सिंधु जल संधि पर गरमाया भारत-पाक विवाद: बिलावल भुट्टो की भड़काऊ टिप्पणी—"पानी बहेगा या खून", भारत ने दी कड़ी प्रतिक्रिया pratikriya Aajtak24 News


सिंधु जल संधि पर गरमाया भारत-पाक विवाद: बिलावल भुट्टो की भड़काऊ टिप्पणी—"पानी बहेगा या खून", भारत ने दी कड़ी प्रतिक्रिया pratikriya Aajtak24 News 

नई दिल्ली - जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच संबंधों में एक बार फिर तीव्र तनाव उत्पन्न हो गया है। इस हमले के बाद भारत सरकार ने सिंधु जल संधि को निरस्त करने की दिशा में गंभीर कदम उठाते हुए कड़ा संदेश दिया, जिसके जवाब में पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) के प्रमुख बिलावल भुट्टो जरदारी ने भारत को खुले तौर पर धमकी दी है। बिलावल भुट्टो ने एक जनसभा को संबोधित करते हुए भड़काऊ भाषा में कहा, "मैं सिंधु दरिया के पास खड़े होकर यह साफ कर देना चाहता हूं कि सिंधु नदी हमारी थी, हमारी है और हमारी ही रहेगी। या तो इस नदी का पानी बहेगा, या फिर उनका (भारत का) खून।" इस बयान से भारत के भीतर राजनीतिक और कूटनीतिक हलकों में आक्रोश फैल गया है।

भुट्टो ने दावा किया कि भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल संधि एक ऐतिहासिक समझौता है, जिसमें भारत ने यह स्वीकारा था कि सिंधु नदी पाकिस्तान की है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आरोप लगाते हुए कहा कि भारत अब इस संधि से पीछे हटना चाहता है, जो स्वीकार्य नहीं है। भुट्टो ने कहा, “अगर मोदी यह सोचते हैं कि वे अपनी जनसंख्या और ताकत के बल पर इस समझौते को तोड़ देंगे, तो वे मुगालते में हैं। पाकिस्तान की अवाम अपने अधिकारों की रक्षा करना जानती है। उन्होंने भारत पर कश्मीर में हुए आतंकी हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान पर थोपने का भी आरोप लगाया। भुट्टो ने कहा, "हमने कश्मीर हमले की निंदा की है, पाकिस्तान खुद आतंकवाद से पीड़ित है। इसके बावजूद भारत हम पर ही दोष मढ़ रहा है। यह सरासर अन्याय है और पाकिस्तान की जनता इसे कभी स्वीकार नहीं करेगी। बिलावल भुट्टो ने सिंधु घाटी सभ्यता के मुद्दे को भी छेड़ा और कहा कि भारत के प्रधानमंत्री जहां-जहां जाते हैं, खुद को प्राचीन सभ्यता का प्रतिनिधि बताते हैं, जबकि सिंधु घाटी सभ्यता की वास्तविक धरती पाकिस्तान में है। उन्होंने जोर देकर कहा कि "हम इस सभ्यता के असली वारिस हैं, और सिंधु नदी हमारी पहचान है।

भुट्टो ने प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की सरकार को भी इस मामले में समर्थन देने की बात कही। उन्होंने कहा, “भले ही हमारे राजनीतिक मतभेद हों, लेकिन जब बात पाकिस्तान के अधिकारों की हो, तो हम एकजुट हैं। मैं प्रधानमंत्री शरीफ से कहना चाहता हूं कि इस मामले में हम आपके साथ हैं। भारत सरकार की ओर से अब तक इस बयान पर आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन विदेश मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, भुट्टो का यह बयान न केवल गैर-जिम्मेदाराना है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक मर्यादाओं का उल्लंघन भी है। भारत पहले ही संयुक्त राष्ट्र और विश्व बैंक को यह संकेत दे चुका है कि पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद और सीमा पार हमलों की स्थिति में सिंधु जल संधि जैसे समझौतों पर पुनर्विचार आवश्यक हो गया है।

गौरतलब है कि 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच विश्व बैंक की मध्यस्थता में सिंधु जल संधि हुई थी, जिसके तहत भारत ने तीन पूर्वी नदियों—रावी, सतलुज और ब्यास—का जल अपने लिए रखा, जबकि सिंधु, झेलम और चिनाब नदियों का जल पाकिस्तान को सौंपा गया। यह संधि दशकों से चली आ रही है, लेकिन हर बार जब भारत-पाक संबंधों में तनाव आता है, यह मुद्दा गरमा जाता है। अब जबकि भारत ने आतंकी हमले के जवाब में इस संधि को निरस्त करने की दिशा में कदम उठाए हैं, तो पाकिस्तान की ओर से इस प्रकार की धमकी भरी भाषा और सार्वजनिक मंच से युद्ध जैसे संकेत चिंता बढ़ाने वाले हैं। विश्लेषकों का मानना है कि इस स्थिति में दोनों देशों को कूटनीतिक और शांतिपूर्ण संवाद के रास्ते पर लौटना चाहिए, क्योंकि जल जैसे संवेदनशील मुद्दे को हथियार बनाना क्षेत्रीय शांति के लिए घातक हो सकता है।

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