रीवा में क्रेशर संचालकों पर कड़ी कार्रवाई: सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर एनजीटी ने लगाया जुर्माना jurmana Aajtak24 News


रीवा में क्रेशर संचालकों पर कड़ी कार्रवाई: सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर एनजीटी ने लगाया जुर्माना jurmana Aajtak24 News

रीवा - सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के तहत मध्य प्रदेश सरकार ने क्रेशर संचालकों के लिए सख्त नियम लागू किए हैं। इस निर्णय के तहत सभी पुराने क्रेशर संचालकों को दिए गए नियमों के अनुसार सीए (सेंट्रलाइज्ड अप्लिकेशन) में ऑनलाइन पंजीकरण करना अनिवार्य कर दिया गया है। यह आदेश पर्यावरण प्रदूषण के बढ़ते स्तर को ध्यान में रखते हुए दिया गया है। रीवा और सतना क्षेत्र में अवैध उत्खनन और प्रदूषण की घटनाएं तेजी से बढ़ रही थीं। इन मुद्दों को लेकर बीके माला अधिवक्ता ने एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) भोपाल में याचिका दायर की थी, जिसमें रीवा के बेकल बैजनाथ सकरवात और बांकुइयां क्षेत्र में हो रहे प्रदूषण की शिकायत की गई थी। एनजीटी ने इस याचिका को गंभीरता से लिया और आदेश दिया कि सभी क्रेशर संचालक दिए गए नियमों का पालन करें। इसके अलावा, कई क्रेशर संचालकों पर पर्यावरणीय नियमों का उल्लंघन करने के लिए भारी जुर्माना भी लगाया गया है। इसके बाद इस मामले की अपील सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई। सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार और अपील कर्ताओं को एनजीटी के आदेश का पालन करने के लिए अंतिम मौका दिया। आदेश के अनुसार, सभी क्रेशर संचालकों को निर्धारित समय के भीतर सीए में पंजीकरण कराना अनिवार्य है। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जिन संचालकों ने ऑनलाइन पंजीकरण नहीं कराया, उनके क्रेशर वैधानिक रूप से संचालित नहीं किए जा सकेंगे। यह आदेश पर्यावरण संरक्षण के दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो अवैध उत्खनन और प्रदूषण को नियंत्रित करने में मदद करेगा। प्रदेश सरकार ने इस आदेश को लागू करने के लिए सभी अधिकारियों को निर्देश जारी कर दिए हैं। अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे सभी क्रेशर संचालकों से संपर्क करें और उन्हें ऑनलाइन पंजीकरण प्रक्रिया पूरी करने के लिए प्रेरित करें। यह आदेश मध्य प्रदेश में पर्यावरण की सुरक्षा के लिए एक नई दिशा दिखाता है। सरकार का लक्ष्य है कि प्रदूषण के स्तर को कम किया जाए और प्राकृतिक संसाधनों का उचित तरीके से उपयोग किया जाए। इस पहल के तहत अब सभी क्रेशर संचालकों को पर्यावरणीय मानकों का पालन करना अनिवार्य होगा, जिससे प्रदेश के प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा की जा सके। सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी के आदेशों को लागू करने से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि अवैध क्रेशर संचालन पर अंकुश लगाया जा सके और पर्यावरण की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाए। यह निर्णय रीवा और सतना जैसे प्रदूषित क्षेत्रों में बदलाव लाने की उम्मीद जगाता है और पर्यावरणीय संतुलन को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा। 



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