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चारधाम यात्रा का श्रीगणेश, गंगोत्री-यमुनोत्री धाम के कपाट खुले; आस्था, सुरक्षा और भव्यता का अद्भुत संगम sangam Aajtak24 News |
उत्तराखंड - अक्षय तृतीया के पावन अवसर पर हिमालय की गोद में स्थित देवभूमि उत्तराखंड एक बार फिर आस्था, भक्ति और श्रद्धा से गूंज उठी है। गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट विधि-विधान के साथ श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए, और इसी के साथ वर्ष 2025 की चारधाम यात्रा का आध्यात्मिक शुभारंभ हो गया। सुबह के शुभ मुहूर्त में जब गंगोत्री धाम के कपाट खुले और “हर-हर गंगे” के जयकारों से पूरी घाटी गूंज उठी, तो वह दृश्य भक्तों के लिए केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि आत्मिक अनुभव बन गया। सबसे उल्लेखनीय बात यह रही कि इस वर्ष की पहली पूजा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम से की गई, जबकि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी स्वयं गंगोत्री धाम पहुंचे और माँ गंगा का आशीर्वाद लिया। यमुनोत्री धाम में भी भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा, जहां मां यमुना की डोली शोभायात्रा के रूप में धाम पहुंची। इस यात्रा की व्यवस्था को लेकर सरकार ने सुरक्षा और ट्रैफिक प्रबंधन के अभूतपूर्व इंतजाम किए हैं। श्रद्धालु, प्रकृति और प्रशासन—तीनों का यह संगम 2025 की चारधाम यात्रा को एक नई दिशा और पहचान देने जा रहा है।
🔱 गंगोत्री धाम में भक्ति की पहली अरदास प्रधानमंत्री मोदी के नाम
सुबह 10 बजकर 30 मिनट, अभिजीत मुहूर्त में जब गंगोत्री धाम के कपाट खोले गए, तो वहां उपस्थित हजारों श्रद्धालुओं की आंखों में भक्ति, भाव और श्रद्धा का अद्वितीय संगम था। सबसे विशेष बात यह रही कि धाम में इस वर्ष की पहली पूजा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम से कराई गई, जो एक परंपरागत श्रद्धा-संस्कार बनता जा रहा है। पूरी घाटी में "हर-हर गंगे", "जय मां गंगे" के उद्घोष से वातावरण गुंजायमान हो उठा। गंगोत्री मंदिर को विशेष रूप से 15 क्विंटल फूलों से सजाया गया था, जो इस भक्ति महोत्सव को स्वर्गीय रूप प्रदान कर रहा था।
🚁 मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने लिया मां गंगा का आशीर्वाद
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी विशेष हेली सेवा से हर्षिल हेलीपैड पहुंचे, जहां स्थानीय जनता और कार्यकर्ताओं ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया।
वहां से उन्होंने गंगोत्री धाम पहुंचकर विधिवत पूजा-अर्चना की और मां गंगा का आशीर्वाद लिया।
सीएम धामी ने मीडिया से बातचीत में कहा –
"चारधाम यात्रा केवल पर्यटन या धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि हमारी सनातन संस्कृति की जड़ें हैं। हमारा प्रयास है कि हर श्रद्धालु की यात्रा सुरक्षित, सुव्यवस्थित और सुखद हो।
🛕 यमुनोत्री धाम में भी श्रद्धा का सैलाब
उधर यमुनोत्री धाम के कपाट भी अक्षय तृतीया के पावन दिन पर खोले गए। मां यमुना की पवित्र डोली सोमेश्वर महाराज मंदिर परिसर से भव्य शोभायात्रा के साथ जानकीचट्टी होते हुए धाम तक पहुंची। डोली के साथ जयकारों की ध्वनि, ढोल-नगाड़ों की गूंज और पुष्प वर्षा का दृश्य किसी दिव्य लीला जैसा प्रतीत हो रहा था। हालांकि जानकीचट्टी में सुरक्षा व्यवस्था के तहत हजारों श्रद्धालुओं को पुल के पास रोका गया, जिससे कुछ समय के लिए असंतोष फैला। पुलिस प्रशासन ने स्पष्ट किया कि प्रत्येक चरण में सीमित संख्या में भक्तों को धाम भेजा जा रहा है ताकि भगदड़ या असुविधा न हो। सुबह करीब एक हजार श्रद्धालुओं को धाम की ओर भेजा गया।
🚦 तीन स्तरीय ट्रैफिक प्लान: श्रद्धालुओं की सुरक्षा सर्वोपरि
इस वर्ष चारधाम यात्रा को अधिक सुव्यवस्थित बनाने के लिए सरकार ने A, B और C श्रेणी के तहत तीन स्तरों वाला ट्रैफिक प्लान लागू किया है। यात्रा मार्ग को 15 सुपर जोन, 41 जोन और 217 सेक्टरों में बांटा गया है, जहां 624 CCTV कैमरे लगाए गए हैं। सुरक्षा और व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए इस बार 9 ASP और DSP स्तर के अधिकारी, तथा 10 अर्द्धसैनिक बलों की टुकड़ियों की तैनाती का प्रस्ताव केंद्र को भेजा गया है।
🌼 धार्मिक पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था को मिलेगा बल
चारधाम यात्रा न केवल धार्मिक भावना की अभिव्यक्ति है, बल्कि यह उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था, विशेषकर पर्यटन और स्थानीय व्यवसायों के लिए भी जीवनदायिनी है। पंडा-पुरोहित, होटल संचालक, ट्रैकिंग गाइड, और परिवहन सेवाओं से जुड़े हजारों परिवारों के लिए यह यात्रा आर्थिक संजीवनी लाती है। इस बार की यात्रा को अधिक पर्यावरण-अनुकूल और तकनीकी दृष्टि से सुरक्षित बनाने के लिए सरकार ने खास ध्यान दिया है।
📅 अब नजरें केदारनाथ और बद्रीनाथ पर
गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट खुलने के बाद अब देशभर के श्रद्धालुओं की नजरें 2 मई को केदारनाथ धाम और 4 मई को बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने पर टिकी हैं। केदारनाथ धाम में इन दिनों मंदिर सजावट और सुरक्षा व्यवस्था की तैयारियां अंतिम चरण में हैं।
चारधाम यात्रा की शुरुआत न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक और राष्ट्रीय चेतना का प्रतीक बन चुकी है।
इस वर्ष गंगोत्री और यमुनोत्री धाम में उमड़े श्रद्धालुओं की संख्या और भव्यता इस बात का संकेत है कि भारत की आत्मा आज भी हिमालय की इन घाटियों में मां गंगा और यमुना के चरणों में नतमस्तक है।