रामपुर सीमांकन बना रणक्षेत्र: लाठी-डंडों की बरसात में चार लहूलुहान, पटवारी-आरआई छोड़कर भागे bhage Aajtak24 News

 

रामपुर सीमांकन बना रणक्षेत्र: लाठी-डंडों की बरसात में चार लहूलुहान, पटवारी-आरआई छोड़कर भागे bhage Aajtak24 News 

मऊगंज - मऊगंज जिले की ग्राम पंचायत रामपुर में सोमवार को सरकारी जमीन के सीमांकन के दौरान हुई हिंसक झड़प ने प्रशासनिक व्यवस्था की पोल खोल दी। प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी में शुरू हुआ विवाद देखते ही देखते खूनी संघर्ष में बदल गया, जिसमें लाठी-डंडों की बौछार से चार लोग गंभीर रूप से घायल हो गए, जबकि मौके पर मौजूद राजस्व निरीक्षक (आरआई) और पटवारी अपनी जान बचाकर भाग खड़े हुए। जानकारी के अनुसार, रामपुर में सड़क निर्माण के लिए सरकारी जमीन का सीमांकन किया जा रहा था। राजस्व निरीक्षक, पटवारी और स्वयं थाना प्रभारी गोविंद तिवारी मौके पर उपस्थित थे। जैसे ही सीमांकन कार्य शुरू हुआ, स्थानीय निवासी प्रभाकर शुक्ला, डमरूधर शुक्ला और राघवेंद्र शुक्ला ने इस पर आपत्ति जताई, जिससे विवाद उत्पन्न हो गया। थाना प्रभारी ने शुरुआती तौर पर उन्हें समझाने का प्रयास किया, जिसके बाद वे वहां से चले गए। लेकिन उनके जाते ही स्थिति बेकाबू हो गई। लाठी-डंडों से लैस हमलावरों ने सीमांकन टीम और दूसरे पक्ष पर अचानक धावा बोल दिया। हालात बिगड़ते देख पटवारी और आरआई अपनी जान बचाने के लिए घटनास्थल से भाग निकले।

पीड़ित पक्ष के लोग जब अपनी जान बचाकर घर में घुसे और दरवाजा बंद कर लिया, तब भी हमलावरों का गुस्सा शांत नहीं हुआ। आरोप है कि हमलावर जबरन घर में घुस गए और अंदर भी जमकर लाठियां बरसाईं। इस हमले में विनय शुक्ला, सत्यशरण शुक्ला, नीलेश शुक्ला और सुशीला शुक्ला गंभीर रूप से घायल हो गए। बताया जा रहा है कि हमलावरों ने तलवार का भी इस्तेमाल किया, जिससे विनय शुक्ला के हाथ में गहरा घाव आया है। घटना की सूचना मिलते ही डायल-100 की मदद से घायलों को मऊगंज के सिविल अस्पताल ले जाया गया, जहां उनका इलाज चल रहा है। इस हिंसक झड़प का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें मारपीट की पूरी वारदात कैद है। अस्पताल से भी खबर है कि वहां भी आरोपियों ने पीड़ितों के साथ मारपीट की।

सबसे गंभीर सवाल यह है कि यह पूरी घटना प्रशासनिक अधिकारियों की उपस्थिति में शुरू हुई। थाना प्रभारी के घटनास्थल से हटते ही विवाद का हिंसक रूप ले लेना यह दर्शाता है कि स्थानीय पुलिस ऐसी संवेदनशील स्थितियों को संभालने में कितनी सक्षम है। स्थानीय जनप्रतिनिधियों और ग्रामीणों का कहना है कि मऊगंज में इस तरह की बढ़ती घटनाएं इसे अपराध का एक अघोषित केंद्र बनाती जा रही हैं। लोगों में डर का माहौल है और अब पंचायत प्रतिनिधि भी खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। कई ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाया है कि हमलावरों को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है, जिसके कारण वे कानून को खुलेआम चुनौती दे रहे हैं।

सोशल मीडिया पर कई लोग यह सवाल उठा रहे हैं कि क्या मऊगंज धीरे-धीरे ‘बिहार मॉडल’ की ओर बढ़ रहा है, जहां कानून की जगह दबंगई का बोलबाला है और सत्ता का संरक्षण अपराधियों के लिए कवच बन गया है? भारतीय जनता पार्टी की सरकार के शासनकाल में इस तरह की घटनाएं सरकार की जनकल्याणकारी छवि को नुकसान पहुंचा सकती हैं। यह भी एक बड़ा सवाल है कि स्थानीय नेतृत्व और जिला प्रशासन की निष्क्रियता कहीं सरकार की नीतियों को जमीनी स्तर पर कमजोर तो नहीं कर रही है।

रामपुर की यह घटना सिर्फ एक स्थानीय झगड़ा नहीं, बल्कि कानून व्यवस्था और प्रशासन के लिए एक गंभीर चेतावनी है। यदि ऐसे मामलों में तत्काल, निष्पक्ष और कड़ी कार्रवाई नहीं की जाती है, तो मऊगंज जैसे जिले अपराध के लिहाज से अत्यंत संवेदनशील बन जाएंगे। सरकार, प्रशासन और पुलिस के लिए यह एक निर्णायक क्षण है, जो यह तय करेगा कि जनता का भरोसा व्यवस्था पर कायम रहता है या नहीं।



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