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लौरी गढ़ खरीदी केंद्र का चौकीदार सवालों के घेरे में, आय से अधिक संपत्ति और संदिग्ध भूमिका पर जांच की मांग mang Aajtak24 News |
रीवा - जिले के लौरी गढ़ स्थित धान खरीदी केंद्र में कार्यरत चौकीदार राम गणेश द्विवेदी इन दिनों गंभीर आरोपों और जनचर्चा के केंद्र में हैं। स्थानीय स्तर पर और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर उनकी कार्यशैली, आय और संपत्ति में भारी अंतर, और उनके पद से बाहर की गतिविधियों को लेकर कई गंभीर सवाल उठाए जा रहे हैं। हालांकि, इन चर्चाओं की आधिकारिक पुष्टि अभी तक नहीं हुई है, लेकिन जो सूचनाएं सामने आ रही हैं, वे स्थानीय प्रशासन और सहकारिता विभाग के लिए चिंता का विषय बन सकती हैं। स्थानीय सूत्रों के अनुसार, यदि चौकीदार राम गणेश द्विवेदी के मोबाइल कॉल रिकॉर्ड्स की गहन जांच की जाए, तो कई अनाज व्यापारी, गोदाम प्रभारी और ट्रांसपोर्ट एजेंसियों के साथ उनके नियमित संपर्क का खुलासा हो सकता है। यह आशंका जताई जा रही है कि वे खरीदी केंद्र के नाम पर अपने निजी लाभ के लिए एक सांठगांठ चला रहे हैं। इसके अतिरिक्त, यह भी चर्चा है कि खरीदी केंद्र पर खराब गुणवत्ता वाली धान की बड़ी मात्रा को कथित "सेटिंग" के माध्यम से गोदाम में जमा कराया गया, लेकिन इस अनियमितता पर अभी तक कोई आधिकारिक जांच शुरू नहीं हुई है। सवाल यह उठता है कि यदि एक चौकीदार इस तरह की गतिविधियों में शामिल है, तो क्या यह किसी बड़े संगठित भ्रष्टाचार का हिस्सा है?
आश्चर्यजनक रूप से, राम गणेश द्विवेदी केवल चौकीदारी के अपने आधिकारिक कर्तव्यों तक ही सीमित नहीं हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार, उन्हें अनाज वितरण, ट्रैक्टरों के नंबर दर्ज करने और यहां तक कि अनाज की गुणवत्ता जांच जैसे महत्वपूर्ण कार्यों में भी सक्रिय देखा जाता है, जो स्पष्ट रूप से उनके पद की जिम्मेदारी से बाहर है। सूत्रों का यह भी कहना है कि उन्हें समय-समय पर समिति द्वारा "सम्मानित" भी किया जाता रहा है, जिससे उनकी संदिग्ध भूमिका पर और भी संदेह गहराता है।
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि राम गणेश द्विवेदी का आधिकारिक मानदेय मात्र ₹3000 से ₹4000 प्रति माह है, जो कि प्रतिदिन लगभग ₹100 होता है। इसके बावजूद, स्थानीय निवासियों का कहना है कि वे महंगे मोबाइल फोन, मोटरसाइकिल से घूमते हुए, नकद में खरीदारी करते हुए और अपने बच्चों को निजी स्कूलों में पढ़ाते हुए देखे जाते हैं, जो उनकी ज्ञात आय के स्रोत से मेल नहीं खाता। यह भी आरोप है कि वे गरीबी रेखा (बीपीएल) कार्ड धारक होने के बावजूद सरकार की मुफ्त योजनाओं का लाभ उठा रहे हैं, जबकि उनकी जीवनशैली स्पष्ट रूप से इस श्रेणी से बाहर है। स्थानीय लोगों का दावा है कि पिछले दस वर्षों में राम गणेश द्विवेदी ने लाखों-करोड़ों रुपये की चल और अचल संपत्ति अर्जित की है। हालांकि, आज तक न तो उनके आय के स्रोतों की कोई आधिकारिक जांच हुई है और न ही उनकी आय और व्यय के बीच इतने बड़े अंतर पर प्रशासन ने कोई ध्यान दिया है। पूर्व में उनके कार्यकाल के दौरान खरीदी केंद्र में हुई चोरी की घटनाएं भी उचित जांच के अभाव में ठंडे बस्ते में पड़ी हुई हैं।
स्थानीय लोगों का मानना है कि लौरी गढ़ खरीदी केंद्र में जो कुछ हो रहा है, वह रीवा जिले के अधिकांश खरीदी केंद्रों की एक झलक मात्र है। कई केंद्रों पर चौकीदार और अन्य कर्मचारी बिचौलियों के साथ मिलकर किसानों और सरकारी योजनाओं के बीच एक अवैध "वसूली तंत्र" चला रहे हैं। यदि इस तरह के व्यक्तियों की निष्पक्ष जांच नहीं की जाती है, तो खाद्य आपूर्ति और सार्वजनिक वितरण प्रणाली की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल उठेंगे। अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या जिला प्रशासन और संभागीय आयुक्त इस मामले में स्वतः संज्ञान लेंगे और निष्पक्ष जांच कराएंगे? या यह मामला भी रीवा जिले की उन अनगिनत फाइलों में दबकर रह जाएगा जिनका कभी कोई समाधान नहीं हुआ?