गढ़ ब्रांच की बैंकिंग लापरवाही से त्रस्त किसान: अपने ही पैसे के लिए करना पड़ रहा संघर्ष sangharsh Aajtak24 News


गढ़ ब्रांच की बैंकिंग लापरवाही से त्रस्त किसान: अपने ही पैसे के लिए करना पड़ रहा संघर्ष sangharsh Aajtak24 News

रीवा  - रीवा एवं मऊगंज जिलों के सैकड़ों किसानों को इन दिनों अपनी मेहनत की कमाई निकालने के लिए भीषण संघर्ष करना पड़ रहा है। जिला सहकारी बैंक की गढ़ शाखा में नकदी संकट के कारण किसान तीन दिनों से अधिक समय से परेशान हैं। हालात ऐसे हैं कि खातों में पैसा होने के बावजूद किसानों को “बैंक में पैसा नहीं है” जैसे जवाब देकर टरकाया जा रहा है।

किसानों को कैश के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा

शासन द्वारा ऋण स्वीकृत होने के बावजूद किसानों को समय पर भुगतान नहीं मिल पा रहा है। गढ़ शाखा में बीते तीन-चार दिनों से रोज़ आ रहे किसानों को सिर्फ़ आश्वासन मिल रहा है। गर्मी के इस मौसम में खेतों के महत्वपूर्ण कार्य जैसे गहाई, जुताई, मेड निर्माण, बीज एवं खाद की खरीदी के लिए उन्हें तत्काल नकद की आवश्यकता है, लेकिन बैंक की अव्यवस्था के चलते वे काम छोड़कर बार-बार शाखा के चक्कर काटने को मजबूर हैं। खाता धारक किसान रामनरेश पटेल ने बताया, “तीन दिन से बैंक आ रहा हूं, कभी सर्वर डाउन बोलते हैं, कभी कहते हैं कैश नहीं आया। खेती का काम अटक गया है।”

बैंकिंग स्टाफ का व्यवहार भी सवालों के घेरे में

इस संकट के दौरान बैंक स्टाफ का रवैया भी किसानों की परेशानी को बढ़ा रहा है। संवाददाता द्वारा जब एक बैंककर्मी से नाम और पद पूछे गए, तो उसने न सिर्फ़ अभद्रता की बल्कि मोबाइल फोन छीनने की भी कोशिश की। यह व्यवहार न केवल असंवेदनशील है, बल्कि सूचना के अधिकार के भी विरुद्ध है।

बैंक मैनेजर ने स्वीकारा नकदी संकट

बैंक मैनेजर ने स्पष्ट किया कि “जिला सहकारी बैंक में बीते तीन दिनों से कैश नहीं पहुंच पाया है, जिससे नकद निकासी संभव नहीं हो पा रही है। हालांकि RTGS की सुविधा चालू है।” लेकिन गढ़ के ही एक किसान ने आरोप लगाया कि उन्होंने 15 अप्रैल को बैंक से RTGS करवाया था, किंतु अभी तक वह राशि उनके खाते में नहीं पहुंची है। यह बताता है कि डिजिटल लेन-देन भी भरोसेमंद नहीं रह गया है।

बिना समाधान के बिगड़ते हालात

यदि इस प्रकार की लचर बैंकिंग व्यवस्था पर जल्द नियंत्रण नहीं पाया गया, तो ग्रामीण क्षेत्र में बैंकिंग व्यवस्था के प्रति लोगों का भरोसा टूट सकता है। खासकर ऐसे समय में जब किसान रबी फसलों की कटाई व अगली बुआई की तैयारी में लगे हैं, उन्हें इस तरह की परेशानी का सामना करना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। सरकार और संबंधित बैंक प्रबंधन से अपेक्षा है कि इस गंभीर स्थिति का तत्काल संज्ञान लेकर किसानों को राहत पहुंचाई जाए, ताकि खेती-किसानी बाधित न हो और ग्रामीण अर्थव्यवस्था स्थिर बनी रहे।




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