![]() |
रीवा में नल-जल योजना में 311 करोड़ का 'महाघोटाला': फर्जी बैंक गारंटी से हड़पे अरबों के ठेके, EOW में शिकायत shikayat Aajtak24 News |
रीवा - प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी 'हर घर नल-जल योजना' अब भ्रष्टाचार के गहरे दलदल में फंसती नजर आ रही है। रीवा जिले से उजागर हुआ एक बड़ा घोटाला अब राजधानी भोपाल तक अपनी जड़ें फैला चुका है, जिसमें 311 करोड़ रुपये की फर्जी बैंक गारंटी के जरिए अरबों रुपये के ठेके हथियाने का सनसनीखेज खुलासा हुआ है। सामाजिक कार्यकर्ता बी.के. माला ने आरोप लगाया है कि यह घोटाला मध्यप्रदेश जल निगम और कुछ निजी बैंकों की मिलीभगत से अंजाम दिया गया है, जिससे सरकारी खजाने को करोड़ों रुपये की भारी चपत लगी है।
फर्जी दस्तावेजों से ठेके और सत्यापन में लापरवाही
बी.के. माला द्वारा लगाए गए आरोपों के अनुसार, मध्यप्रदेश जल निगम द्वारा जल आपूर्ति कार्यों के लिए जिन कंपनियों को ठेके दिए गए थे, उन्होंने कार्यादेश प्राप्त करने से पहले ही फर्जी बैंक गारंटी प्रस्तुत कीं। तीरथ गोपीकॉन लिमिटेड, एमपी बावरिया लिमिटेड और अंकित कंस्ट्रक्शन नामक कंपनियों ने परियोजना लागत की 10 प्रतिशत राशि के एवज में परफॉर्मेंस गारंटी और मोबिलाइजेशन एडवांस के लिए जाली बैंक दस्तावेज जमा किए।
इन कंपनियों को दो साल पहले जल आपूर्ति योजनाओं के लिए ठेके मिले थे। सामान्य प्रक्रिया के तहत, किसी भी बैंक गारंटी की वैधता का सत्यापन संबंधित विभाग द्वारा बैंक से कराया जाना अनिवार्य होता है। हालांकि, इस पूरे मामले में यह आरोप है कि जानबूझकर सत्यापन नहीं कराया गया। माला का आरोप है कि जल निगम के संबंधित अधिकारियों ने या तो इस बड़े फर्जीवाड़े को जानबूझकर अनदेखा किया या फिर निजी लाभ के चलते इसे संरक्षण प्रदान किया।
बैंकों और जल निगम के अधिकारियों की मिलीभगत का आरोप
सामाजिक कार्यकर्ता बी.के. माला के अनुसार, यह घोटाला केवल ठेकेदार कंपनियों तक सीमित नहीं है। भोपाल स्थित एक प्रमुख बैंक शाखा की भूमिका भी इस पूरे प्रकरण में संदिग्ध बताई जा रही है, जिससे बैंकों की मिलीभगत के संकेत मिलते हैं। वहीं, मध्यप्रदेश जल निगम के अधिकारियों पर भी यह आरोप है कि उन्होंने नियमों और प्रक्रियाओं को ताक पर रखकर इन कंपनियों से करार किए और बिना किसी वैध गारंटी के करोड़ों रुपये के महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स सौंप दिए। यह सीधे तौर पर सार्वजनिक धन के दुरुपयोग और आपराधिक साजिश का मामला बनता है।
व्यापक भ्रष्टाचार और उच्च स्तरीय जांच की मांग
बी.के. माला का कहना है कि यह केवल एक इकलौता मामला नहीं है, बल्कि प्रदेश भर में चल रहे अन्य विभागीय प्रोजेक्ट्स जैसे पीएचई (लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी), पीडब्ल्यूडी (लोक निर्माण विभाग), आबकारी विभाग आदि में भी इस तरह के भ्रष्टाचार के मामले सामने आने की आशंका है। उन्होंने इस पूरे नेटवर्क को तोड़ने के लिए केवल इस विशिष्ट मामले की नहीं, बल्कि सभी विभागों के ऐसे प्रोजेक्ट्स की भी उच्च स्तरीय स्वतंत्र जांच कराने की मांग की है। उनका उद्देश्य जनता के खून-पसीने की कमाई की इस लूट को रोकना है।
आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (EOW) में शिकायत दर्ज, कड़ी कार्रवाई की मांग
बी.के. माला ने इस पूरे मामले की विस्तृत शिकायत आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (EOW) में दर्ज करा दी है। उन्होंने EOW से मांग की है कि इस बड़े घोटाले में शामिल सभी कंपनियों के मालिकों, बैंक अधिकारियों और जल निगम से जुड़े दोषी अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज कर कठोर से कठोर कार्रवाई की जाए।
बी.के. माला ने मीडिया से बात करते हुए कहा, "यह घोटाला केवल धन की लूट नहीं, बल्कि प्रदेश की जनता के अधिकारों पर डाका है। 311 करोड़ की फर्जी बैंक गारंटी से प्रोजेक्ट हथियाए गए। हमने ईओडब्ल्यू में शिकायत दर्ज कराई है और मांग करते हैं कि निष्पक्ष जांच कर दोषियों को जेल भेजा जाए। जब तक इस तरह के घोटालों पर लगाम नहीं लगेगी, आम आदमी तक पानी, सड़क और अन्य मूलभूत सुविधाएं नहीं पहुंचेंगी।" इस घोटाले के खुलासे के बाद प्रदेश में राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों में हड़कंप मच गया है, और सभी की निगाहें EOW की जांच पर टिकी हैं।