोल्डड्रिंक में नशीला पदार्थ मिलाकर पिला दिया। जब युवती बेहोश हो गई, तो संजय ने उसके साथ दुष्कर्म किया और उसे धमकी दी कि उसने उसकी आपत्तिजनक वीडियो और तस्वीरें बना ली हैं, जिन्हें वह सार्वजनिक कर देगा। डर और बदनामी के भय से पीड़िता ने उस समय किसी को भी इस घिनौनी घटना के बारे में नहीं बताया।
इसके बाद संजय ने पीड़िता पर शादी का दबाव बनाना शुरू कर दिया। वह उसे खजराना मंदिर ले गया, जहां उसने पीड़िता की मांग में सिंदूर भरा और उसे माला पहनाई, जिससे पीड़िता को लगा कि वे सच में शादी कर रहे हैं। हालांकि, यह सिर्फ एक दिखावा था। इसके बाद संजय उसे मंदसौर, कोटा और भवानी मंडी जैसे अलग-अलग स्थानों पर ले गया और वहां उसे बंधक बनाकर रखा। कोटा में उसने एक मौलाना को बुलाकर पीड़िता का जबरन निकाह पढ़वा दिया। जब युवती ने इसका विरोध किया, तो उसके साथ बेरहमी से मारपीट की गई। पीड़िता ने बताया कि उस समय वह गर्भवती भी थी, लेकिन संजय और उसके साथियों ने उसकी परवाह नहीं की।
पीड़िता की आपबीती और भी भयावह होती जाती है। उसने बताया कि निकाह के बाद उसे रोजाना कलमा पढ़ने के लिए मजबूर किया जाता था। उसे जबरन गोमांस खिलाया जाता था और यदि वह इनकार करती थी तो उसे पीटा जाता था। उसे अक्सर जंजीरों से बांधकर एक कमरे में बंद कर दिया जाता था, जहां वह অসহनीय पीड़ा और घुटन महसूस करती थी। एक बार जब उसने वहां से भागने की कोशिश की, तो उसे पकड़ लिया गया और इतनी बुरी तरह से पीटा गया कि वह अधमरी हो गई। उसे तीन दिनों तक खाना और पानी भी नहीं दिया गया। इस दौरान जब उसके बच्चे हुए, तो उनके नाम भी जबरन बदलवा दिए गए - बेटे का नाम 'जुनैद' और बेटी का नाम 'जोया' रखा गया।
वर्षों तक इस अमानवीय त्रासदी को सहने के बाद आखिरकार पीड़िता ने हिम्मत दिखाई और महू पुलिस स्टेशन में अपनी शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने पीड़िता की आपबीती सुनने के बाद तत्काल कार्रवाई करते हुए संजय खान, उसके पिता बाबू खान, मां शेरो बी, भाई नाहरु खान (सभी निवासी आलोट, जिला रतलाम) और एक अन्य व्यक्ति राज खान (निवासी दावतखेड़ी, मंदसौर) के खिलाफ दुष्कर्म, जबरन धर्म परिवर्तन, बंधक बनाकर रखना, मारपीट और धमकी देने सहित विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया है।
यह मामला सिर्फ एक युवती पर हुए अत्याचार की कहानी नहीं है, बल्कि यह उन सैकड़ों महिलाओं की आवाज है जो धोखे, डर और सामाजिक दबाव के कारण चुप रहने को मजबूर हैं। इस घटना ने 'लव जिहाद' के भयावह चेहरे को एक बार फिर उजागर किया है और यह सवाल खड़ा किया है कि समाज में महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान सुनिश्चित करने के लिए और कितने कठोर कदम उठाने की आवश्यकता है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि पुलिस इस मामले में कितनी तेजी से और प्रभावी कार्रवाई करती है और पीड़िता को न्याय दिलाती है, ताकि भविष्य में किसी और महिला को इस तरह की अमानवीय पीड़ा से न गुजरना पड़े।