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आतंक पर भारत का करारा प्रहार: PoK में 9 आतंकी अड्डे जमींदोज, 'ऑपरेशन सिंदूर' ने मचाई तबाही tabahi Aajtak24 News |
नई दिल्ली - वादी-ए-कश्मीर के शांत वातावरण को लहूलुहान करने वाले पहलगाम के कायराना आतंकी हमले की चीखें अभी थमी भी नहीं थीं कि भारत ने अपने शौर्य और संकल्प का प्रचंड प्रदर्शन करते हुए पाकिस्तान और उसके कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर (PoK) में पल रहे आतंकवाद के नापाक ठिकानों पर ऐसा कहर बरपाया, जिसकी गूंज इस्लामाबाद के गलियारों तक सुनाई दे रही है। 'ऑपरेशन सिंदूर' नाम के इस गुप्त और अचूक सैन्य अभियान में भारतीय सशस्त्र बलों ने सीमा पार लगभग 100 किलोमीटर अंदर तक घुसकर कम से कम 9 ऐसे महत्वपूर्ण आतंकवादी शिविरों को धूल में मिला दिया, जो भारत के खिलाफ आतंक की नर्सरी बने हुए थे। यह कार्रवाई पहलगाम में 26 निर्दोष नागरिकों की जान लेने वाले बर्बर हमले के ठीक दो सप्ताह बाद की गई है, जो भारत के धैर्य और दृढ़ संकल्प की सीमा को दर्शाता है।
भारतीय रक्षा मंत्रालय ने बुधवार को एक आधिकारिक बयान जारी कर इस साहसिक सैन्य कार्रवाई की पुष्टि की। मंत्रालय ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि भारतीय सशस्त्र बलों ने 'ऑपरेशन सिंदूर' को अंजाम देते हुए पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर में उन आतंकवादी ढांचों को निशाना बनाया, जहां से भारत के विरुद्ध आतंकवादी हमलों की कुटिल योजनाएं रची जाती थीं और उन्हें निर्देशित किया जाता था। मंत्रालय ने यह भी जोर दिया कि यह कार्रवाई पूरी तरह से लक्षित, सुविचारित और गैर-बढ़ी हुई प्रकृति की थी। किसी भी पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठान को गलती से भी निशाना नहीं बनाया गया। भारत ने लक्ष्यों का चयन करने और उन पर हमला करने के तरीके में अत्यधिक संयम और जिम्मेदारी का परिचय दिया है।
विश्वसनीय खुफिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, भारतीय सेना ने PoK के भीतर जिन 9 चिन्हित स्थानों पर अचूक प्रहार किया है, वे दशकों से पाकिस्तान की सरपरस्ती में पल रहे खूंखार आतंकवादी संगठनों के लिए सुरक्षित आश्रय और प्रशिक्षण केंद्र के रूप में कुख्यात थे। ये ठिकाने मुख्य रूप से तीन दुर्दांत आतंकी समूहों - जैश-ए-मोहम्मद (JeM), लश्कर-ए-तैयबा (LeT) और हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकी बुनियादी ढांचे से जुड़े हुए थे। इन संगठनों का भारत में हुए कई बड़े और रक्तरंजित आतंकवादी हमलों में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से हाथ रहा है, जिससे हजारों निर्दोष जानें गई हैं और देश की सुरक्षा को गंभीर चुनौती मिली है।
आइए अब गहराई से जानते हैं उन 9 महत्वपूर्ण ठिकानों के बारे में, जिन्हें 'ऑपरेशन सिंदूर' की आग ने राख के ढेर में तब्दील कर दिया और इन क्षेत्रों में किन कुख्यात आतंकी संगठनों की काली करतूतें फल-फूल रही थीं:
बरनाला कैंप - कट्टरता का कारखाना: नियंत्रण रेखा (LoC) से लगभग 10 किलोमीटर दूर राजौरी के सामने स्थित बरनाला कैंप कुख्यात आतंकवादी संगठन जमात उद दावा (JuD) का एक महत्वपूर्ण वैचारिक और प्रशिक्षण केंद्र था। इसे अहले हदीस ब्रांडिंग के पीछे जमात-उद-दावा का एक नया, अधिक कट्टरपंथी और जहरीला विस्तार माना जाता है। इसी केंद्र से लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के लिए न केवल वित्तीय सहायता (फंडिंग) पहुंचाई जाती थी, बल्कि यहां आतंकियों को कठोर प्रशिक्षण और घृणा व कट्टरता से भरी विचारधारा का पाठ भी पढ़ाया जाता था।
