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रीवा के खेल मैदान पर अवैध कब्जा: बच्चों से छिना खेलने का हक, प्रशासन मौन moun Aajtak24 News |
रीवा: जिले की हुजूर तहसील के ग्राम ये टेकुआ, वार्ड नंबर-2 में एक गंभीर मामला सामने आया है, जहां शासकीय खेल मैदान की बेशकीमती भूमि पर अवैध कब्जा कर लिया गया है। मध्य प्रदेश शासन के राजस्व अभिलेखों में खेल मैदान के तौर पर दर्ज इस जमीन पर ग्राम के ही निवासी राजेश पटेल द्वारा कथित रूप से अतिक्रमण कर निर्माण कार्य किया जा रहा है। यह खेल मैदान शासकीय विद्यालय के समीप स्थित है और वर्षों से गांव के बच्चों और युवाओं के खेलने-कूदने का एकमात्र सहारा रहा है।
ग्रामीणों के अनुसार, खसरा नंबर 60 और 40 की यह शासकीय भूमि न केवल उनके मनोरंजन और खेल गतिविधियों के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह क्षेत्र के युवाओं के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए भी অপরিहार्य है। इसके बावजूद, दबंगों द्वारा लगातार किए जा रहे अवैध निर्माण कार्य से ग्रामीणों में गहरा रोष व्याप्त है।
स्थानीय निवासियों ने इस अतिक्रमण के खिलाफ नगर निगम आयुक्त और कलेक्टर रीवा को कई बार लिखित शिकायतें भेजी हैं। अपनी शिकायतों में उन्होंने स्पष्ट रूप से उल्लेख किया है कि यह भूमि आज भी सरकारी रिकॉर्ड में मध्य प्रदेश शासन के नाम पर दर्ज है, फिर भी राजेश पटेल और उनके परिवार द्वारा इस पर जबरन कब्जा किया जा रहा है। ग्रामीणों का आरोप है कि आरोपी शासकीय भूमि पर अवैध प्लाटिंग कर उसे बेचने का धंधा कर रहे हैं। पहले भी इस तरह की शिकायतें दर्ज कराई गई थीं, लेकिन प्रशासन की कथित निष्क्रियता के चलते अतिक्रमणकर्ताओं का मनोबल बढ़ता गया। वर्तमान में भी ग्रामीणों ने एक नई शिकायत दर्ज कराई है, जिसमें तत्काल अतिक्रमण हटाने और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की गई है।
गांव के निवासी रामलाल गुप्ता ने आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा, "हमारे गांव में बच्चों और युवाओं के खेलने के लिए यही एकमात्र मैदान था। लेकिन अब कुछ दबंगों ने इस पर कब्जा कर लिया है। हमने प्रशासन से बार-बार गुहार लगाई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही।" वहीं, सुरेश मिश्रा नामक एक अन्य ग्रामीण ने चिंता जताते हुए कहा, "अगर प्रशासन इसी तरह चुप्पी साधे रहा, तो आने वाले समय में और भी सरकारी जमीनों पर कब्जा हो सकता है। हम चाहते हैं कि हमारा खेल मैदान सुरक्षित रहे और कब्जा करने वालों को सख्त सजा मिले।
यह घटना रीवा जिला प्रशासन की कार्यशैली पर भी गंभीर सवाल खड़े करती है। जब शासकीय दस्तावेजों में यह भूमि स्पष्ट रूप से सरकार की संपत्ति है, तो किस आधार पर यहां अवैध निर्माण की अनुमति दी गई या इसे अनदेखा किया गया? ग्रामीणों ने मांग की है कि प्रशासन न केवल अतिक्रमण हटाए, बल्कि अतिक्रमणकर्ताओं के खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी करे, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि रीवा जिला प्रशासन इस मामले में कितनी तत्परता दिखाता है और अपनी शासकीय संपत्ति को बचाने के लिए क्या ठोस कदम उठाता है। यदि प्रशासन जल्द ही कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं करता है, तो ग्रामीण उच्च न्यायालय या मुख्यमंत्री कार्यालय तक अपनी आवाज पहुंचाने के लिए बाध्य होंगे। ग्रामीणों का कहना है कि वे अपने खेल मैदान को बचाने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे।