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मुंबई आतंकी हमलों के आरोपी तहव्वुर राणा का प्रत्यर्पण: भारत लाने की प्रक्रिया अंतिम चरण में me Aajtak24 News |
मुंबई - आतंकी हमलों के प्रमुख साजिशकर्ता तहव्वुर राणा को भारत लाने की प्रक्रिया अब तेज हो गई है। अमेरिकी अदालत के निर्देशों के अनुसार, राणा को भारत लाने के लिए आवश्यक कानूनी प्रक्रियाओं को पूरा किया जा रहा है। भारतीय एजेंसियों की एक टीम अमेरिका पहुंच चुकी है और संयुक्त रूप से दोनों देशों के अधिकारियों के साथ मिलकर सभी कानूनी कदम उठाए जा रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक, राणा का प्रत्यर्पण अब "जल्द ही" हो सकता है, हालांकि यह संभावना जताई जा रही है कि बुधवार को उसे भारत नहीं लाया जाएगा।
तहव्वुर राणा, जो पाकिस्तानी मूल के कनाडाई नागरिक हैं, 2008 में मुंबई में हुए आतंकवादी हमलों के प्रमुख साजिशकर्ता माने जाते हैं। इन हमलों में कुल 166 लोग मारे गए थे, जिनमें छह अमेरिकी नागरिक भी शामिल थे। राणा का नाम इस हमले के मुख्य साजिशकर्ता डेविड कोलमैन हेडली से जुड़ा हुआ है, जो पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का सदस्य था।
अमेरिकी उच्चतम न्यायालय ने हाल ही में राणा की याचिका खारिज कर दी थी, जिसके बाद उसका अंतिम प्रयास भी असफल हो गया था। राणा ने अपनी प्रत्यर्पण प्रक्रिया को रोकने के लिए अमेरिकी उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की थी, लेकिन उसे अस्वीकार कर दिया गया। राणा के पास अब अमेरिका के उच्चतम न्यायालय से इन्कार किए जाने के बाद बचने का कोई रास्ता नहीं बचा है, और उसकी प्रत्यर्पण प्रक्रिया में कोई रुकावट नहीं आ सकती।
अमेरिकी अदालत ने उसके खिलाफ निर्णय लिया था कि वह भारत को प्रत्यर्पित किया जाए, क्योंकि भारतीय सरकार ने उसके खिलाफ 2008 के मुंबई हमलों के आरोपों को लेकर एक मजबूत मामला प्रस्तुत किया था। अब भारतीय अधिकारियों के प्रयासों से यह संभावना जताई जा रही है कि राणा को जल्द ही भारत लाया जा सकता है, जहां उसे भारतीय कानून के तहत मुकदमे का सामना करना होगा।
भारतीय जेलों में राणा के लिए विशेष इंतजाम किए गए हैं। दिल्ली और मुंबई की जेलों में उसे रखने के लिए हर संभव कदम उठाए गए हैं, ताकि उसे अमेरिकी अधिकारियों के द्वारा तय किए गए मानकों के अनुरूप सुरक्षा मिल सके। भारत में राणा को लेकर विभिन्न सुरक्षा और प्रशासनिक पहलुओं पर विचार किया गया है। इस प्रक्रिया में भारतीय सरकार और अमेरिकी अधिकारियों के बीच तालमेल स्थापित किया गया है।
राणा का प्रत्यर्पण एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है, क्योंकि मुंबई आतंकी हमलों की जांच में अब तक बहुत से महत्वपूर्ण सवालों का उत्तर नहीं मिल पाया है। राणा की गिरफ्तारी से कई और रहस्यों से पर्दा उठ सकता है। वह अभी तक इन हमलों के मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक माने जाते हैं और उनका भारत में प्रत्यर्पण इस मामले में एक निर्णायक मोड़ साबित हो सकता है।
2008 में हुए मुंबई हमलों ने न सिर्फ भारत, बल्कि पूरी दुनिया को आतंकवाद के खतरों से अवगत कराया था। इन हमलों में 166 निर्दोष लोग मारे गए थे और सैकड़ों लोग घायल हुए थे। इस हमले को लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादियों ने अंजाम दिया था, जिनमें राणा और हेडली का अहम रोल था। राणा का प्रत्यर्पण न सिर्फ न्याय की प्रक्रिया को तेज करेगा, बल्कि इससे आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई को भी मजबूती मिलेगी।
राणा का प्रत्यर्पण इस बात का भी प्रतीक होगा कि वैश्विक आतंकवाद के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय सहयोग जरूरी है। भारत और अमेरिका के बीच इस तरह के सहयोग से यह साबित होता है कि आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई में कोई रुकावट नहीं आएगी, चाहे वे कहीं भी छिपे हों।
अब, भारतीय एजेंसियां इस मामले में अपनी कार्रवाई तेज कर चुकी हैं और जल्द ही राणा को भारत लाने की प्रक्रिया पूरी की जा सकती है। न्याय की इस लड़ाई में राणा की गिरफ्तारी से उन लोगों को भी संदेश जाएगा जो आतंकवाद का समर्थन करते हैं और उन सभी अपराधियों को यह याद दिलाया जाएगा कि किसी भी देश से जुड़ी आतंकवादी गतिविधियों को सहन नहीं किया जाएगा।
भारत में राणा की गिरफ्तारी के बाद, उसे भारतीय न्यायालय में पेश किया जाएगा, जहां उसके खिलाफ आरोपों की सुनवाई शुरू होगी। इस दौरान उसे अपने बचाव का पूरा मौका मिलेगा, लेकिन मुंबई आतंकी हमले के पीड़ितों के लिए यह उम्मीद की किरण हो सकती है कि उन्हें न्याय मिलेगा।