बिलाल कैंप - LeT की काली कोठरी: हालांकि आधिकारिक तौर पर इसे जैश-ए-मोहम्मद (JeM) का लॉन्चपैड माना जाता था, लेकिन विश्वसनीय खुफिया रिपोर्टों से पता चलता है कि यह केंद्र कुख्यात आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (LeT) की गतिविधियों से भी गहराई से जुड़ा हुआ था। इस ठिकाने का इस्तेमाल मुख्य रूप से प्रशिक्षित आतंकवादियों को सीमा पार भेजकर भारत में हमलों को अंजाम देने के लिए एक महत्वपूर्ण पारगमन बिंदु के रूप में किया जाता था।
सवाई कैंप (PoK) - घुसपैठ का लॉन्चपैड: पाक अधिकृत कश्मीर के अंदर लगभग 30 किलोमीटर की गहराई में तंगधार सेक्टर में स्थित सवाई कैंप लश्कर-ए-तैयबा का एक महत्वपूर्ण और सक्रिय केंद्र था। यह कैंप पिछले कुछ समय में सोनमर्ग (20 अक्टूबर, 2024) और गुलमर्ग (24 अक्टूबर, 2024) जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में हुए आतंकी हमलों के साथ-साथ हाल ही में पहलगाम में हुए जघन्य हमले से भी जुड़ा हुआ पाया गया है। LoC के बेहद करीब स्थित होने के कारण, यह कैंप आतंकवादियों के लिए भारत में घुसपैठ करने का एक प्रमुख और सक्रिय मार्ग था। माना जाता है कि यह कैंप सीधे तौर पर पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI की कड़ी निगरानी में संचालित होता था, जहां हर बड़े आतंकी ऑपरेशन को अंजाम देने से पहले आतंकियों की महत्वपूर्ण बैठकें आयोजित की जाती थीं।
गुलपुर - घात और धोखे की मंडी: नियंत्रण रेखा (LoC) से लगभग 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित गुलपुर क्षेत्र पुंछ-राजौरी बेल्ट का हिस्सा है, जो आतंकवादियों की घुसपैठ और नापाक हरकतों के लिए कुख्यात रहा है। खुफिया एजेंसियों से प्राप्त ठोस जानकारी के अनुसार, अप्रैल 2023 में पुंछ में भारतीय सेना के जवानों पर घात लगाकर किया गया जानलेवा हमला और जून 2024 में हिंदू तीर्थयात्रियों को ले जा रही बस पर हुआ बर्बर और निंदनीय हमला, जिसमें कई श्रद्धालुओं की जान चली गई थी, इन्हीं गुलपुर के आतंकी ठिकानों पर रची गई खौफनाक साजिशों का परिणाम था।
कोटली कैंप - ISI का प्यादा: नियंत्रण रेखा (LoC) से लगभग 15 किलोमीटर दूर राजौरी सेक्टर के ठीक सामने स्थित कोटली कैंप एक और महत्वपूर्ण ठिकाना था, जिसे पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI का सक्रिय और प्रत्यक्ष समर्थन प्राप्त था। यह आतंकवादी संगठन कश्मीर में "उच्च मूल्य लक्ष्यों" (High Value Targets) पर हमले करने की कुटिल साजिशों में शामिल रहा है। LoC के बेहद करीब स्थित होने के कारण, यह क्षेत्र आतंकवादियों के लिए भारत में घुसपैठ करने का एक प्रमुख और सुगम मार्ग भी था, जिसका इस्तेमाल वे अक्सर करते थे।
मुरीदके - 26/11 के गुनाहों का केंद्र: भारत-पाकिस्तान सीमा से लगभग 30 किलोमीटर अंदर स्थित मुरीदके शहर लश्कर-ए-तैयबा (LeT) और उसके मुखौटा संगठन जमात-उद-दावा (JuD) का मुख्यालय रहा है। यह स्थान LeT का मुख्य प्रशासनिक, प्रशिक्षण और संचालन केंद्र था। इस जगह का सीधा और गहरा संबंध 26 नवंबर, 2008 को मुंबई में हुए दिल दहला देने वाले आतंकवादी हमलों से है, जिसमें सैकड़ों निर्दोष लोग मारे गए थे और भारत की आत्मा को गहरा घाव लगा था।
