भक्ति में डूबा जीवन: संत प्रेमानंद जी महाराज का अद्भुत संघर्ष, सेवा और संतुलन santulan Aajtak24 News


भक्ति में डूबा जीवन: संत प्रेमानंद जी महाराज का अद्भुत संघर्ष, सेवा और संतुलन santulan Aajtak24 News 


परिचय -   संत प्रेमानंद जी महाराज का जीवन एक ऐसी रोशनी है, जो अंधेरे में भी राह दिखाती है। उनका जीवन सफर एक साधारण बालक से शुरू होकर एक महान संत, आध्यात्मिक गुरु और समाज में परिवर्तन लाने वाले व्यक्तित्व तक पहुंचा। एक समय था जब उनके पास खाने तक के पैसे नहीं थे। वृंदावन की गलियों में उन्होंने भूखे पेट रातें बिताईं। लेकिन उसी वृंदावन ने उन्हें अपनाया, और आज वही स्थान उनके आध्यात्मिक प्रभाव, विशाल सत्संग और सेवा कार्यों का केन्द्र है।

उनकी दोनों किडनियां 18-20 सालों से खराब हैं, लेकिन न तो उन्होंने हार मानी और न ही अपनी भक्ति और सेवा में कोई कमी की। आज लाखों भक्त उनके सत्संग से जीवन बदलने की प्रेरणा पाते हैं, और उनके आश्रम की संपत्ति करोड़ों की मानी जाती है। विराट कोहली और अनुष्का शर्मा जैसे हस्तियां भी उनके भक्त हैं।

यह रिपोर्ट संत प्रेमानंद जी महाराज के जीवन के हर उस पहलू को छूती है जो सामान्य जन से लेकर गंभीर आध्यात्मिक जिज्ञासु तक को प्रभावित करती है। यह सिर्फ एक संत की कहानी नहीं, बल्कि उस श्रद्धा, समर्पण और संघर्ष की जीवंत मिसाल है, जो आज की पीढ़ी को बहुत कुछ सिखा सकती है।

1. प्रारंभिक जीवन: जब भूख ही साधना बन गई

प्रेमानंद जी महाराज का जन्म एक सामान्य परिवार में हुआ। बहुत कम उम्र में ही उनके भीतर आध्यात्मिक जिज्ञासा जाग उठी थी। लेकिन उनका जीवन प्रारंभ से ही संघर्षपूर्ण रहा। वृंदावन की गलियों में घूमते हुए उन्होंने भगवान की भक्ति में अपने दिन बिताए, परंतु भूख उनकी परीक्षा लेती रही।

एक दिन जब वे वृंदावन के काली देह क्षेत्र में भोजन के लिए गए, तो किसी ने उन्हें थोड़ा-सा ही भोजन दिया। वह दिन उनके जीवन का टर्निंग पॉइंट बन गया। उन्होंने भगवान से पूछा, "हे प्रभु! क्या मेरी परीक्षा इतनी कठिन होनी चाहिए?" इसी दिन से उनके जीवन की दिशा बदल गई।

2. बीमारी से जूझता शरीर, लेकिन न डगमगाई भक्ति

संत प्रेमानंद जी महाराज को ADPKD (Autosomal Dominant Polycystic Kidney Disease) नामक एक गंभीर आनुवंशिक बीमारी है, जिससे उनकी दोनों किडनियां करीब 20 साल पहले खराब हो गई थीं। सामान्यतः, इस बीमारी से पीड़ित लोग जीवन की उम्मीद छोड़ देते हैं, लेकिन प्रेमानंद जी महाराज ने इसे भगवान की इच्छा मानकर स्वीकार किया। वर्तमान में उन्हें हफ्ते में तीन बार डायलिसिस कराना पड़ता है। एक डायलिसिस का खर्च 2,000 रुपये से अधिक होता है, और सालाना यह खर्च लगभग 9.5 लाख रुपये तक पहुंचता है। लेकिन इस सबके बावजूद वे नियमित सत्संग करते हैं, प्रवचन देते हैं और लोगों की समस्याओं का समाधान बताते हैं।

उन्होंने अपनी दोनों किडनियों के नाम "राधा" और "कृष्ण" रखे हैं, जो उनकी गहरी भक्ति को दर्शाता है।

‘श्री हित राधा केलि कुंज’ – एक आध्यात्मिक धाम

वृंदावन परिक्रमा मार्ग पर स्थित ‘श्री हित राधा केलि कुंज’ आश्रम आज हजारों भक्तों की श्रद्धा का केन्द्र बन चुका है। यह आश्रम इस्कॉन मंदिर और भक्ति वेदांत हॉस्पिटल के पास स्थित है, जहां हर शाम भजन, कीर्तन, और सत्संग होता है। संत प्रेमानंद जी महाराज के प्रवचनों को सुनने के लिए देश-विदेश से लोग आते हैं।

