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गढ़ थाना क्षेत्र की कंपोजिट शराब दुकान बनी मनमानी का अड्डा, रात्रि में खुलेआम बिक रही शराब — प्रशासन मौन mon Aajtak24 News |
रीवा - गढ़ थाना अंतर्गत संचालित कंपोजिट शराब दुकान में नियमों की खुल्लमखुल्ला अवहेलना की जा रही है। ठेकेदार आर डी ट्रेडर्स द्वारा न सिर्फ निर्धारित समयसीमा के बाद शराब बेची जा रही है, बल्कि उपभोक्ता अधिकारों और पत्रकारिता की गरिमा को भी पैरों तले रौंदा जा रहा है। प्रदेश सरकार के नियमानुसार, शराब दुकानों को रात्रि 10:30 बजे तक बंद करना अनिवार्य है। किंतु गढ़ क्षेत्र की यह कंपोजिट शराब दुकान रात्रि 12:00 बजे से लेकर 1:00 बजे तक भी शटर के नीचे से चोरी-छिपे शराब बेच रहे है। यह न केवल कानून का मखौल है, बल्कि क्षेत्र की सामाजिक व्यवस्था के लिए भी खतरा बन चुका है। स्थानीय नागरिकों द्वारा बनाए गए वीडियो और फोटो प्रमाणित करते हैं कि दुकान आधी रात के बाद भी क्रियाशील रहती है। इसके बावजूद, प्रशासन और आबकारी विभाग आंखें मूंदे बैठे हैं।
सेल्समेन की बदतमीजी, रेट लिस्ट और बिल देने से किया इंकार
जब पत्रकार द्वारा दुकान से रेट सूची और बिल की जानकारी मांगी गई, तो वहां उपस्थित सेल्समेन ने अभद्र व्यवहार करते हुए उल्टा पत्रकार को ही धमकाया। यह न सिर्फ ग्राहकों के साथ धोखा है, बल्कि प्रेस की स्वतंत्रता पर सीधा हमला है। क्या आबकारी विभाग को यह सब दिखाई नहीं दे रहा?
लाइसेंस की आड़ में खुलेआम कानून तोड़ना — क्यों चुप है प्रशासन?
शराब दुकान को जो लाइसेंस जारी किया गया है, उसमें स्पष्ट रूप से समय सीमा, रेट सूची, बिलिंग व्यवस्था और ग्राहक संतोष जैसे नियमों का पालन अनिवार्य किया गया है। बावजूद इसके, गढ़ की यह दुकान इन नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ा रही है। प्रश्न यह उठता है कि क्या लाइसेंस सिर्फ कागज की औपचारिकता है? और अगर नहीं, तो फिर जिम्मेदार अधिकारियों की चुप्पी किस ओर इशारा कर रही है?
गाँव-गाँव हो रही अवैध पैखारी, विभाग बना दर्शक
सूत्रों के अनुसार, उक्त शराब दुकान से गाँव-गाँव में अवैध तरीके से शराब की पैकारी करवाई जा रही है। इसके बावजूद, आबकारी विभाग पूरी तरह निष्क्रिय नजर आ रहा है। विभाग के अधिकारी किसी गहरी नींद में हैं या फिर मिलीभगत का मामला है — यह अब जांच का विषय बन चुका है।
पूर्व शिकायतें भी गईं अनसुनी, सीएम हेल्पलाइन तक पहुंची शिकायत
कुछ दिन पूर्व अधिक मूल्य पर शराब बिक्री के मामले में ग्राहकों ने वीडियो बनाकर सीएम हेल्पलाइन पर भी शिकायत दर्ज कराई थी। लेकिन अफसोस की बात यह है कि कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। इससे यह स्पष्ट होता है कि शिकायतों का असर कागजों से बाहर नहीं निकल पा रहा है।
रीवा-मऊगंज में भी फैला है यह नेटवर्क
गढ़ की यह स्थिति अपवाद नहीं है। रीवा और मऊगंज जिलों की अधिकांश कंपोजिट शराब दुकानों में भी एमआरपी से अधिक मूल्य पर शराब बेचे जाने की शिकायतें कई बार सामने आ चुकी हैं। यह एक संगठित अवैध व्यापार का संकेत देता है, जिसमें शायद कई जिम्मेदार अधिकारी भी परोक्ष रूप से जुड़े हैं या चुप्पी साधे हुए हैं।
अब सवाल यह — कार्रवाई कब?
आबकारी विभाग और स्थानीय प्रशासन की निष्क्रियता ने जनता के बीच सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या नियम केवल कागजों में हैं? क्या ठेकेदारों को मनमानी करने की खुली छूट दे दी गई है?