सरजल कैंप - घुसपैठ का प्रशिक्षण मैदान: अंतर्राष्ट्रीय सीमा से महज 8 किलोमीटर की दूरी पर सांबा-कठुआ सेक्टर के सामने स्थित सरजल कैंप जैश-ए-मोहम्मद (JeM) का एक महत्वपूर्ण शिविर था। 'ऑपरेशन सिंदूर' में हिजबुल मुताहिदीन के एक महत्वपूर्ण केंद्र को भी इसी क्षेत्र में सफलतापूर्वक ध्वस्त किया गया। PoK के इस संवेदनशील सेक्टर में यह संगठन नए आतंकवादियों की भर्ती, उन्हें घुसपैठ की रणनीति, इलाके के नक्शे और जमीनी स्तर का कठोर प्रशिक्षण प्रदान करने में सक्रिय रूप से शामिल था।
मेहमूना कैंप - खामोश लेकिन घातक: अंतर्राष्ट्रीय सीमा से लगभग 15 किलोमीटर दूर सियालकोट क्षेत्र में स्थित मेहमूना कैंप हिजबुल मुजाहिदीन का एक गुप्त और खतरनाक प्रशिक्षण केंद्र था। यह अपेक्षाकृत कम चर्चा में रहने वाला ठिकाना कश्मीर में स्थानीय युवाओं की भर्ती करने और उन्हें प्रशिक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता था। यह संगठन 1990 के दशक में भी कश्मीर में सक्रिय था और अब नए सिरे से अपनी आतंकी गतिविधियों को बढ़ाने की कुटिल कोशिश कर रहा था।
बहावलपुर - आतंक का हृदयस्थल: अंतर्राष्ट्रीय सीमा से लगभग 100 किलोमीटर की गहराई पर स्थित बहावलपुर शहर जैश-ए-मोहम्मद (JeM) का निर्विवाद गढ़ माना जाता है। कुख्यात आतंकवादी मसूद अजहर ने इसी जगह पर इस खूंखार संगठन की नींव रखी थी और यहीं से इसके आतंकी साम्राज्य का विस्तार हुआ। खुफिया एजेंसियों की गहन पड़ताल में यह बात सामने आई है कि 2016 में भारतीय वायुसेना के पठानकोट स्थित ठिकाने पर हुए कायराना हमले और 2019 में पुलवामा में CRPF के काफिले पर हुए आत्मघाती हमले जैसी बड़ी आतंकी साजिशें भी इसी बहावलपुर की धरती पर रची गई थीं। 'ऑपरेशन सिंदूर' में बहावलपुर स्थित सुभान अल्लाह मस्जिद को विशेष रूप से निशाना बनाकर ध्वस्त कर दिया गया। यह मस्जिद न केवल JeM के कैडरों के लिए एक महत्वपूर्ण प्रशिक्षण केंद्र थी, बल्कि यहीं पर 14 फरवरी, 2019 के पुलवामा हमले की खौफनाक योजना को अंतिम रूप दिया गया था।
भारतीय रक्षा मंत्रालय के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार, 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत किए गए सभी नौ अचूक हवाई हमले पूरी तरह से सफल रहे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं इस महत्वपूर्ण और रणनीतिक ऑपरेशन की पल-पल की जानकारी ले रहे थे और इसकी बारीकी से निगरानी कर रहे थे। प्रारंभिक और गैर-पुष्ट रिपोर्टों के अनुसार, इस साहसिक सैन्य कार्रवाई में कम से कम 90 आतंकवादियों के मारे जाने की आशंका जताई जा रही है, हालांकि अभी तक इसकी आधिकारिक पुष्टि का इंतजार है।
भारत की यह निर्णायक और साहसिक कार्रवाई न केवल पहलगाम में हुए कायरतापूर्ण हमले का मुंहतोड़ जवाब है, बल्कि यह पाकिस्तान को भी एक स्पष्ट और कठोर संदेश देती है कि भारत अपनी धरती से संचालित होने वाले आतंकवादी समूहों को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेगा और अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा और अपने नागरिकों की जान-माल की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जाने के लिए पूरी तरह से तैयार है। 'ऑपरेशन सिंदूर' प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत की आतंकवाद के खिलाफ "शून्य सहिष्णुता" (Zero Tolerance) की नीति और सीमा पार आतंकवाद को जड़ से उखाड़ फेंकने की अटूट इच्छाशक्ति का एक शक्तिशाली और निर्भीक प्रदर्शन है। यह कार्रवाई उन सभी तत्वों के लिए एक कड़ा सबक है जो भारत की शांति और सुरक्षा को भंग करने की कुचेष्टा करते हैं।