रीवा में कानून-व्यवस्था पर सवाल, भ्रष्टाचार और अराजकता की बढ़ती घटनाएँ, जनता का सब्र टूटने के कगार पर par Aajtak24 News


रीवा में कानून-व्यवस्था पर सवाल, भ्रष्टाचार और अराजकता की बढ़ती घटनाएँ, जनता का सब्र टूटने के कगार पर par Aajtak24 News 

रीवा  - भाजपा शासन को जनता ने कांग्रेस सरकार की विफलताओं के बाद इस विश्वास के साथ चुना था कि प्रदेश में सुशासन, पारदर्शिता और विकास का नया युग आरंभ होगा। लेकिन आज की जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। रीवा जिले की स्थिति दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही है। कानून-व्यवस्था नाम मात्र की रह गई है, जबकि अपराधी बेखौफ होकर सड़कों पर अराजकता फैला रहे हैं। जिस तरह पूर्व बिहार के कुछ हिस्सों में अपराधियों का सामाजिक तंत्र पर नियंत्रण देखने को मिलता था, उसी तरह रीवा में भी अब प्रभावशाली और बाहुबली तत्व सरेआम कानून की धज्जियाँ उड़ा रहे हैं। अपराधियों की यह हिम्मत तब और बढ़ जाती है जब प्रशासन या तो मूक दर्शक बना रहता है या फिर महज़ औपचारिक कार्यवाही कर अपनी ज़िम्मेदारियों से मुक्ति पा लेता है।

विभागीय व्यवस्था में व्याप्त अराजकता

प्रदेश सरकार के अंतर्गत आने वाले कई महत्वपूर्ण विभाग – जैसे खनिज, राजस्व, परिवहन, खाद्य, पुलिस, सहकारिता आदि – अपने मूल कर्तव्यों से भटकते नजर आ रहे हैं। आज स्थिति यह है कि अगर किसी सरकारी विभाग की वाहन सड़क पर दौड़ रही है, तो आमजन को संदेह होता है कि उसमें कहीं न कहीं भ्रष्टाचार, अवैध वसूली या बिचौलियों की संलिप्तता है। विशेष रूप से परिवहन और आबकारी विभागों की कार्यप्रणाली पर लगातार गंभीर आरोप लग रहे हैं। सड़कों पर खुलेआम अवैध वसूली हो रही है, वहीं आबकारी विभाग के अधिकारी कथित रूप से अपनी मनमर्जी से कार्य कर रहे हैं।

सामाजिक कार्यकर्ता या समानांतर प्रशासन

एक अन्य चिंताजनक पहलू यह भी है कि कुछ सामाजिक कार्यकर्ता, आरटीआई एक्टिविस्ट और कुछ पत्रकार अब अपने प्रभाव का इस्तेमाल करके कार्यवाही करवाने, धमकी देने या निजी स्वार्थ साधने की ओर बढ़ते दिख रहे हैं। प्रश्न यह उठता है कि जब लोकतंत्र के चौथे स्तंभ से जुड़े लोग ही कानून अपने हाथ में लेने लगें, तो प्रशासन की भूमिका का क्या औचित्य रह जाता है? क्या रीवा जिला प्रशासन और खुफिया विभाग अब इन तथाकथित 'जन प्रतिनिधियों' के सामने नतमस्तक हो चुका है?

ताजा मामला: जेसीबी वाहन पर हमला

ग्राम पंचायत लोरी का एक ताजा मामला इसकी जीती-जागती मिसाल है। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत निर्माण कार्य में लगी जेसीबी मशीन पर कथित रूप से हमला किया गया। दो दिन पूर्व मुरम खदान की जांच के बाद अज्ञात लोगों द्वारा जेसीबी को क्षतिग्रस्त किया गया। वाहन चालक और मालिक ने इस घटना की रिपोर्ट गढ़ थाने में दर्ज कराई, जिसके बाद पुलिस ने चालक को चिकित्सा परीक्षण हेतु सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भेजा है। इस हमले के पीछे किसका हाथ था, क्या यह किसी दबाव समूह या रसूखदार व्यक्ति की शह पर हुआ, या फिर यह आपसी प्रतिद्वंद्विता थी – इन सभी सवालों के जवाब अभी सामने आना बाकी हैं। लेकिन यह स्पष्ट है कि ऐसी घटनाएं कानून-व्यवस्था की पोल खोल रही हैं।

जनता के सब्र का बाँध टूटता नजर आ रहा है

जनता अब अपने को ठगा हुआ महसूस कर रही है। जिस सरकार से लोगों को उम्मीदें थीं कि वह विकास और सुरक्षा का वातावरण बनाएगी, वही सरकार अब भ्रष्टाचार और अराजकता के आरोपों में घिरती जा रही है। यदि समय रहते कठोर कदम नहीं उठाए गए, तो प्रशासनिक ढांचा पूरी तरह चरमरा सकता है। प्रदेश सरकार और विशेष रूप से रीवा जिले के प्रशासन को चाहिए कि वह अपने सभी विभागों की कार्यप्रणाली की गहन समीक्षा करे, दोषियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही करे और जनता को यह भरोसा दिलाए कि कानून का शासन अब भी जीवित है। 




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