इस आश्रम में रहने की सुविधाएं, सत्संग हॉल, भजन स्थल, रसोई, पुस्तकालय आदि मौजूद हैं। उनके प्रवचनों में आत्मचिंतन, भक्तिरस, और सरल उदाहरणों के माध्यम से गहन ज्ञान दिया जाता है।

श्रद्धा से संपत्ति तक: आश्रम की संभावित वैल्यू

प्रेमानंद जी महाराज ने कभी धन को प्राथमिकता नहीं दी। लेकिन भक्तों के सहयोग और दान से उनके आश्रम के आसपास की संपत्ति आज करोड़ों की मानी जाती है। मैजिक ब्रिक्स, 99Acres और अन्य रियल एस्टेट पोर्टलों के अनुसार:

  • गोविंद आराधना में 784 वर्गफीट का फ्लैट ₹65 लाख का है।

  • पुष्पांजलि बैकुंठ में 600 वर्गफीट का फ्लैट ₹40 लाख का है।

  • संस्कार सिटी में 950 वर्गफीट का 2BHK ₹75 लाख तक जाता है।

इन आधारों पर उनके आश्रम और उससे जुड़ी संपत्तियों की अनुमानित कीमत ₹10-15 करोड़ से अधिक आंकी जा सकती है। लेकिन वे खुद इसे "राधा रानी की कृपा" कहते हैं, न कि निजी संपत्ति।

आत्मस्वीकृति का मंच: जब एक व्यक्ति ने पूछा—"150 पुरुषों से संबंध बनाए, अब क्या करूं?"

हाल ही में एक घटना ने सभी भक्तों को स्तब्ध कर दिया, जब एक व्यक्ति ने सत्संग के दौरान भावुक होकर प्रेमानंद जी महाराज से कहा—"मैं अब तक 150 से अधिक पुरुषों से संबंध बना चुका हूं, मुझे अब अपराधबोध होता है, कृपया मार्गदर्शन दीजिए।"

महाराज जी ने बेहद शांत और करूणापूर्ण भाव से उत्तर दिया:

“जैसे एक रोगी डॉक्टर से अपनी हर कमी बताता है, वैसे ही संत के सामने निःसंकोच अपनी सच्चाई रखनी चाहिए। आत्मचिंतन, मौन व्रत और भगवान का नाम ही इससे मुक्ति दिला सकता है।”

उन्होंने व्यक्ति को वृंदावन की परिक्रमा, ‘राधे-राधे’ के जाप और सेवा में लगने की सलाह दी।

विराट-अनुष्का से लेकर आम जन तक—हर कोई है भक्त

संत प्रेमानंद जी महाराज के भक्तों में आम जनता के साथ-साथ नामी हस्तियां भी शामिल हैं। क्रिकेटर विराट कोहली और अदाकारा अनुष्का शर्मा कई बार उनके सत्संग में शामिल हो चुके हैं। बताया जाता है कि एक कठिन दौर में उन्होंने प्रेमानंद जी से मार्गदर्शन लिया था।

उनके सत्संग न केवल आध्यात्मिक ज्ञान देते हैं, बल्कि जीवन की समस्याओं का भी समाधान करते हैं।

संतत्व की परिभाषा: जीवन को जीने की कला

प्रेमानंद जी महाराज कहते हैं—

“धर्म केवल पूजा नहीं, बल्कि जीवन को जीने की विधा है। जो प्रेम करता है, वही सच्चा धार्मिक है।”

उनके प्रवचनों में जीवन की गहराई, व्यवहारिकता और आध्यात्मिकता का सुंदर संगम होता है। वे बार-बार कहते हैं कि—

“आपका शरीर इस दुनिया में उलझने के लिए नहीं, बल्कि परमात्मा की ओर बढ़ने के लिए बना है।”

प्रेरणा के अद्वितीय स्रोत

प्रेमानंद जी महाराज का जीवन सिखाता है कि—

  • बीमारी आपको तोड़ नहीं सकती अगर आपका मन मजबूत है।

  • गरीबी आपको रोक नहीं सकती अगर आपके इरादे पवित्र हैं।

  • और समाज आपको परिभाषित नहीं कर सकता अगर आपने खुद को जान लिया है।

वे आज भी डायलिसिस करवाते हुए भी रोज़ाना सत्संग करते हैं, भक्तों की समस्याएं सुनते हैं, और जीवन के सरलतम उत्तर उन्हें प्रदान करते हैं। संत प्रेमानंद जी महाराज एक चलते-फिरते तीर्थ हैं—जहां आप अपने भीतर झांक सकते हैं, पापों से मुक्ति पा सकते हैं, और भक्ति में लीन होकर परम शांति का अनुभव कर सकते हैं।


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