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शिक्षा के मंदिर में प्याज का गोदाम: रीवा के शासकीय स्कूल में बच्चों के भविष्य से खिलवाड़, ग्रामीणों में आक्रोश aakrosh Aajtak24 News |
रीवा - मध्य प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था की बदहाली का एक शर्मनाक उदाहरण रीवा जिले की शासकीय प्राथमिक पाठशाला, ओढ़की खुर्द में सामने आया है। यहां 'शिक्षा के मंदिर' कहे जाने वाले स्कूल की कक्षाएं छात्रों से नहीं, बल्कि प्याज की बोरियों से भरी पड़ी हैं। स्कूल परिसर को अब शैक्षणिक गतिविधियों की बजाय एक विशाल भंडारण केंद्र में बदल दिया गया है, जिससे छात्रों के भविष्य के साथ गंभीर खिलवाड़ हो रहा है।
प्राचार्य के निर्देश पर स्कूल बना गोदाम: प्रशासनिक लापरवाही उजागर
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, स्कूल को प्याज के अस्थायी गोदाम में बदलने का यह चौंकाने वाला निर्णय खुद स्कूल के प्राचार्य के निर्देश पर लिया गया है। यह घटना न केवल प्रशासनिक स्वेच्छाचारिता और मनमानी को उजागर करती है, बल्कि सरकारी विभागों की जवाबदेही और शिक्षा के प्रति उनकी गंभीरता पर भी गंभीर सवाल खड़े करती है।
स्कूल खुलने में कुछ ही दिन शेष, बच्चों की पढ़ाई पर संकट
गर्मी की छुट्टियों के बाद आगामी 15 जून से स्कूल पुनः खुलने वाले हैं। ऐसे में विद्यालय की वर्तमान स्थिति को देखकर यह बड़ा सवाल खड़ा हो गया है कि जब कक्षाएं प्याज से अटी पड़ी हैं, तो छात्र आखिर कहां बैठकर शिक्षा ग्रहण करेंगे? क्या उन्हें अब प्याज की बोरियों के बीच बैठकर पढ़ने को मजबूर होना पड़ेगा? यह स्थिति छात्रों के लिए एक स्वस्थ और सीखने के अनुकूल वातावरण की कमी को स्पष्ट रूप से दर्शाती है।
अभिभावकों और ग्रामीणों में फूटा गुस्सा: तत्काल कार्रवाई की मांग
विद्यालय की इस दयनीय स्थिति को देखकर अभिभावकों और स्थानीय ग्रामीणों में गहरा रोष व्याप्त है। कई स्थानीय लोगों ने स्कूल पहुंचकर विरोध प्रदर्शन किया और उच्चाधिकारियों से इस मामले में तत्काल और कड़ी कार्रवाई की मांग की है। उनका स्पष्ट कहना है कि यह मासूम बच्चों के भविष्य के साथ एक गंभीर खिलवाड़ है, जिसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। ग्रामीण चाहते हैं कि जल्द से जल्द स्कूल परिसर को खाली कर शैक्षणिक माहौल बहाल किया जाए।
कानून और नियमों का खुला उल्लंघन
यह कृत्य न केवल नैतिक रूप से आपत्तिजनक है, बल्कि यह कई महत्वपूर्ण कानूनों और नियमों का भी खुला उल्लंघन है:
- शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 (RTE Act): इस अधिनियम की धारा 8(1)(d) के अंतर्गत विद्यालयों में छात्रों को एक सुरक्षित और स्वच्छ वातावरण प्रदान करना अनिवार्य है, जिसका यहां घोर उल्लंघन हो रहा है।
- भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 188: यह धारा सरकारी आदेशों की अवहेलना से संबंधित है, और इस मामले में स्कूल परिसर का गैर-शैक्षणिक उपयोग स्पष्ट रूप से नियमों का उल्लंघन है।
- भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 269: प्याज के भंडारण से जनस्वास्थ्य को संकट में डालने का भी आरोप लगाया जा सकता है, खासकर अगर भंडारण सही तरीके से न किया गया हो।
- मध्य प्रदेश शिक्षा विभाग के आदेश: राज्य शिक्षा विभाग के स्पष्ट आदेश हैं कि स्कूल परिसर का किसी भी गैर-शैक्षणिक व्यावसायिक उपयोग के लिए प्रयोग वर्जित है।
प्रशासनिक चुप्पी पर सवाल: मिलीभगत की आशंका
इस पूरे मामले पर अब तक न तो जनपद शिक्षा अधिकारी और न ही खंड शिक्षा अधिकारी द्वारा कोई आधिकारिक बयान सामने आया है। अधिकारियों की यह चुप्पी इस बात को बल देती है कि कहीं न कहीं इस लापरवाही में प्रशासनिक मिलीभगत की भूमिका से इनकार नहीं किया जा सकता, या कम से कम उच्च स्तर पर घोर उदासीनता बरती जा रही है।
ग्रामीणों की स्पष्ट मांगें: शिक्षा का अधिकार बचाओ
स्थानीय लोगों ने शासन-प्रशासन से तीन प्रमुख मांगें रखी हैं:
- इस पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए और दोषी पाए गए लोगों पर कड़ी विभागीय व कानूनी कार्रवाई की जाए।
- विद्यालय परिसर को तुरंत खाली कराया जाए और बच्चों की पढ़ाई के लिए एक शिक्षा योग्य वातावरण बहाल किया जाए।
- भविष्य में किसी भी विद्यालय परिसर का निजी या व्यावसायिक हितों के लिए उपयोग करने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाए।
जहां एक ओर सरकार शिक्षा के अधिकार को सशक्त बनाने और हर बच्चे तक शिक्षा पहुंचाने के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर रही है, वहीं दूसरी ओर रीवा में सामने आया यह उदाहरण पूरे तंत्र की गंभीर विफलता को उजागर करता है। यह न सिर्फ शिक्षा व्यवस्था की साख पर एक बड़ा प्रश्नचिन्ह है, बल्कि मासूम बच्चों के भविष्य के साथ सीधा खिलवाड़ भी है, जिसे तत्काल प्रभाव से रोका जाना चाहिए।